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बच्चे गाड़ी में अकेले हैं बताएगी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, वैज्ञानिकों ने विकसित किया सेंसर

अक्‍सर बच्चे गाड़ी में अकेले बंद हो जाते हैं जिससे उनकी मौत हो जाती है। अब इससे निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक विकसित की है जो अलार्म के जरिये अभिभावकों को सूचना देगी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 08:40 AM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 08:59 AM (IST)
बच्चे गाड़ी में अकेले हैं बताएगी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, वैज्ञानिकों ने विकसित किया सेंसर
बच्चे गाड़ी में अकेले हैं बताएगी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, वैज्ञानिकों ने विकसित किया सेंसर

टोरंटो, पीटीआइ। अक्सर खबरें पढ़ने को मिलती हैं कि बच्चे गाड़ी में छूट गए और इस कारण हादसे के शिकार हो गए। कई बार तो डर या अन्य वजहों से बच्चों की मौत तक हो जाती है। अब इस समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) की मदद से एक नया और सस्ता सेंसर विकसित किया है, जो बच्चों के वाहनों में छूट जाने की स्थिति में अलार्म के जरिये अभिभावकों को सूचना देगा और समय रहते उन्हें किसी अनहोनी से बचाया जा सकेगा।

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100 फीसद देगा सटीक जानकारी 

कनाडा की वाटरलू यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, इसके पूरे सिस्टम को रडार तकनीक के जरिये एआइ से जोड़ा गया है। यह सिस्टम उन बच्चों और पालतू जानवरों (कुत्ता-बिल्ली) का 100 फीसद सटीक पता लगा सकता है, जिनके साथ कोई मौजूद नहीं होता। यानी जो कहीं अकेले छूट गए हों या कहीं अकेले बैठे हों। इसके अलावा कारों पर अकेले बैठे रहने वाले बच्चों के लिए यह डिवाइस बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है।

हथेली में हो जाएगी फ‍िट 

शोधकर्ताओं ने कहा कि यह डिवाइस इतनी छोटी है कि इसे तीन सेंटीमीटर व्यास वाली हथेली में भी फिट किया जा सकता है। साथ ही इसे गाड़ियों के रियर व्यू मिरर के साथ भी जोड़ा जा सकता है। यह डिवाइस रडार से मिलने वाले सिग्नलों के जरिये काम काम करती है और गाड़ी के भीतर मौजूद लोगों और जानवरों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से प्रतिबिंबित करती है।

सस्ती है यह तकनीक 

वाटरलू यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग के प्रोफेसर जॉर्ज शकर ने कहा, ‘यह सिस्टम एक गंभीर, विश्वव्यापी समस्या का निदान कर सकती है। यह प्रणाली इतनी सस्ती है कि यह सभी वाहनों के लिए एक मानक उपकरण बन सकता है।’ शोधकर्ताओं ने कहा कि एक डिस्क के आकार के इस वायरलेस सेंसर को एक ऑटोमोटिव पार्ट निर्माता की मदद से तैयार किया गया है। उम्मीद है अगले वर्ष के अंत तक यह बाजार में भी उपलब्ध हो जाएगा।

कार में कहां कौन बैठा है चलेगा पता

शकर के मुताबिक, इस डिवाइस का एक फायदा यह भी होगा इसके जरिये वाहन में बैठे लोगों की संख्या और उनके स्थान का भी पता लगाया जा सकेगा। मसलन, कौन सी सीट पर कौन बैठा है। उनका कहना है कि इसके जरिये वाहन कंपनियां यह भी पता लगा सकेंगी कि गाड़ियों में कितने लोग सफर कर रहे हैं। ऐसे में टैक्सी कंपनियां शेयरिंग आधार पर सेवा मुहैया कराने के लिए दरें और टोल भी तय कर सकेंगी।

मनुष्य और जानवरों में भेद करने में है सक्षम

शोधकर्ताओं ने यह साफ किया है कि इस डिवाइस का पहला मकदस बच्चों और पालतू जानवरों को सुरक्षित रखना है। उनका यह भी कहना है कि यह डिवाइस वाहन चालकों की प्राइवेसी को पूरी तरह से सुरक्षित रखेगा क्योंकि इसमें रडार लगा होगा और यह सिर्फ सीट की ही पहचान करेगा। उनका यह भी कहना है कि यह एआइ सिस्टम के जरिये मनुष्य, जानवर और सामान में भेद करने में समक्ष है। इसका संचालन वाहन की बैटरी से किया जा सकता है।

वाहन चालकों पर भी रहेगी नजर

शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि वह भविष्य में इस तकनीक के जरिये वाहन चालकों पर भी नजर रखने की तैयारी कर रहे हैं ताकि किसी भी जरूरत के वक्त इन्हें मदद मुहैया कराई जा सके। भारत में यह बेहद कारगर साबित हो सकती है क्‍योंकि देश में 70 फीसद दुर्घटनाएं वाहन चालकों की लापरवाही से होती हैं। यही नहीं नियम-कायदों की अनदेखी और नींद का अभाव भी सड़क हादसों के लिए जिम्‍मेदार होते हैं। इस तकनीक से ड्राइवरों को समय रहते अलर्ट कराया जा सकता है। 


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