Move to Jagran APP

ब्रेन इमेंजिंग से होगा अवसाद के रोगियों का सटीक इलाज, अब एआइ बताएगी कौन-सी दवा लें

वैज्ञानिकों ने एआइ की मदद से मस्तिष्क की गतिविधि के उस पैटर्न की पहचान की है जो यह तय करते हैं कि अवसादरोधी दवाएं (एंटीडिप्रेसंट) लोगों के लिए कितनी असरदार हो सकती हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 09:43 AM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 10:24 AM (IST)
ब्रेन इमेंजिंग से होगा अवसाद के रोगियों का सटीक इलाज, अब एआइ बताएगी कौन-सी दवा लें
ब्रेन इमेंजिंग से होगा अवसाद के रोगियों का सटीक इलाज, अब एआइ बताएगी कौन-सी दवा लें

ह्यूस्टन, प्रेट्र। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) का बढ़ता चलन स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है। अवसाद (डिप्रेशन) रोगियों पर किये गए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इसकी मदद से अब यह तय कर सकते हैं कि कौन-सी दवा लेने से मरीज जल्दी ठीक हो सकता है। दरअसल, वैज्ञानिकों ने एआइ की मदद से मस्तिष्क की गतिविधि के उस पैटर्न की पहचान की है, जो यह तय करते हैं कि अवसादरोधी दवाएं (एंटीडिप्रेसंट) लोगों के लिए कितनी असरदार हो सकती हैं।

loksabha election banner

‘अमेरिकन जर्नल ऑफ साइकाइट्री’ और ‘नेचर ह्यूमन बिहेवियर जर्नल’ में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया है कि मरीज के मस्तिष्क की इमेजिंग के जरिये अब यह पता लगाया जा सकता है कि दवाएं बीमारी के इलाज में प्रभावी होंगी या नहीं। इस अध्ययन में एक बड़े राष्ट्रीय स्तर पर किये गए परीक्षण (ईएमबीएआरसी) के निष्कर्ष शामिल हैं।

मस्तिष्क संबंधी विकार

इसका उद्देश्य बायोलॉजी के आधार पर मस्तिष्क संबंधी विकारों के इलाज के लिए रणनीति बनाना और इलाज के परंपरागत तरीकों में सुधार लाना है। इस अध्ययन में अमेरीका की यूटी साउथवेस्टन्र्स सेंटर फॉर डिप्रेशन रिसर्च एंड क्लीनिकल केयर के शोधार्थी भी शामिल थे। शोधकर्ताओं ने बताया कि मस्तिष्क संबंधी विकारों के रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए उन्होंने इसके इलाज की बाधाओं को दूर करने का एक नया तरीका विकसित किया। इसके तहत मस्तिष्क की इमेजिंग और रक्त का विश्लेषण किया जाता है।

अप्रभावी दवाएं बढ़ा देती हैं मरीज की समस्याएं

ईएमबीएआरसी के प्रबंधक मधुकर त्रिवेदी ने कहा, ‘हमें अनुमान लगाने वाले खेल अब खत्म करने होंगे और ऐसे उपाय करने की आवश्यकता है, जो बीमारी का जल्दी और सटीक इलाज कर सके।’ उन्होंने कहा कि अवसाद से मरीज पहले से ही निराशा से ग्रस्त रहते हैं। यदि वे ऐसी दवाओं को लेते हैं जो अप्रभावी हों, तो इससे उनकी समस्या और गहरा जाती है। इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 300 से ज्यादा प्रतिभागियों की ब्रेन इमेजिंग तकनीक के जरिये मस्तिष्क की गतिविधियों की जांच की।

दो माह में दिखने लगता है सही दवाओं का असर

शोधकर्ताओं ने कहा, ‘इस अध्ययन के लिए उन्होंने प्रतिभागियों को दो समूहों में बांटा। एक समूह में स्वस्थ लोगों को रखा गया जबकि, दूसरे समूह में अवसाद के रोगियों को शामिल किया गया।’ अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि दवाओं को लेने के बाद मरीज के मस्तिष्क में चल रही उथल-पुथल कैसे शांत होती है। शोधार्थियों के मळ्ताबिक, यदि सही दवाएं लें तो इसका असर महज दो महीनों में ही दिखने लगता है।

महत्वपूर्ण है ब्रेन इमेजिंग

त्रिवेदी ने कहा, ‘मरीजों में डिप्रेशन का सटीक पता लगाने के लिए ब्रेन इमेजिंग बहुत महत्वपूर्ण है।’ उन्होंने कहा कि कई मरीजों में आसानी से डिप्रेशन का पता नहीं चल पाता। ऐसे में आराम करने के दौरान उनके मस्तिष्क से मिलने वाला डाटा मददगार साबित हो सकता है। इसके जरिये हम यह पता लगा सकते हैं कि अवसाद की कोई दवा मरीज पर कितना असर कर सकती है।

अलग-अलग तरीके से प्रभावित होते हैं लोग

त्रिवेदी ने कहा कि डिप्रेशन एक जटिल बीमारी है और लोगों को यह अलग-अलग तरीके से प्रभावित करती है। कई बार डॉक्टर मरीजों को ऐसी दवाएं दे देते हैं जो बीमारी का इलाज नहीं कर पातीं। ऐसे में मरीजों को अन्य परेशानियां भी शुरू हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि इस समस्या से बचने के लिए ब्रेन इमेजिंग यानी मस्तिष्क की इमेजिंग सहायक सिद्ध हो सकती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.