कोरोना वायरस के नए वैरिएंट के खिलाफ कम प्रभावी हैं एंटीबॉडी और वैक्सीन
नेचर मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार कोरोना के ब्रिटिश ब्राजील और दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट तेजी से फैल रहे हैं। कोरोना के ये तीनों प्रकार उस एंटीबॉडी से बच सकते हैं जो इस घातक वायरस के मूल स्वरूप के खिलाफ प्रभावी होती है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। कोरोना वायरस (Covid-19) से मुकाबले में इस घातक वायरस के नए वैरिएंट चुनौती पेश कर रहे हैं। एक नए अध्ययन का दावा है कि अब तक जितनी भी एंटीबॉडी आधारित दवाएं और वैक्सीन विकसित की गई हैं, वे कोरोना के नए वैरिएंट के खिलाफ कम प्रभावी हो सकती हैं। ये नए वैरिएंट तेजी से अपना पांव पसार रहे हैं।
नेचर मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, कोरोना के ब्रिटिश, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट तेजी से फैल रहे हैं। कोरोना के ये तीनों प्रकार उस एंटीबॉडी से बच सकते हैं, जो इस घातक वायरस के मूल स्वरूप के खिलाफ प्रभावी होती है।
अमेरिका की वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के विज्ञानियों ने कहा कि टीकाकरण या स्वाभाविक संक्रमण की प्रतिक्रिया में बनने वाली एंटीबॉडी को कोरोना के नए वैरिएंट से मुकाबले में ज्यादा प्रभावी करने की जरूरत है।
इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता माइकल एस डायमंड ने कहा, 'हम उन लोगों को लेकर चिंतित हैं जो यह सोच रहे हैं कि कोरोना की चपेट में आने या टीका लगवाने के चलते उनमें एंटीबॉडी का सुरक्षित स्तर बन गया है। लेकिन यह स्तर कोरोना के नए वैरिएंट के खिलाफ सुरक्षित नहीं हो सकता है।'
उन्होंने बताया, 'कुछ लोगों में बेहद उच्च स्तर पर एंटीबॉडी की उत्पत्ति होती है और ऐसे लोग नए वैरिएंट से सुरक्षित हो सकते हैं, लेकिन कुछ लोग खासतौर पर बुजुर्गो और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले व्यक्तियों में उच्च स्तर पर एंटीबॉडी की उत्पत्ति नहीं हो सकती है।'
विज्ञानियों ने कोरोना वायरस के नए वैरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी के प्रभाव को आंकने के लिए निरंतर जांच की जरूरत पर जोर दिया है।