भूमिगत जीवन के अनुकूल थीं प्राचीन मंगल पर परिस्थितियां
प्राचीन मंगल पर परिस्थितियां भूमिगत जीवन के लिए अनुकूल थीं। ग्रह पर ऐसे तत्वों की भरमार थी जो जीवाणुओं को सतह के नीचे लाखों वर्ष तक पोषित करने में सक्षम थे।
वाशिंगटन [प्रेट्र]। प्राचीन मंगल पर परिस्थितियां भूमिगत जीवन के लिए अनुकूल थीं। ग्रह पर ऐसे तत्वों की भरमार थी जो जीवाणुओं को सतह के नीचे लाखों वर्ष तक पोषित करने में सक्षम थे। ‘अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंस लेटर्स’ में प्रकाशित एक नए अध्ययन में यह जानकारी दी गई है। अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर जेसी टार्नास ने कहा कि भौतिकी और रसायन शास्त्र की बुनियादी गणनाओं के आधार पर हमने पता लगाया है कि प्राचीन मंगल की सतह के नीचे पर्याप्त मात्रा में हाइड्रोजन मौजूद था जिससे पूरे मंगल की सतह के नीचे जैविक दुनिया को ऊर्जा प्रदान की जा सकती थी। अध्ययन से पता चलता है कि ‘रेडियोलाइसिस’ प्रक्रिया ने प्राचीन मंगल की सतह के नीचे समुचित मात्रा में हाइड्रोजन उत्पन्न की होगी। ध्यान रहे कि रेडियोलाइसिस प्रक्रिया में रेडिएशन पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के रूप में विखंडित कर देता है।
रिसर्चरों ने अनुमान लगाया है कि चार अरब वर्ष तक मंगल की सतह के नीचे जमा हाइड्रोजन की मात्रा उसी मात्रा में थी जो आज पृथ्वी पर अनेक जीवाणुओं को पोषित करती है। टार्नास ने कहा कि मंगल के आवासयोग्य क्षेत्र में परिस्थितियां पृथ्वी के उन क्षेत्रों जैसी रही होंगी जहां भूमिगत जीवन पाया जाता है। इस निष्कर्ष का यह अर्थ कतापि नहीं है कि प्राचीन मंगल पर यकीनी तौर पर जीवन का अस्तित्व था, लेकिन इससे यह जरूर पता चलता है कि यदि वहां सचमुच जीवन की शुरुआत हुई थी तो उसकी सतह के नीचे ऐसे तत्व समुचित मात्रा में उपलब्ध थे जो जीवन को लाखों वर्षों तक पोषित कर सकते थे।
मंगल के भावी अन्वेषण अभियानों के लिए इस अध्ययन का विशेष महत्व है। इस अध्ययन के मद्देनजर भावी मिशन मंगल पर अतीत के जीवन के संकेत खोजने के लिए सतह के नीचे जांच-पड़ताल कर सकते हैं। मंगल के अतीत में जल की गतिविधि के प्रमाणों पर किसी को कोई संदेह नहीं है, लेकिन यह बात अभी तक स्पष्ट नहीं हुई है कि मंगल के इतिहास में कितने समय तक जल का प्रवाह हुआ।
रिसर्चरों ने नासा के मार्स ओडेसी अंतरिक्षयान पर लगे गामा रे स्पेक्ट्रोमीटर से प्राप्त आंकड़ों का अध्ययन किया। उन्होंने मंगल की सतह में मौजूद तीन रेडियोएक्टिव तत्वों, थोरियम, पोटाशियम और यूरेनियम की मात्रा का हिसाब लगाया। इन तत्वों के क्षय से उत्पन्न रेडिएशन जल को विखंडित करता है। रिसर्चरों ने निष्कर्ष निकाला कि मंगल की सतह के नीचे आवासयोग्य क्षेत्र था जिसकी मोटाई कई किलोमीटर थी।