प्रदूषण का असर जानने को एवरेस्ट की चढ़ाई करेंगे अमेरिकी वैज्ञानिक
ग्लोबल वर्मिंग का असर दुनिया के अधिकांश हिस्सों में दिखाई देने लगा है। हिमालय पर इसका असर जानने के लिए अमेरिकी वैज्ञानिक रवाना हो चुके हैं।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 27 Mar 2019 04:23 PM (IST)Updated: Wed, 27 Mar 2019 04:23 PM (IST)
काठमांडू (एपी)। हिमालय पर बढ़ते प्रदूषण के असर का आकलन करने के लिए अमेरिकी वैज्ञानिकों का एक दल विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट के अभियान पर बुधवार को यहां से रवाना हुआ। वेस्टर्न वाशिंगटन विश्वविद्यालय के जॉन औल की अगुआई में वैज्ञानिकों का यह दल ग्लेशियरों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का भी अध्ययन करेगा।
वैज्ञानिक इस इस अभियान में यह भी पता लगाएंगे कि जलवायु परिवर्तन और बढ़ते प्रदूषण के कारण स्थानीय लोगों को भविष्य में किस प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। वैज्ञानिकों का यह दल 8,850 मीटर ऊंचे माउंट एवरेस्ट पर मई में चढ़ाई शुरू करेगा। इस अभियान के दौरान एकत्रित किए गए नमूनों का पूर्व में जुटाए गए नमूनों से तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा।
वैज्ञानिकों ने 2009 में भी हिमालय से नमूने इकट्ठा किए थे। पिछले अभियान के दौरान 2014 में भी जॉन औल के नेतृत्व में वैज्ञानिकों ने एवरेस्ट पर चढ़ाई का प्रयास किया था, लेकिन वह असफल रहा था। उस अभियान में शामिल 16 शेरपा गाइड की हिमस्खलन की वजह से मौत हो गई थी। उस हादसे में और भी घायल हुए थे।
वैज्ञानिक इस इस अभियान में यह भी पता लगाएंगे कि जलवायु परिवर्तन और बढ़ते प्रदूषण के कारण स्थानीय लोगों को भविष्य में किस प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। वैज्ञानिकों का यह दल 8,850 मीटर ऊंचे माउंट एवरेस्ट पर मई में चढ़ाई शुरू करेगा। इस अभियान के दौरान एकत्रित किए गए नमूनों का पूर्व में जुटाए गए नमूनों से तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा।
वैज्ञानिकों ने 2009 में भी हिमालय से नमूने इकट्ठा किए थे। पिछले अभियान के दौरान 2014 में भी जॉन औल के नेतृत्व में वैज्ञानिकों ने एवरेस्ट पर चढ़ाई का प्रयास किया था, लेकिन वह असफल रहा था। उस अभियान में शामिल 16 शेरपा गाइड की हिमस्खलन की वजह से मौत हो गई थी। उस हादसे में और भी घायल हुए थे।
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