अमेरिकी शोध की मुहर, मुस्कराने से मिलती है खुशी, शरीर भी रहता है चुस्त और दुरुस्त
यह बहस नई नहीं है कि क्या हम अपने भीतर के भावों को चेहरे पर आने से रोक सकते हैं? मनोविज्ञानियों की राय से अलग एक नए शोध ने उत्साहजनक तस्वीर सामने रखी है।
वाशिंगटन, पीटीआइ। आम तौर पर जब कोई मुस्कराता है तो इससे यह पता चलता है कि वह खुश है, पर कुछ मनोविज्ञानी इस बात से इन्कार करते रहे हैं कि हम किसी के चेहरे को भाव को पढ़कर उसके मनोभावों का अंदाजा लगा सकते हैं। लेकिन अब शोधार्थियों ने लगभग 50 वर्षों के डाटा का अध्ययन कर इस बात की पुष्टि की है कि मुस्कराहट यह बताती है कि लोग खुश हैं। इसका मतलब है कि चेहरे के भाव देखकर लोगों की भावनाओं को भी पढ़ा जा सकता है।
अमेरिका के टेनेसी विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे निकोलस कोल ने कहा कि सामान्यत: जब हम हंसते हैं तो इसका मतलब है कि हम खुश हैं और जब हम गुस्से में होते हैं तो हमारी मन:स्थिति थोड़ा गंभीर हो जाती है। लेकिन मनोविज्ञानी इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते। वह इस तथ्य पर अपनी असहमति जताते हैं। कोल कहते हैं कि वर्ष 2016 में इन असहमतियों की आवाज उस समय और ज्यादा सुनाई देने लगी थी जब शोधार्थियों की 17 टीमें यह बताने में असफल हो गईं कि मुस्कराने का भाव लोगों को खुशी का अनुभव कराता है।
उन्होंने बताया कि कई शोधों में इस बात के सबूत नहीं मिले कि चेहरे के भाव हमारे मनोभावों को व्यक्त कर सकते हैं। लेकिन हम केवल कुछ अध्ययनों के परिणामों को ही सही नहीं मान सकते। मनोविज्ञानी इस बात की तस्दीक पिछली सदी के सातवें दशक के कर रहे हैं। इसलिए हमें सभी प्रमाणों की जांच करनी चाहिए।
कोल ने बताया कि इसके लिए शोधार्थियों ने विश्वभर के लगभग 11000 प्रतिभागियों पर किए गए परीक्षण के 138 शोधों का डाटा एकत्र कर मेटा-एनालिसिस (जो एक सांख्यिकीय तकनीक है) के जरिये अध्ययन किया। इसके परिणाम साइकोलॉजिकल बुलेटिन नामक पत्रिका में छपे हैं। इसमें कहा गया है कि चेहरे के हाव-भावों में आपके कुछ मनोभाव भी व्यक्त होते हैं।
उदाहरण के लिए जब हम किसी को मुस्कराते देखते हैं तो वह खुश होता है। इसके ठीक विपरीत कई बार हम लोगों की गुस्से से चढ़ी त्योरियां भी देखते हैं। कोल कहते हैं कि हम यह नहीं सोचते कि लोगों के हंसने की वजह क्या है। लेकिन सही मायनों में यह पता करना भी उत्साहजनक है, क्योंकि इससे इस बात का पता चलता है कि इस क्रिया के दौरान सामने वाले की भाव-भंगिमाएं कैसी हैं।
उन्होंने कहा कि हालांकि अभी हमें चेहरे के भावों को पढ़ने के लिए और भी बहुत कुछ सीखना है, पर मेटा-एनालिसिस के जरिये किए गए अध्ययनों के परिणाम बेहद उत्साहजनक हैं।