अमेरिकी कंपनियों ने ट्रंप को चेताया, एच-1बी वीजा के नियमों में बदलाव की मांग
पेप्सिको की चेयरपर्सन और सीईओ इंद्रा नूयी, एपल के सीईओ टिम कुक, मास्टरकार्ड के सीईओ अजय बंगा और सिस्को सिस्टम्स के चेयरमैन और सीईओ चक रॉबिन्स ने ट्रंप प्रशासन की वीजा और आव्रजन नीतियों को आड़े हाथों लिया।
न्यूयॉर्क, प्रेट्र। संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) की दिग्गज कंपनियों ने अस्थिर आव्रजन नीतियों को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सचेत किया है। अमेरिका में एपल, पेप्सिको, मास्टरकार्ड और सिस्को सिस्टम्स जैसी दिग्गज कंपनियों के प्रमुखों की सदस्यता वाले बिजनेस राउंडटेबल ने कहा है कि एच-1बी वीजा समेत आव्रजन की अन्य मौजूदा नीतियों से अमेरिकी कंपनियों की स्पर्धा को गहरा आघात लगेगा। अमेरिका की आंतरिक सुरक्षा मंत्री कर्स्टजेन नील्सन को लिखे पत्र में बिजनेस राउंडटेबल ने कहा कि अगर अमेरिका अपनी आव्रजन नीतियों पर इसी तरह अस्थिर बना रहा, तो देश के कंपनियों की स्पर्धात्मकता खत्म हो जाएगी।
कर्मचारियों में असमंजस और तनाव
पेप्सिको की चेयरपर्सन और सीईओ इंद्रा नूयी, एपल के सीईओ टिम कुक, मास्टरकार्ड के सीईओ अजय बंगा और सिस्को सिस्टम्स के चेयरमैन और सीईओ चक रॉबिन्स ने ट्रंप प्रशासन की वीजा और आव्रजन नीतियों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका की आव्रजन नीति में लगातार बदलाव से उन कर्मचारियों में असमंजस और तनाव पैदा होता है, जो कानून का सख्ती से पालन करते हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका में ग्रीन कार्ड की इतनी कमी है कि कई बार कर्मचारी दशकों तक आव्रजन प्रक्रिया में ही फंसे रहते हैं।
बीच में आव्रजन नीतियों में बदलाव नहीं हो
अमेरिका की शीर्ष कंपनियों ने कहा कि उनके गैरवाजिब खर्च में कटौती करने और अमेरिकी कारोबार की दुश्वारियां खत्म करने के लिए बेहद जरूरी है कि चल रही प्रक्रिया के बीच में आव्रजन नीतियों में बदलाव नहीं किए जाएं। उनका कहना था कि वर्तमान में कंपनियां यह तक नहीं जानतीं कि जिस वीजा का अनुमोदन पिछले महीने किया गया था, उसी की अवधि बढ़ाने संबंधी आवेदन अगले महीने स्वीकार किया जाएगा या नहीं।
नियमों में तत्काल बदलाव की जरूरत
इन कंपनियों ने खासतौर पर एच-1बी वीजा के मामले में सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि एच-1बी वीजा के तहत जीवनसाथी को अमेरिका में रहने देने संबंधी नियमों में तत्काल बदलाव की जरूरत है। कंपनियों का कहना था कि परिवार के साथ नहीं रहने वाले कर्मचारी आखिरकार अन्य देशों में नौकरी की तलाश करते हैं, जिसका खामियाजा घरेलू कंपनियों को भुगतना पड़ रहा है। गौरतलब है कि भारत और चीन से हर साल हजारों कर्मचारी एच-1बी वीजा लेकर अमेरिका में नौकरी करने जाते हैं। लेकिन पिछले दो-तीन वर्षो में नियमों में तेजी से बदलाव के चलते कंपनियों के लिए एच-1बी वीजा लेना मुश्किल हो गया है।