अमेरिका ने किया मुंबई हमलों में शामिल पाकिस्तानी कारोबारी तहव्वुर राणा को रिहा करने का विरोध
अमेरिका ने मुंबई हमलों में शामिल पाकिस्तानी मूल के कनाडाई कारोबारी तहव्वुर राणा को जमानत पर रिहा किए जाने का विरोध किया है। इससे भारत के साथ संबंधों में तनाव पैदा हो सकता है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिका ने मुंबई हमलों में शामिल पाकिस्तानी मूल के कनाडाई कारोबारी तहव्वुर राणा को जमानत पर रिहा किए जाने का विरोध किया है। उसने कहा है कि इससे भारत के साथ देश के संबंधों में तनाव पैदा हो सकता है।
उसने यह भी दलील दी है कि राणा भारत में सुनाई जा सकने वाली मौत की सजा से बचने के लिए कनाडा समेत किसी अन्य देश भाग सकता है। राणा (59) को अनुकंपा के आधार पर हाल ही में तब जेल से रिहा किया गया था, जब उसने अदालत को बताया था कि वह कोरोना से संक्रमित है। हालांकि भारत के प्रत्यर्पण के अनुरोध पर उसे 10 जून को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। भारत में राणा को भगोड़ा घोषित किया गया है।
अमेरिका के सहायक अटॉर्नी जॉन जे लुलेजियान ने लॉस एंजिलिस में एक संघीय अदालत से कहा, 'जमानत पर रिहा किए जाने पर इस बात की गारंटी नहीं है कि राणा अदालत में दोबारा पेश होगा। जमानत मंजूर किए जाने से विदेश मामलों के संबंध में अमेरिका को शर्मसार होना पड़ सकता है और इससे भारत के साथ उसके संबंधों में भी तनाव पैदा हो सकता है।' लुलेजियान ने अमेरिका सरकार की ओर से अपील की है कि भारत में राणा को प्रत्यíपत किए जाने की कार्रवाई संबंधी प्रस्ताव जब तक लंबित है, तब तक उसे रिहा नहीं किया जाए।
उन्होंने अनुरोध किया कि यदि उसे रिहा करने के आदेश पर विचार होता है, तो संबंधित पक्षों को उचित समय में इसके बारे में जानकारी दी जाए, ताकि अमेरिका भारत के साथ हुई संधि के तहत अपने दायित्वों को पूरा कर पाए। बता दें कि कैलिफोíनया सेंट्रल डिस्टि्रक के अमेरिका डिस्टि्रक्ट कोर्ट में न्यायाधीश जैक्लीन चूलजियान ने राणा के खिलाफ मामला लंबित रहने तक उसे जमानत पर रिहा करने या नहीं करने के मामले पर सुनवाई के लिए 30 जून की तारीख तय की है। राणा के खिलाफ भारत में 28 अगस्त, 2018 को गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था।
देश छोड़कर कनाडा भाग सकता है राणा
लुलेजियान ने राणा को रिहा किए जाने पर उसके देश छोड़कर जाने की आशंका जताते हुए कहा कि उसके कनाडा में जाने से भारत में उसका प्रत्यर्पण खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने तर्क दिया कि यदि राणा को भारत प्रत्यíपत किया जाता है और भारतीय अदालतें यदि उसे हत्या की साजिश रचने या हत्या के मामले में दोषी ठहराती हैं तो उसे मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
उन्होंने दलील दी कि राणा ऐसे भी किसी देश में भाग सकता है, जिसकी भारत के साथ प्रत्यर्पण संधि नहीं हो या कनाडा समेत किसी ऐसे देश में जा सकता है जो भारत से यह आश्वासन मिलने तक राणा को प्रत्यíपत नहीं करे कि उसे मौत की सजा नहीं दी जाएगी।