वाशिंगटन, पीटीआई। एक अध्ययन के अनुसार, अंटार्कटिक आइस कोर का विश्लेषण करके वैज्ञानिकों ने ग्रह के हाल के जलवायु का सबसे विस्तृत रूप पेश किया है जिसमें गर्मी और सर्दियों के तापमान शामिल है। इसे 11,000 साल पहले होलोसीन के नाम से जाना जाता था। यह अध्ययन 'नेचर जर्नल' में प्रकाशित किया गया है।
कम से कम समय में जलवायु को समझने की कोशिश
अध्ययन के प्रमुख लेखक और इंस्टीट्यूट ऑफ आर्कटिक एंड एल्पाइन रिसर्च (INSTAAR), कोलोराडो विश्वविद्यालय (CU), बोल्डर, यूएस में सहायक अनुसंधान के प्रोफेसर ने कहा, "अनुसंधान दल का लक्ष्य था कि कम से कम समय में जलवायु को समझने की कोशिश की जाए।" उन्होंने कहा कि यह अध्ययन पृथ्वी की जलवायु के बारे में एक लंबे समय से चले आ रहे थ्योरी के एक पहलू को भी मान्य करता है जो पहले सिद्ध नहीं हुआ है।
लंबे समय से हो रहा अध्ययन
अध्ययन के सह-लेखक और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया बर्कले, अमेरिका में प्रोफेसर कर्ट कफी ने कहा, "मैं काफी खुश हूं कि हमारा परिणाम पृथ्वी के हिम-युग जलवायु चक्रों को समझाने के लिए उपयोग किए जाने वाले सिद्धांत की पुष्टि करता है। इस थ्योरी में इस बात की पुष्टि की गई है कि सूरज की रोशनी की तीव्रता ध्रुवीय क्षेत्रों में गर्मियों के तापमान को नियंत्रित करती है और इस प्रकार बर्फ भी पिघलती है। दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने लंबे समय तक ध्रुवों से एकत्रित बर्फ के कोर का उपयोग करके पृथ्वी की पिछली जलवायु का अध्ययन किया है।
वेस्ट अंटार्कटिक आइस शीट (डब्ल्यूएआईएस) डिवाइड आइस कोर, अमेरिकी शोधकर्ताओं द्वारा ड्रिल किया गया अब तक का सबसे लंबा आइस कोर था जिसकी लंबाई 11,171 फीट या 2 मील से अधिक और 4.8 इंच डायमीटर था। इसमें 68,000 साल पहले के डाटा शामिल हैं। इसके बाद इस तरह के आइस कोर को सावधानी से छोटे-छोटे हिस्सों में काटा जाता है और दुनियाभर के आइस कोर लैब में सुरक्षित पहुंचाया जाता है। इसके बाद इसे संग्रहित किया जाता है या इसपर रिसर्च किया जाता है।
व्याख्या करने के उचित तरीके को पता करने में लगे 10 साल
जोन्स ने कहा, "इससे भी आगे, हमें इस डाटा को समझने के लिए पूरी तरह से एक नए तरीके को विकसित करना पड़ा था क्योंकि किसी ने इसे पहले कभी नहीं देखा था। हमें अतीत में किसी के द्वारा किए गए कार्यों को ऊपर बढ़-चढ़ चीजों को देखन पड़ा था। अध्ययन में कहा गया है कि कई साल पहले ड्रिल किए गए आइस कोर से डाटा की व्याख्या करने के उचित तरीके का पता लगाने में लगभग एक दस साल लग गए।
जोन्स ने बताया कि उनकी टीम का अगला कदम है कि ग्रह की जलवायु परिवर्तनशीलता को बेहतर ढंग से समझने के लिए दक्षिण ध्रुव और पूर्वोत्तर ग्रीनलैंड में जाए। जहां पहले कोर ड्रिल किए जा चुके हैं। जोन्स ने कहा, "लोगों के अंदर एक अजीब जिज्ञासा है जिसमें लोगों को जानना होता है कि दुनिया अतीत में कैसे काम करती थी और अतीत में क्या हुआ है क्योंकि इस बात का पता लगाकर हम यह भी जान सकते है कि भविष्य में क्या हो सकता है।"
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