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अमेजन की आग से ग्लेशियरों के लगातार पिघलने से भविष्य में बढ़ेगा समुद्र का जल स्तर

शोधकर्ताओं ने कहा ‘ये एयरोसोल्स बर्फ पर जमा होते हैं और ग्लेशियरों के पिघलने की दर बढ़ा देते हैं। बर्फ की चादर पर ब्लैक कार्बन के कण गिरने से ग्लेशियरों चमक भी फीकी हो जाती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 30 Nov 2019 09:22 AM (IST)Updated: Sat, 30 Nov 2019 09:22 AM (IST)
अमेजन की आग से ग्लेशियरों के लगातार पिघलने से भविष्य में बढ़ेगा समुद्र का जल स्तर
अमेजन की आग से ग्लेशियरों के लगातार पिघलने से भविष्य में बढ़ेगा समुद्र का जल स्तर

वाशिंगटन, प्रेट्र। ब्राजील में अमेजन के जंगलों में लगी आग का असर दो हजार किलोमीटर दूर स्थित ग्लेशियरों पर भी पड़ रहा है। एक नए अध्ययन में दक्षिण अमेरिका की एंडीज पर्वतमाला में भी इसका प्रभाव देखा गया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक इसके कारण यहां ग्लेशियर तेजी से पिघलने लगे हैं। साइंटिफिक रिपोर्टस नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि जंगलों में आगजनी से बायोमास जलने से बने एयरोसोल्स (ब्लैक कार्बन) को हवा अपने साथ एंडियन ग्लेशियरों तक ले जा रही है।

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शोधकर्ताओं ने कहा, ‘ये एयरोसोल्स बर्फ पर जमा होते हैं और ग्लेशियरों के पिघलने की दर बढ़ा देते हैं। बर्फ की चादर पर ब्लैक कार्बन के कण गिरने से ग्लेशियरों चमक भी फीकी हो जाती है। इसे अल्बिडो रिड्यूशन कहा जाता है।’

ब्राजील के रियो डी जेनेरियो स्टेट यूनिवर्सिटी के न्यूटन डी मैगलस नेटो और उनके सहयोगियों ने बोलिवियाई जोंगो ग्लेशियर पर अमेजन बेसिन के बायोमास के संभावित प्रभाव का एक मॉडल तैयार किया। इसके लिए उन्होंने वर्ष 2000 से 2016 तक आग लगने की घटनाओं, धुएं, वर्षा और ग्लेशियर के पिघलने की गति का अध्ययन कर जुटाए गए आंकड़ों का इस्तेमाल किया।

इस दौरान शोधकर्ताओं ने साल 2007 और 2010 के आंकड़ों का खास ध्यान रखा क्योंकि इस बीच अमेजन के बेसिन में आगजनी की सर्वाधिक घटनाएं हुई थीं। शोधकर्ताओं ने ब्लैक कार्बन के कारण ‘स्नो एल्बिडो रिड्यूशन’ की भी जांच की। इससे पहले तक बर्फ की चमक फीकी होने का कारण धूल के कणों को माना जाता था। उनके मॉडल से पता चला कि अकेले ब्लैक कार्बन और धूल के कारण सालाना ग्लेशियर के पिघलने की दर में तीन-चार फीसदी की बढ़ोतरी की संभावना है और यदि इन दोनों कारकों का असर एकसाथ होता है तो बर्फ पिघलने की दर छह फीसद तक बढ़ जाती है।

शोधकर्ताओं ने कहा, ‘धूल की मात्रा अधिक होने पर ग्लेशियर सालाना 11 से 13 फीसद तक पिघल सकते हैं और ब्लैक कार्बन के कणों के कारण बर्फ पिघलने की दर 12 से 14 फीसद की बढ़ोतरी हो सकती है।’ उन्होंने कहा कि अध्ययन के परिणाम बताते हैं बर्फ में धूल के कणों की मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि अमेजन के जंगलों से कितनी मात्रा में बायोमास के एयरोसोल्स हवा की मदद से यहां तक पहुंचे हैं।

प्रभावित होंगे ग्लेशियर

शोधकर्ताओं ने कहा कि बढ़ती खाद्य पदार्थों की मांग के परिणामस्वरूप ब्राजील में वनों की कटाई का और विस्तार हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप ब्लैक कार्बन और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में वृद्धि हो सकती है जो एंडियन ग्लेशियरों को प्रभावित कर सकती है।


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