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यूं ही नहीं अमेरिका में गन कल्चर की भेंट चढ़ रहे मासूम बच्चे, ये है असली कारण...

हाल में हुए एक सर्वे में बहुसंख्य निवासियों ने हैंडगंस पर प्रतिबंध लगाने तक की इच्छा जाहिर की है। अगर ऐसा है तो फिर अमेरिका में गन कल्चर को जल्द खत्म हो जाना चाहिए।

By Digpal SinghEdited By: Published: Wed, 21 Mar 2018 07:13 PM (IST)Updated: Wed, 21 Mar 2018 07:21 PM (IST)
यूं ही नहीं अमेरिका में गन कल्चर की भेंट चढ़ रहे मासूम बच्चे, ये है असली कारण...
यूं ही नहीं अमेरिका में गन कल्चर की भेंट चढ़ रहे मासूम बच्चे, ये है असली कारण...

 अंशु सिंह। छह वर्षों में करीब सात हजार बच्चे गन कल्चर (बंदूक से होने वाली हिंसा) की भेंट चढ़ गए। अमेरिका में इस चौंकाने वाले आंकड़े का तब खुलासा हुआ, जब हाल में कैपिटल बिल्डिंग के सामने सात हजार जोड़े जूतों के साथ स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया। जानते हैं, क्यों सहमे हैं अमेरिका के बच्चे...

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कुछ महीने पहले ही फ्लोरिडा के पार्कलैंड स्थित हाई स्कूल कैंपस में हुई अंधाधुंध फायरिंग में करीब 17 बच्चों की मौत हो गई। यह इस वर्ष घटने वाली छठी ऐसी घटना थी। इससे पहले वर्ष 2012 में सैंडी हूक में एक स्कूल में हुई गोलीबारी में 26 बच्चे मारे गए थे। स्कूल के अलावा बीते वर्ष लास वेगस में एक कंसर्ट के दौरान भी भीषण गोलीबारी हुई थी, जिसमें 58 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इन तमाम हादसों के बाद यही सवाल उठा कि आखिर गन की ऑनरशिप को और कैसे सख्त किया जाए? वैसे, गैलप के एक सर्वे में बहुसंख्य निवासियों ने हैंडगंस पर प्रतिबंध लगाने तक की इच्छा जाहिर की है।

सस्ते में मिलते हथियार
2017 में अमेरिका में हुए एक सर्वे से पता चला कि वहां लगभग 40 प्रतिशत लोगों के पास गन (हथियार) होते हैं। हैरानी की बात यह भी है कि देश में गन खरीदना कहीं सस्ता है। जैसे, लास वेगस के हमलावर स्टीफन पैडॉक के पास से बरामद हैंडगन्स की कीमत क्रोमबुक लैपटॉप के बराबर थी। न्यूयॉर्क टाइम्स के अपने लेख में रॉबर्ट लियोनार्ड लिखते हैं कि कैसे जब उन्होंने अपने जान-पहचान के पुलिस अधिकारी से गोलीबारी की घटनाओं पर अंकुश लगाने की बाबत चर्चा की, तो अधिकारी ने कहा कि अगर सही बैकग्राउंड चेकिंग के बाद हथियार के लाइसेंस दिए जाएं और आम लोग हथियारों की बजाय शिक्षा हासिल करने पर ध्यान दें, तो स्थिति में परिवर्तन आ सकता है।

किशोर भी खरीद सकते हैं गन
दिलचस्प यह है कि जिस अमेरिका में 21 वर्ष की उम्र से पहले अल्कोहल खरीदना गैर-कानूनी है। वहां, ज्यादातर राज्यों में युवा 18 वर्ष की उम्र से पहले ही एआर-15 मिलिट्री स्टाइल राइफल खरीद सकते हैं। फेडरल लॉ के तहत जहां हैंडगन खरीदने के लिए सख्त अहर्ताएं हैं। 21 वर्ष के ऊपर के उम्र वाले किसी लाइसेंसी डीलर से इसे खरीद सकते हैं। वहीं, मिलिट्री स्टाइल राइफल के लिए कोई विशेष नियम या सख्ती नहीं है। इससे ही यह हथियार सामूहिक गोलीबारी करने वाले हमलावरों का पसंदीदा हथियार बन गया है। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सेमी-ऑटोमेटिक राइफल खरीदने के लिए उम्र सीमा 18 से 21 वर्ष करने की बात कही है। लेकिन स्कूल कर्मियों को हथियारों की ट्रेनिंग देने का उनका प्रस्ताव थोड़ा विवादों में आ गया है।

अमेरिका में सांस्कृतिक संकट
दिल्ली स्थित राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के प्रोफेसर सुरेश कुमार, अमेरिका के इस गन कल्चर को एक सांस्कृतिक संकट मानते हैं। वे कहते हैं, स्कूलों में होने वाली अंधाधुंध गोलीबारी के लिए सिर्फ बंदूकों की आसान उपलब्धता को जिम्मेदार नहीं मान सकते। वहां जिस तरह का ओपन कल्चर रहा है, परिवारों में न्यूनतम आपसी बॉन्डिंग होती है, बच्चे कम उम्र में ही स्वतंत्र रहने व अपने निर्णय खुद लेने लगते हैं, उससे आत्मकेंद्रित होने का खतरा रहता है। इसके अलावा, सामाजिक विषमताएं एवं अमीरी-गरीबी की खाई, बेरोजगारी व समान शिक्षा का माहौल न मिलने से भी इस गन संस्कृति को पनपने का मौका मिल रहा है। पश्चिम के प्रभाव में अब भारतीय स्कूलों में भी हिंसा एवं यौन शोषण के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं।

डरे बच्चे लिख रहे वसीयत
अमेरिका में जब भी ऐसे खूनी खेल खेले जाते हैं, तो उसका सीधा असर बच्चों पर होता है। घर, बाहर, स्कूल, समुदाय में होने वाली गोलीबारी की घटनाओं ने उनके मन-मस्तिष्क पर इतना गहरा मानसिक प्रभाव डाला है कि बच्चे सहम गए हैं। चाइल्ड वेल्फेयर लीग ऑफ अमेरिका (सीडब्ल्यूएलए) का मानना है कि अब समय आ गया है जब गन कल्चर पर होने वाली बहस को व्यापक बनाया जाए। इस प्रकार की हिंसा से समाज पर पड़ने वाले भावनात्मक, शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक इंपैक्ट के बारे में भी सोचा जाना चाहिए। बच्चे इतने सहम गए हैं कि अभी से अपनी वसीयत तक लिखने लगे हैं। इधर, कनाडा सरकार भी सचेत हो गई है। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने देश में बंदूक की बिक्री पर नियंत्रण को और सख्त बनाने के लिए नए कानून का प्रस्ताव दिया है।


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