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यरुशलम को लेकर मुस्लिमों को भड़का रहा अल कायदा आतंकी जवाहिरी, जारी किया वीडियो

यरुशलम में अमेरिकी दूतावास के स्थानांतरित होने के फैसले पर अल कायदा सरगना जवाहिरी भड़का हुआ है। उसने मुस्लिमों से जिहाद करने की अपील की है।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Mon, 14 May 2018 09:41 AM (IST)Updated: Mon, 14 May 2018 11:15 AM (IST)
यरुशलम को लेकर मुस्लिमों को भड़का रहा अल कायदा आतंकी जवाहिरी, जारी किया वीडियो
यरुशलम को लेकर मुस्लिमों को भड़का रहा अल कायदा आतंकी जवाहिरी, जारी किया वीडियो

वॉशिंगटन (एएफपी)। आतंकी संगठन अल कायदा का सरगना अयमान-अल-जवाहिरी अमेरिका के खिलाफ जिहाद करने के लिए मुस्लिमों को उकसा रहा है। ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद अल कायदा की कमान जवाहिरी संभाल रहा है। यरुशलम में अमेरिकी दूतावास के स्थानांतरित होने के फैसले पर जवाहिरी भड़का हुआ है। उसने कहा कि अमेरिका का यरुशलम में अपना दूतावास ले जाना इस बात का सबूत है कि फिलिस्तीन के साथ बातचीत और शांति की कोशिशें नाकाम हो चुकी हैं। वो यहीं नहीं रुका, उसने कहा कि अब मुस्लिमों को अमेरिका के खिलाफ जिहाद करना चाहिए।

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मुस्लिमों के नाम जवाहिरी का वीडियो संदेश

जवाहिरी ने मुस्लिमों के नाम पांच मिनट का एक वीडियो संदेश जारी किया है। 'मुस्लिमों की भी धरती है तेल अवीव' नाम के शीर्षक से उसने वीडियो जारी किया। जिसमें उसने मुस्लिमों से अमेरिका के खिलाफ जिहाद करने की अपील की है। उसने कहा, 'अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सोच एकदम साफ है। अब आधुनिक जेहाद का वक्त आ गया है, जिसमें शांति की कोशिशें नाकाम ही रहेंगी, अगर हमें बचे रहना है तो हथियार उठाना ही होगा।' उसने आगे कहा, 'ओसामा बिल लादेन ने भी अमेरिका को अपना सबसे बड़ा दुश्मन माना था। शपथ ली थी कि तब तक सुरक्षा स्थापित नहीं हो सकती, जब तक सेनाएं मोहम्मद की धरती को नहीं छोड़ देतीं।' उसने तर्क दिया कि इस्लामी देश संयुक्त राष्ट्र में प्रवेश करके मुसलमानों के हितों में कार्य करने में नाकाम रहे हैं। ये वो देश हैं जो इजरायल को मान्यता देते हैं और शरिया (इस्लामी कानून) के बजाय सुरक्षा परिषद और महासभा के प्रस्तावों को मानते हैं। बता दें कि जवाहिरी मिस्री मूल का डॉक्टर है। साल 2011 में लादेन के मारे जाने के बाद से वह अल कायदा का सबसे बड़ा नेता है।

अमेरिका ने यरुशलम को राजधानी के रूप में मान्यता दी

बता दें कि पिछले साल दिसंबर में अमेरिका ने यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता दी थी। अब वह अपना दूतावास भी तेल अवीव से यरुशलम शिफ्ट कर रहा है। आज उसका उद्घाटन समारोह भी हैं। हालांकि ट्रंप के इस फैसले का कई देशों ने विरोध किया है।

इजरायल में जश्न, विरोध में फिलीस्तीन

यरुशलम में अमेरिकी दूतावास के उद्घाटन से एक दिन पहले यानी 13 मई को इजरायल में 'यरुशलम डे' मनाया गया और इस मौके पर अमेरिकी समर्थकों ने मार्च निकाला। वहीं, आज अमेरिका तेल अवीव से अपने दूतावास को यरुशलम शिफ्ट करेगा। बता दें कि 1948 में इजरायल ने आजादी की घोषणा करते हुए खुद को एक अलग देश के रूप में मान्यता दी थी। इस दौरान इजरायल से करीब 7 लाख फिलिस्तीनियों को देश छोड़कर जाना पड़ा था। इन सब के बीच फिलिस्तीनियों ने गाजा पट्टी में बड़े प्रदर्शन की तैयारी की है।

जानिए विवाद की वजह क्या?

-  इजरायल पूरे यरुशलम को राजधानी बताता है

- वहीं, फिलिस्तीनी पूर्वी यरुशलम को अपनी राजधानी बताता है

- इस इलाके को इजरायल ने 1967 में कब्जे में ले लिया था

- यरुशलम में यहूदी, मुस्लिम और ईसाई तीनों धर्मों के पवित्र स्थल हैं

- टेंपल माउंट यहूदियों का सबसे पवित्र स्थल है, वहीं अल-अक्सा मस्जिद को मुसलमान पाक मानते हैं

- विवाद के कारण यरुशलम में किसी भी देश का दूतावास नहीं है

- संयुक्त राष्ट और दुनिया के ज्यादातर देश पूरे यरुशलम पर इजरायल के दावे को मान्यता नहीं देते

- 1948 में इजरायल ने आजादी की घोषणा की थी

- 86 देशों के दूतावास तेल अवीव में हैं


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