Move to Jagran APP

किसी जंगल के आधे क्षेत्र को खो देने के बाद तेजी से होती है शेष भाग की कटाई

शोधकर्ताओं ने अध्ययन के जरिये वनों की कटाई की घटनाओं की एक ऐसी शृंखला की पहचान की है जिसके चलते दूरगामी प्रभावों में तेजी आ जाती है और वन क्षेत्रों की कमी तेजी से होने लगती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 09 Jan 2020 09:10 AM (IST)Updated: Thu, 09 Jan 2020 09:10 AM (IST)
किसी जंगल के आधे क्षेत्र को खो देने के बाद तेजी से होती है शेष भाग की कटाई
किसी जंगल के आधे क्षेत्र को खो देने के बाद तेजी से होती है शेष भाग की कटाई

न्यूयॉर्क, प्रेट्र। धरती पर हर तरह के संतुलन को बनाए रखने के लिए जंगल बेहद जरूरी हैं। इनकी कमी कई तरह से घातक साबित हो सकती है। दुनियाभर के देश वन क्षेत्रों के विस्तार के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन लगातार बढ़ती आबादी व अन्य कारणों के चलते इनमें निरंतर कमी दर्ज की जा रही है। इस कड़ी में भविष्य की एक चिंताजनक तस्वीर सामने आई है।

loksabha election banner

शोधकर्ताओं ने अध्ययन के आधार पर दावा किया है कि वनों की कमी धरती की तस्वीर को बदल देगी। अध्ययन में कहा गया है कि जब कोई जंगल अपने आधे क्षेत्र को खो देता है तो शेष क्षेत्र की कटाई तेजी से होती है। यानी शेष क्षेत्र के खत्म होने की गति में वृद्धि हो जाती है। वैश्विक स्तर पर ऐसी स्थिति देखी गई है और यह स्थिति भविष्य के लिए घातक साबित हो सकती है। अमेरिका की सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अध्ययन के जरिये वनों की कटाई की घटनाओं की एक ऐसी शृंखला की पहचान की है, जिसके चलते दूरगामी प्रभावों में तेजी आ जाती है और वन क्षेत्रों की कमी तेजी से होने लगती है।

इस तरह से किया अध्ययन

भूगोलवेत्ताओं ने इस अध्ययन के लिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) से प्राप्त हाई रेजलूशन की तस्वीरों का प्रयोग किया। इन तस्वीरों में 1992 से 2015 के बीच धरती के नौ किलोमीटर में फैले क्षेत्र में मौजूद वनों की गहराई से जानकारी मौजूद थी।

यह आया सामने

इस अध्ययन को जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इसमें बताया गया है कि शोधकर्ताओं ने उपरोक्त समय में वन क्षेत्र में आए परिवर्तन का तुलनात्मक अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने तस्वीरों के विश्लेषण के आधार पर पता लगाया कि शुरुआत में वनों की कटाई धीरे-धीरे होती है, लेकिन एक बार जब आधा जंगल खत्म हो जाता है तो शेष के गायब होने की रफ्तार बेहद तेजी से बढ़ जाती है।

साथ-साथ नहीं रह सकते जंगल और कृषि योग्य भूमि

शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में और भी कई चीजों का पता लगाया है। इसमें सामने आया है कि मिश्रित क्षेत्र जैसे कृषि योग्य भूमि और जंगल का साथसाथ होना लंबे समय तक स्थायी नहीं हो सकता। ये मिश्रित क्षेत्र समय के साथ-साथ सजातीय बन जाते हैं। अध्ययन के आधार पर शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि प्रकृति में एक अंतर्निहित तंत्र मौजूद है, जो मिश्रित क्षेत्र के बीच के अंतर को दूर कर देता है।

लगातार जारी रहता है बदलाव

कहते हैं, परिवर्तन सृष्टि का नियम है और इस नवीन अध्ययन में भी यही बात सामने आ रही है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, दुनिया के प्रत्येक कोने के भूदृश्य में लगातार परिवर्तन होता रहता है। कभी इसके पीछे प्राकृतिक कारण होते हैं तो कभी इंसानी। अध्ययन में इस बात को प्रमुखता से उभारा गया है कि वन क्षेत्रों की कटाई मानव द्वारा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों कारणों से होती है। एक तरफ मानव प्रत्यक्ष रूप से इसकी कटाई करते हैं और फिर उस कटाई की वजह से अप्रत्यक्ष रूप से यानी जलवायु परिवर्तन के कारण वन क्षेत्र में कमी होती है।

शोध में पेश की गई भविष्य की तस्वीर

शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि हम समय रहते नहीं चेते और वनक्षेत्रों में लगातार हो रही कमी को नहीं रोका गया तो जब यह क्षेत्र धरती पर आधे रह जाएंगे तो इनकी गायब होने की दर बढ़ जाएगी। इस अध्ययन के सह लेखक टोमाज स्टेपिंस्की के मुताबिक, इस अध्ययन में 23 साल के डाटा का प्रयोग किया गया है जो एक छोटी अवधि है। यदि हम इसे व्यापक स्तर पर देखें तो आशंका है कि ऐसा परिवर्तन धरती के लिए बेहद घातक साबित हो।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.