बगदादी को मारने के बाद भी आइएस के ठिकानों पर हमले जारी रखेगी अमेरिकी सेना
आइएस हिंसक वारदातों को अंजाम देने में यकीन रखता है। वह अपने समर्थकों को जहां हो वहीं मारो का संदेश देता है।
वाशिंगटन, एपी। आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) के सरगना अबू बकर अल-बगदादी की मौत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भले ही सीरिया छोड़ने के लिए नया तर्क उपलब्ध करा दिया हो, लेकिन आतंकियों के खिलाफ अमेरिका का सैन्य अभियान अभी खत्म नहीं हुआ है।
अमेरिकी सेना द्वारा बगदादी को मार गिराए जाने के बाद आइएस में कोई सरगना नहीं बचा है। इस आतंकी संगठन को गत मार्च में ही बड़ा झटका लगा था, जब अमेरिका सेना और कुर्दिश लड़ाकों ने उसके कब्जे वाले अंतिम क्षेत्र से भी उसे खदेड़ दिया था। इस्लाम के स्वघोषित खलीफा बगदादी ने ही इराक और सीरिया में आइएस का जाल बुना था।
वर्ष 2008 में अमेरिकी नेतृत्व वाली सेना ने इराक में अलकायदा को हरा दिया था। इसके बचे हुए आतंकियों ने बाद में आइएस का गठन किया। इस आतंकी संगठन का उद्देश्य खुद को फिर से संगठित करना है, जो इराक, अफगानिस्तान और अन्य क्षेत्रों के लिए गंभीर खतरा हो सकता है। ट्रंप प्रशासन की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की आतंकवाद निरोधी इकाई के पूर्व निदेशक क्रिस कोस्टा ने कहा, 'आइएस की निचली पंक्ति अभी बाकी है..उसकी विचारधारा लोगों में घर कर चुकी है और अभी जिंदा है।'
आइएस की मूल विचारधारा है- हिंसा
आइएस हिंसक वारदातों को अंजाम देने में यकीन रखता है। वह अपने समर्थकों को 'जहां हो, वहीं मारो' का संदेश देता है। यहां तक कि वह अमेरिका में रहने वाले अपने समर्थकों को भी हिंसा के लिए उकसाता है। इससे आशंका है कि बगदादी के मारे जाने के बावजूद उसका जिहादी संदेश कहीं जिंदा न रह जाए।
इसका मतलब है कि अमेरिकी सेना आइएस के ठिकानों पर हमले जारी रखेगी। ट्रंप ने भी कहा था, 'मैं वर्ष 2016 में शुरू किए गए अभियान के लिए प्रतिबद्ध हूं, जिसमें लोगों की घर वापसी सुनिश्चित करना और मेरे शासन से पहले शुरू हुए इस अंतहीन युद्ध को खत्म करने का संकल्प शामिल है।'