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अमेरिकी संसद में तिब्बत को अलग देश का दर्जा देने का बिल किया गया पेश

अमेरिकी संसद के प्रतिनिधि स्कॉट पेरी ने तिब्बत को अलग और स्वतंत्र देश की मान्यता देने के लिए कांग्रेस (अमेरिकी संसद) में एक विधेयक (बिल) पेश किया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 07:50 PM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 07:50 PM (IST)
अमेरिकी संसद में तिब्बत को अलग देश का दर्जा देने का बिल किया गया पेश
अमेरिकी संसद में तिब्बत को अलग देश का दर्जा देने का बिल किया गया पेश

वाशिंगटन, एएनआइ। अमेरिकी संसद के प्रतिनिधि स्कॉट पेरी ने तिब्बत को अलग और स्वतंत्र देश की मान्यता देने के लिए कांग्रेस (अमेरिकी संसद) में एक विधेयक (बिल) पेश किया है। सेंट्रल तिब्बत प्रशासन ने 25 मई को जारी अपनी रिपोर्ट में बताया कि पेरी ने 19 मई को विदेशी मामलों की हाउस कमेटी के समक्ष अपना बिल पेश किया। सेंट्रल तिब्बत प्रशासन को तिब्बत की निर्वासित सरकार के रूप में भी जाना जाता है। इस बिल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मान्यता के लिए व्हाइट हाउस भेजा गया है। 

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तिब्बत से संबंधित दो विधानों को लागू करने की मांग

पेनसिलेवेनिया के सीनेटर स्कॉट पेरी कांग्रेस के उन 32 सदस्यों में शामिल रहे हैं जिन्होंने टॉम लैंटोस के अमेरिकी विदेश मंत्री को लिखे गए उस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें तिब्बत से संबंधित दो विधानों को लागू करने की मांग की गई थी। पेरी ने अपने बिल में तिब्बत के मसले पर बीजिंग पर दबाव बढ़ाने की मांग की है। उल्लेखनीय है कोरोना को लेकर इस समय अमेरिका और चीन के संबंध पहले ही काफी तनावपूर्ण हैं। पेरी ने 22 मई को हांगकांग के लोगों के पक्ष में भी इसी तरह का एक बिल पेश किया था। इस बिल में हांगकांग में स्वतंत्र लोकतंत्र के लिए वहां के लोगों के समर्थन में खड़े होने की बात कही गई है।

24 वर्ष की उम्र में दलाई लामा को छोड़ना पड़ा था देश

तिब्बत पर चीन के आक्रमण के बाद वर्ष 1959 में दलाई लामा को अनुयायियों के साथ देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था। उस समय उनकी उम्र महज 24 वर्ष की थी। दलाई लामा बेहद जोखिम भरे रास्तों को पारकर भारत पहुंचे थे। कुछ दिन उन्हें देहरादून में ठहराया गया था। उसके बाद उन्हें धर्मशाला के मैक्लोडगंज में रहने की सुविधा दी गई है। यहां उनका पैलेस, बौद्ध मंदिर है। इसके कुछ फासले पर ही निर्वासित तिब्बत सरकार भी कार्य करती है।


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