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2015 में वायु प्रदूषण से 42 लाख मौतें, मधुमेह और फ्लू की बीमारी से मरने वालों के मुकाबले कहीं अधिक

साल 2015 में वायु प्रदूषण से 42 लाख मौतें हो चुकी है। ये आंकड़ें मधुमेह और फ्लू की बीमारी से मरने वालों के मुकाबले कहीं अधिक है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 05:40 PM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2019 05:40 PM (IST)
2015 में वायु प्रदूषण से 42 लाख मौतें, मधुमेह और फ्लू की बीमारी से मरने वालों के मुकाबले कहीं अधिक
2015 में वायु प्रदूषण से 42 लाख मौतें, मधुमेह और फ्लू की बीमारी से मरने वालों के मुकाबले कहीं अधिक

नई दिल्ली [न्यूयार्क टाइम्स]। ग्लोबल वर्मिंग और वायु प्रदूषण का असर दुनिया के तमाम हिस्सों में दिख रहा है। एक सर्वे में ये सामने आया है कि साल 2015 में दुनियाभर में जो 4.2 मिलियन लोगों की मौतें हुई उसके लिए आउटडोर पार्टिकुलेट प्रदूषण जिम्मेदार रहा।

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एक बात ये भी सामने आई कि गंदी हवा में सांस लेने से लाखों लोग बीमार पड़ जाते हैं। यह प्रदूषण मुख्य रूप से जलती हुई चीजों से आता है, इसमें बिजली संयंत्रों में जलाए जाने वाला कोयला, कारों में गैसोलीन, औद्योगिक प्रक्रियाओं में रसायन शामिल है। यदि किसी वजह से जंगल में आग लग जाती है तो उस दौरान भी जो हवा उड़ती है उससे भी प्रदूषण होता है।

पीएम2.5 (PM2.5)के कण

पीएम 2.5(धूल के महीन कण) बहुत ही महीन होते हैं, ये खुली आंखों से दिखाई नहीं देते और सबसे अधिक नुकसान भी यही पहुंचाते हैं। कहा जाता है कि ये कण समुद्र तट रेत के दाने से भी लगभग 35 गुना छोटे होते हैं। जब तेज हवा चलती है तो ये आकाश में ऊपर चले जाते हैं और जब लोग सांस लेते हैं तो ये सांस के सहारे उनके शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं। शरीर के अंदर जाने के बाद ये कई तरह से नुकसान पहुंचाते हैं। लंबे समय तक ऐसे कणों के संपर्क में रहने के कारण कैंसर होने की भी संभावना रहती है। 2015 में दुनिया भर में अनुमानित 4.2 मिलियन मौतों के लिए पीएम2.5(आउटडोर पार्टिकुलेट प्रदूषण) जिम्मेदार था, जिसमें अधिकांश पूर्व और दक्षिण एशिया में केंद्रित थे।

पीएम2.5 (PM2.5)कण के नुकसान

PM2.5 हमारे शरीर के बचाव(रोग प्रतिरोधक क्षमता) को कम करता है, फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर जाता है। ये हमारे शरीर के रक्तप्रवाह में भी प्रवेश कर सकता है। यह अस्थमा और फेफड़ों के अन्य विकारों को बढ़ाता है और दिल के दौरे और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता है। यह सूक्ष्म प्रदूषण प्रत्येक कण 2.5 माइक्रोमीटर से अधिक छोटा होता है। बच्चों में विकास संबंधी समस्याओं और वृद्ध लोगों में संज्ञानात्मक हानि और साथ ही समय से पहले प्रसव और कम जन्म के वजन से जुड़ा हुआ है।

प्रदूषण का उच्च स्तर

कोलम्बिया विश्वविद्यालय से संबद्ध एक पर्यावरण विश्लेषक और अनुसंधान वैज्ञानिक एलेक्जेंड्रा करंबेलस ने कहा कि आप प्रदूषण के उच्च स्तर के तहत हैं। इससे परेशान होकर आप कार्य नहीं कर सकते, आप रोमांचित नहीं हो सकते। आज के समय में स्वच्छ हवा तक पहुंच एक बुनियादी मानव अधिकार की तरह है। विकासशील और नव औद्योगीकृत क्षेत्र आज सबसे खराब वायु प्रदूषण से जुझ रहे हैं। लेकिन यहां तक ​​कि उच्च आय, विकसित अर्थव्यवस्थाएं, जिन्होंने इस तरह के प्रदूषण को कम करने में बड़ी प्रगति की है।

संयुक्त राज्य में सबसे अधिक अच्छी हवा

ऐसा कहा जाता है कि संयुक्त राज्य में दुनिया की सबसे स्वच्छ हवा है। इसके बावजूद साल 2015 में 88 हजार मौतें समय से पहले हो चुकी हैं। इस वजह से वैज्ञानिक अब इस प्रदूषण को मधुमेह और फ्लू दोनों की तुलना में अधिक घातक मान रहे हैं। एक बात ये भी कही जा रही है कि अमेरिका में प्रदूषण 2016 के बाद से बदतर हो गया है, इसमें गिरावट का सिलसिला जारी है।  


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