#10YearsChallenge: आपने भी FB पर ये चैलेंज लिया है तो हो जाएं सावधान, जानें क्या है खतरा
10YearsChallenge: सोशल साइट पर ये चैलेंज इन दिनों काफी लोकप्रिय हो रहा। FB पर ही अब तक 50 लाख से ज्यादा लोग इसका हिस्सा बन चुके हैं। जानें- साइबर विशेषज्ञ क्यों बता रहे खतरा।
वाशिंगटन [द न्यूयार्क टाइम्स]। 10 ईयर चैलेंज (#10YearsChallenge) सोशल मीडिया से जुड़ा करीब हर व्यक्ति आज इन शब्दों से परिचित है। लोग हैशटैग 10 ईयर चैलेंज के तहत उत्साह के साथ अपनी तस्वीरें साझा कर रहे हैं। दरअसल इस चैलेंज के तहत लोगों को अपनी दो तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करने को कहा जा रहा है। एक तस्वीर आज की और एक 10 साल पहले की।
इस चैलेंज को लोग हाथों-हाथ ले रहे हैं। सामान्य यूजर से लेकर सेलेब्रिटी तक सब इस चैलेंज के तहत तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं। कुछ लोगों ने इसे निजी तस्वीरों से आगे का चैलेंज भी बना दिया है। अपनी-अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के हिसाब से लोग सरकार के कामों के तुलनात्मक अध्ययन के लिए भी इस चैलेंज का रास्ता अपना रहे हैं। जलवायु परिवर्तन से धरती पर पड़ रहे असर और बदलते परिवेश की झलक भी इसके माध्यम से दिख रही है, लेकिन इस अभियान के बीच एक पोस्ट ने लोगों को उलझन में डाल दिया है।
लेखिका केट ओ’नील ने अपनी पोस्ट में इस पूरे अभियान के पीछे की मंशा पर ही सवाल उठा दिया है। उनका कहना है कि इस अभियान के नाम पर लोग अनजाने में ही बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों को एक खास किस्म का डाटा सौंप रहे हैं। प्रौद्योगिकी और तकनीकी लेखन के क्षेत्र में केट एक जाना-पहचाना नाम हैं। इसलिए अभियान पर उनके संदेह जताने के बाद कई लोग इस पर संदेह जताने लगे हैं।
केट को लगता है कि यह अभियान महज तस्वीरें साझा करने का नहीं है, बल्कि बड़ी टेक कंपनियां इसकी मदद से खास डाटा जुटा रही हैं। यह अभियान कंपनियों को बैठे-बिठाए लोगों की शक्ल पहचानने का मौका दे रहा है। इसकी मदद से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) के क्षेत्र में काम कर रही कंपनियां लोगों की शक्ल पहचानने के लिए ज्यादा कारगर सॉफ्टवेयर विकसित करने में सक्षम हो सकती हैं। यह अभियान मुख्यरूप से फेसबुक और इंस्टाग्राम पर चल रहा है। हाल में फेसबुक पर लगे डाटा चोरी के आरोपों को देखते हुए लोगों को केट की बात पर भरोसा भी हो रहा है।
कैसे हो सकता है डाटा का इस्तेमाल?
इस अभियान के जरिये ऑर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (AI) पर काम करने वाली मशीन को किसी व्यक्ति की ऐसी दो तस्वीरें मिल जाएंगी, जिनमें 10 साल का अंतर है। इनकी मदद से मशीन के लिए यह समझना आसान होगा है कि 10 साल में उस व्यक्ति का चेहरा कितना और किस तरह बदला। बड़े पैमाने पर ऐसे डाटा के अध्ययन से ऐसा एल्गोरिदम तैयार करना संभव हो सकता है, जिसकी मदद से किसी भी व्यक्ति की 10 साल पुरानी तस्वीर के जरिये उसकी आज की शक्ल का सटीक अंदाजा लग सके। ये एक तरह से आपकी पहचान चोरी करने का माध्यम बन सकता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों का मानना है कि फेसबुक जैसी कंपनियों के पास पहले से ही लोगों का इतना अथाह डाटा पड़ा है कि इस अभियान से मिला डाटा उसके सामने कुछ भी नहीं। विशेषज्ञों का एक वर्ग यह भी मानता है कि अगर ऐसे डाटा की मदद से कोई बेहतर एआइ आधारित सॉफ्टवेयर तैयार किया भी जाता है, तो यह अच्छा ही होगा। ऐसा सॉफ्टवेयर अपराधियों को पकड़ने में खासा मददगार हो सकता है।