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महिला सशक्तिकरण की राह पर बढ़ता भारत

नई दिल्ली [अभिषेक पाण्डेय]। पिछले 30 सालों में समाजिक, आर्थिक व राजनीतिक समानता को बढ़ाने वाले कदमों या उपायों के जरिये महिलाओं के सशक्तिकरण की आवश्यकता और मूलभूत मानवाधिकारों तक महिलाओं की पहुंच, पोषण व स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार के बारे में जागरूकता बढ़ी है। महिलाओं के दूसरे दर्ज का नागरिक होने के बारे में जागरूकता बढ़ने के साथ-साथ जाति, वर्ग, आयु व धार्मिकता जैसे दूसरे कारकों के संबंध में समाजिक-सांस्कृतिक अनुकूलन के रूप में लिंग की धारण

By Edited By: Published: Tue, 05 Feb 2013 05:00 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2013 04:22 PM (IST)
महिला सशक्तिकरण की राह पर बढ़ता भारत

नई दिल्ली [अभिषेक पाण्डेय]। पिछले 30 सालों में समाजिक, आर्थिक व राजनीतिक समानता को बढ़ाने वाले कदमों या उपायों के जरिये महिलाओं के सशक्तिकरण की आवश्यकता और मूलभूत मानवाधिकारों तक महिलाओं की पहुंच, पोषण व स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार के बारे में जागरूकता बढ़ी है। महिलाओं के दूसरे दर्ज का नागरिक होने के बारे में जागरूकता बढ़ने के साथ-साथ जाति, वर्ग, आयु व धार्मिकता जैसे दूसरे कारकों के संबंध में समाजिक-सांस्कृतिक अनुकूलन के रूप में लिंग की धारणा ने भी जन्म लिया है।

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महिलाओं को सार्वजनिक कार्योमें सक्रिय रूप से भाग लेने में उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। एक पुरुष की तुलना में उन्हें दोगुनी कठिनाइयां झेलनी पड़ती हैं। यहां तक ऐसी महिलाओं को भी जो पुरुषों की तुलना में दोगुनी सक्षम और योग्य होती हैं। संसद, राज्य विधायिका तथा मंत्रालयों में महिलाओं का कम होना अच्छा नहीं लगता है। यह इसलिए भी असमर्थनीय है कि वर्ष 1992 में 73वें एवं 74वें संवैधानिक संशोधन के बाद महिलाओं ने पंचायतों और स्थानीयशासी निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों पर उत्कृष्ट काम किया है।

यह भारत के लिए गर्व की बात है कि बुनियादी स्तर पर लोकतांत्रिक संगठनों में भी सबसे बड़ी संख्या में महिलाएं निर्वाचित हुई हैं। वास्तव में सर्वश्रेष्ठ रूप से कार्य कर रही कुछ पंचायतें ऐसी हैं, जहाँ महिला सरपंच हैं। इसलिए विडंबना है कि संसद के भीतर तथा बाहर वषरें तक बहस चलने के बाद भी संसद और विधानमंडलों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने के लिए कानून बनाने में राजनीतिक सर्वसम्मति का अभाव बना रहा है।

हालाकि महिला सशक्तिकरण के अनेक अन्य आयाम भी हैं। उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल तथा रोजगार में आनेवाली समस्याओं को दूर करना आवश्यक है। उनके साथ घर तथा सार्वजनिक क्षेत्र में आदर एवं गरिमापूर्ण व्यवहार किया जाना चाहिए। हमारी मा-बहनें बिना किसी प्रकार के भय या आशंका के कभी भी और कहीं भी आने-जाने के लिए सुरक्षित महसूस कर सकें। निश्चित रूप में सुरक्षा का मूल मानदंड जीवन जीने का अधिकार है। हालांकि केवल कानून व सरकारी विनियमों से ही इन सामाजिक कमियों को दूर नहीं किया जा सकता। हमें समुचित जन-शिक्षा द्वारा समर्थन प्राप्त कर सुदृढ़ एवं अनवरत सामाजिक स्तर पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

इन पर भी काम करने की जरूरत

महिला सशक्तिकरण के लिए आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और कानूनी आयामों को लागू करना होगा। जैसे महिलाओं को आर्थिक रूप से सुदृढ़ किया जाए। सामाजिक तौर पर उनकी मानसिकता में बदलाव लाया जाए। मूल्य, मान्यताओं व संवेदनाओं को देखते हुए महिलाओं को जागरूक किया जाए। वहीं, कानूनी स्तर पर भी उनको जानकारी होनी चाहिए ताकि वे अपनी लड़ाई कानूनी तौर पर भी लड़ सके।

महिला सशक्तिकरण के उदाहरण

देश में विराजमान पदों पर महिलाएं ही महिला सशक्तिकरण के लिए उदाहरण है। इन महिलाओं से प्ररेणा लेकर आगे बढ़ने की जरुरत है-

चंदा कोचर- निजी क्षेत्र के देश के दिग्गज बैंक आइसीआइसीआइ की एमडी और सीईओ चंदा कोचर लगातार दूसरे साल देश की ताकतवर महिला उद्यमियों में शीर्ष पर बरकरार रही हैं। अमेरिकी पत्रिका फॉर्च्यून की सूची में उन्हें यह स्थान दिया।

विद्या बालन- इनका मानना है कि यदि आपके अंदर क्षमता है तो आप वो सब कुछ हासिल कर सकते है जो आप पाना चाहते है। 1 जनवरी ,1980 को जन्मी विद्या बालन अपने केरियर की शुरुआत म्यूजिक विडियोस, सोअप ओपेरस और कॉमर्शियल विज्ञापन से की, और उसने फि़ल्म के क्षेत्र में बंगाली फि़ल्म, भालो थेको [2003] से अपने केरियर की शुरुआत की। हिन्दी फिल्मों में अपना केरियर फि़ल्म परिणीता [2005] से शुरुआत की, जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ उभरती अभिनेत्री के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया। इस प्रकार बालन ने अपने आपको एक सफल अभिनेत्री के रूप में स्थापित किया।

सोनिया गांधी- दुनिया की शीर्ष 100 सबसे अधिक प्रभावशाली महिलाओं की सूची में संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी छठे पायदान पर काबिज है।

प्रतिभा देवीसिंह पाटिल- स्वतंत्र भारत के 60 साल के इतिहास में पहली महिला राष्ट्रपति तथा 12वीं राष्ट्रपति रही हैं। राष्ट्रपति चुनाव में प्रतिभा पाटिल ने अपने प्रतिद्वंदी भैरोंसिंह शेखावत को तीन लाख से ज्यादा मतों से हराया था। उन्होंने 25 जुलाई 2012 को संसद के सेण्ट्रल हॉल में आयोजित समारोह में नव निर्वाचित राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को अपना कार्यभार सौंपते हुए राष्ट्रपति भवन से विदा ली।

ममता बनर्जी- पश्चिम बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री एवं राजनैतिक दल तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख हैं। उनके अनुयायियों उन्हें दीदी [बड़ी बहन] के नाम से संबोधित करते हैं।

जयललिता- आल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम [ए आइ ए डी एम के] की नेता तथा तमिलनाडु की मुख्यमंत्री हैं । वे तमिल फिल्मों की अभिनेत्री भी थी।

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