नाइट क्लब में महिलाओं की सुरक्षा करती महिला बाउंसर
चंडीगढ़ स्कोर नाइट क्लब। हर तरफ कानफोड़ू संगीत पर थिरकते रईसजादे और मॉडर्न कल्चर में ढली लड़कियां। मदहोश होकर थिरकते लड़के-लड़कियां कब शरारती तेवर अख्तियार कर लें, कुछ पता नहीं। दूसरे की गर्लफ्रेंड से छेड़छाड़ कब लात-घूंसे में बदल जाए, कुछ पता नहीं।
चंडीगढ़, [संजीव सलारिया]। चंडीगढ़ स्कोर नाइट क्लब। हर तरफ कानफोड़ू संगीत पर थिरकते रईसजादे और मॉडर्न कल्चर में ढली लड़कियां। मदहोश होकर थिरकते लड़के-लड़कियां कब शरारती तेवर अख्तियार कर लें, कुछ पता नहीं। दूसरे की गर्लफ्रेंड से छेड़छाड़ कब लात-घूंसे में बदल जाए, कुछ पता नहीं। हफ्ते में चार दिन रात नौ बजे से तड़के तीन बजे तक चलने वाला यह सिलसिला बाउंसरों के लिए महज एक हुड़दंग भरा शो है, जिसमें उन्हें शांति बरकरार रखने की जिम्मेदारी निभानी होती है।
उत्तर भारत की पहली महिला बाउंसर किरण ठाकुर चंडीगढ़ में सात सालों से यह जिम्मेदारी बखूबी निभा रही हैं। नारी की सुरक्षा में इससे बेहतरीन उदाहरण शायद ही दूसरा मिले। मूलरूप से हिमाचल के सोलन की रहने वाली किरण ठाकुर चंडीगढ़ के प्रमुख नाइट क्लब स्कोर में बतौर बाउंसर तैनात हैं। लड़कियों को छेड़खानी से बचाने के चक्कर में वह बीसियों बार हुड़दंगी किस्म के रईसजादों से टकरा चुकी हैं। किरण के पिता हंसराज चौहान व माता गौतमी देवी ने तब दुनिया छोड़ दी थी, जब वह सिर्फ चार महीने की थी। पिता सेना की राजपूताना रेजीमेंट में थे। नाना तुलसी राम और नानी लक्ष्मी देवी ने पाला-पोसा और पढ़ाई सोलन के सरकारी स्कूलों में हुई। नाना-नानी भी अब दुनिया में नहीं हैं।
जिंदगी के उतार-चढ़ावों के बीच वह सिर्फ 12वीं तक ही पढ़ पायीं। इसके बाद वित्तीय कठिनाइयों और अन्य वजहों से उनकी पढ़ाई बाधित हो गई। किरण बताती हैं कि उनके पति पटियाला की एक कंपनी में हाउस कीपिंग सुपरवाइजर हैं। तीन बच्चों के साथ गुजर बसर करना आस-पड़ोस और मोहल्लेवालों की वजह से मुश्किल लगने लगी थी। महिलाओं को कई बार कहते सुना कि हाय राम! ये कोई नौकरी है, महिला रात-रात भर घर से गायब। किरण ने कहा, 'मैंने हार नहीं मानी और बाउंसर को करियर बनाया और अपनी व अपने परिवार की गाड़ी को आगे बढ़ाया। 1978 में जन्मीं किरण के तीन बच्चे हैं।
लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाने की जरूरत दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और अभिनेत्री ऐश्वर्या राय द्वारा पुरस्कृत की जा चुकीं किरण ने कहा कि लड़कियों को आज आत्मरक्षा के गुर सिखाने की सबसे ज्यादा जरूरत है। यह पहल समाज में हर एक को करनी होगी। नारी अपना रास्ता और लक्ष्य हासिल करने में सक्षम है। उन्होंने 12 साल तक बतौर सुरक्षा गार्ड भी नौकरी की है।
किरण के अलावा कुछ और महिलाएं भी इस क्षेत्र में आ गई हैं। चंडीगढ़ में ही अमनदीप कौर और मनप्रीत कौर दो अन्य बाउंसर हैं जो नाइट क्लब पर लड़कियों की हिफाजत करती हैं।
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