हॉट बाजार बंद होने के कारण हरी मिर्ची के मूल्यों में भारी गिरावट
- किसको को लागत मूल्य में भी नहीं मिल पा रहा - 25 से 30 रूपये किलो बिकने वाला हरी मिर्च अब 12 स
- किसको को लागत मूल्य में भी नहीं मिल पा रहा
- 25 से 30 रूपये किलो बिकने वाला हरी मिर्च अब 12 से 13 रुपये में मिल रहा है संवाद सूत्र , कालियागंज:
कोरोना संक्रमण से निपटने को लेकर जारी पाबंदियों के चलते हाट बाजार प्राय: बंद रहने से कच्ची मिर्च कृषकों की हालत बदतर हो गई है।एक माह पहले कालियागंज के थोक बाजारों में कच्ची मिर्च का भाव 25 से 30 रुपये किलो था, जो अब घटकर 12 से 13 रुपये किलो हो गया है, ऐसे में कच्ची मिर्च के दामों में तेजी से हुई गिरावट के चलते कृषक मायूस हैं। कृषकों का कहना है कि वर्तमान मे 12 से 13 रुपये किलो के भाव में कच्ची मिर्च बेचने पर खेती में लगी लागत भी नहीं उठ रही है। पिछले लॉकडाउन के बाद मिर्च की खेती मे बराबर प्रतिकूल असर पड रहा है।
उल्लेखनीय है कि कालियागंज क्षेत्र में धान, पाट एवं सब्जी की तरह व्यापक रूप से कच्ची मिर्च की खेती भी होती आ रही है, ब्रिटिश काल से कालियागंज शहर अंतर्गत लगने वाली धनकोल हाट मिर्च व्यवसाय के लिए विख्यात थी, समय परिवर्तन के साथ ही यातायात व्यवस्था सुदृढ़ होने के चलते धनकोल हाट के साथ-साथ आसपास के ग्रामीण इलाका पुरिया महेशपुर, शिवकाली, फतेहपुर, कुनौर हाट, हाट कालियागंज, झडीपीर इलाका समेत कई ग्रामीण इलाका से मिर्च के थोक खरीददार अब सीधे तौर पर कृषकों से माल लेकर बाहर के व्यवसायियों को भेज देते हैं। एक समय आसाम एवं बिहार जैसे पड़ोसी राज्य के खरीददार कालियागंज अंतर्गत धनकोल हाट में मिर्च खरीदने आते थे, आज भी उक्त परंपरा को चालू रखते हुए कालियागंज की कच्ची मिर्च प्रतिदिन ट्रकों द्वारा बिहार और कोलकाता समेत दक्षिण बंगाल के विभिन्न जिलों में भेजी जाती है। वर्तमान में सरकारी पाबंदियों के मद्देनजर हाट बाजारो का सिमित समय होने के चलते, माल बाहर नहीं जा पा रहा है, जिसके चलते मिर्च के दामों में गिरावट का दौर जारी है। जिससे किसानों को अíथक नुक्सान का सामना करना पर रहा है।
ग्रामीण इलाकावासी निशीथ सरकार, दूलाल राय समेत कई कृषकों ने बताया कि कच्ची मिर्च के थोक दाम 13 रुपये प्रति किलो हो गया है, फलत: कम कीमत पर मिर्च बेचने पर मजबूर हैं, हाट बाजार सब बंद है, जिसके चलते बाहार के खरीददार विभिन्न पाबंदियो के चलते नही आ पा रहे है, माल बाहर नही जा रहा। मजबूरन बारिश को देखते हुये माल खराब होने के भय से आसपास के मिर्च व्यवसायियों को मनमाने एवं काफी कम कीमतों पर किसी प्रकार कच्ची मिर्च बेचने पर मजबूर हैं। परिणामत: हम कृषकों की आíथक स्थिति दिन पर दिन बदतर होती जा रही है।