रायगंज विवि के प्रोफेसर देवाशीष विश्वास को प्रताड़ित करने का आरोप
-तुगलकी फरमान से गणतांत्रिक शक्ति को दबाया नहीं जा सकता डॉ. सुकांत मजूमदार -प्रोफेसर पर
-तुगलकी फरमान से गणतांत्रिक शक्ति को दबाया नहीं जा सकता : डॉ. सुकांत मजूमदार
-प्रोफेसर पर जांच कमेटी बिठाकर विवि प्रशासन ने अवकाश पर भेज दिया
-प्रोफेसर ने उपकुलपति के खिलाफ किया उच्च न्यायालय में केस
संवाद सूत्र,रायगंज:एक वरीय अध्यापक के प्रताड़ना को लेकर राष्ट्रवादी अध्यापक व गवेषक संगठन , पश्चिम बंगाल राज्य इकाई ने रायगंज विश्वविद्यालय प्रशासन के विरुद्ध अपना तेवर तल्ख करते हुए आदोलन तेज कर दिया है। इस क्रम में संगठन के प्रदेश महासचिव कृष्ण सरकार ने विश्वविद्यालय के उपकुलपति अनिल भुंइमाली को पत्र लिखकर इस रवैये को बंद करने की ओर ध्यान आकृष्ट कराया। पत्र में उल्लेख है कि रायगंज विश्वविद्यालय में व्याप्त अनियमितता और अराजकता के विरुद्ध आवाज उठाने के कारण वरीय अध्यापक देवाशीष विश्वास की आवाज को दफन करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बार बार उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। उनके विरुद्ध बार-बार जाच कमिटि का गठन कर उन्हें परेशान किया जा रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन जानते हैं कि कानून के समक्ष सभी का मान बराबर है, फिर एक ही आरोप में अलग-अलग मानदंड वैधानिक अधिकार का अनुचित प्रयोग माना जाता है। अभिव्यक्ति की आजादी गणतात्रिक अधिकार का सबसे अहम पहलू है। जिसे दबाने का प्रयास गणतंत्र पर कुठाराघात है। विश्वविद्यालय प्रशासन को रचनात्मक आलोचना के प्रति संवेदनशील होना चाहिए न कि इसे नजरअंदाज करने अथवा अन्यथा करने के लिए आलोचना की आवाज को ही दबा देना चाहिए। इससे संस्था के आतरिक संरचना का आधार मजबूत होता है और विकास का मार्ग अधिक प्रशस्त होता है। दूसरी ओर उक्त अध्यापक के विरुद्ध उठाया गया वैधानिक कदम ही नियम के अनुकूल नहीं है, क्योंकि किसी भी जाच कमिटि के आरोप पत्र दाखिल किए बिना और आरोपी को सफाई का अवसर दिए बिना विश्वविद्यालय कार्यकारणी कमिटि द्वारा सजा का फरमान जारी करना सर्वथा अनुचित है, जिसके तहत उक्त अध्यापक को अनिश्चित काल के लिए सवैतनिक अवकाश पर भेज दिया गया। इसलिए अध्यापक के विरुद्ध जारी आदेश को निरस्त करते हुए ,उन्हें सम्मान पूर्वक काम पर वापस बुलाने का प्रबंध करना चाहिए। इस संदर्भ में बालुरघाट के सासद डॉ.सुकान्त मजूमदार ने कहा कि तुगलकी प्रक्रिया से गणतात्रिक शक्ति को दफन नहीं किया जा सकता। रायगंज की सासद देवश्री चौधरी ने कहा कि रायगंज विश्वविद्यालय प्रशासन इस प्रकार के गतिविधि से अपनी हठवादी प्रवृति को दिखा रही है ताकि इसके आड़ में अनुचित प्रवृति को दरकिनार किया जा सके।संगठन के राज्य नेतृत्व विमल शकर नंद ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन मनमाने तरीके से नियम कानून की धज्जिया उड़ा कर एक अध्यापक को प्रताड़ित करना निंदनीय है। डॉ. देवाशीष विश्वास एक सच्चे व्यक्ति हैं। उनपर लगाए गए निषेधाज्ञा को हटाना ही श्रेषयकर होगा अन्यथा सत्तासीन स्वयंप्रभु के बूते शिक्षा संस्थान की पवित्र आंचल को दागदार करने का परिणाम सुखद नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि रायगंज विश्वविद्यालय में व्याप्त अनियमितता के विरुद्ध आवाज उठाने के कारण विश्वविद्यालय प्रशासन ने अध्यापक डॉ.देवाशीष विश्वास के विरुद्ध जाच कमिटि गठित कर एक तरफा उन्हें दोषी मानते हुए अवकाश पर भेज दिया। जब इसके विरोध में कोलकाता हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई तो पुन: उनके वुरुद्ध जाच कमिटि गठित की गई। राष्ट्रवादी अध्यापक संगठन का मानना है कि मामला न्यायालय के विचाराधीन होने पर विश्वविद्यालय प्रशासन कैसे संधान ले सकती है।