Move to Jagran APP

नौकरी देने की शर्त मदरसे के विकास में बना रोड़ा

संवाद सूत्र रायगंज सरकारी नौकरी देने की शर्त जूनियर हाई मदरसे के विकास व निर्माण में र

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 07:52 PM (IST)Updated: Sat, 19 Oct 2019 06:24 AM (IST)
नौकरी देने की शर्त मदरसे के विकास में बना रोड़ा
नौकरी देने की शर्त मदरसे के विकास में बना रोड़ा

संवाद सूत्र, रायगंज : सरकारी नौकरी देने की शर्त जूनियर हाई मदरसे के विकास व निर्माण में रोड़ा बना हुआ है। इस बावत निर्गत राशि भी उत्तर दिनाजपुर जिला से वापस चला गया। उल्लेखनीय है कि 2012 साल में जिला के विभिन्न प्रखंडों में आठ जूनियर हाई मदरसे निर्माण के लिए अनुमोदन दिया गया था। इसके लिए राशि का भुगतान भी किया गया था किन्तु छह मदरसे के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया नहीं होने के चलते यह परियोजना अधर में लटक गई। केवल ईटाहार प्रखंड में दो मदरसे ही बन पाए जबकि अन्य प्रस्तावित करनदिघी प्रखंड के लिए तीन, रायगंज प्रखंड के लिए दो और गोवालपोखर प्रखंड के लिए एक मदरसा निर्माण कार्य स्थगित कर दिया गया। इन प्रखंडों में उक्त परियोजना के लिए चिह्नित जमीन शिक्षा विभाग को सुपुर्द करने की रजामंदी देने के बावजूद ऐन मौके पर जमीन मालिक मुकर गए। वे इसके विनिमय में गैर शिक्षक कर्मचारी के पद पर स्थाई नौकरी की माग करने लगे और माग पूरी न होते देख जमीन देने से साफ इंकार कर दिए। शिक्षा विभाग का कहना है कि फिलहाल इस प्रकार की नौकरी का कोई प्रावधान नहीं है। अब नौकरी के लिए स्कूल सेवा आयोग गठित है, उसी के माध्यम से नौकरी मिल सकती है। गौर तलब है कि उत्तर दिनाजपुर उर्दू भाषी इलाका बहुल जिला है। यहाँ उर्दू माध्यम शिक्षा व्यवस्था पर्याप्त नहीं होने के कारण उर्दू भाषी समुदायों में शिक्षा का नितात अभाव है। ऐसी स्थिति में यदि छह-छह मदरसे अनुमोदन के बाद भी नहीं बन पाते तो यह प्रदेश के सत्तारूढ़ दल के नेताओं के लिए चिंता का विषय होनी चाहिए। विचारणीय है कि जिला से एक मात्र प्रदेश के मंत्री उसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, फिर भी इस समस्या का निदान हो पाना तो दूर, खुद उनके विधान सभा क्षेत्र में भी इस योजना का स्थगन, उदासीन मनोवृति का ही द्योतक हो सकता है। आश्चर्य की बात है कि यह मुद्दा उनके संज्ञान में भी नहीं है। जिला स्कूल परिदर्शक (माध्यमिक) नीताई दास हों या जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी पंकज तमाग सभी इस मामले में अपने हाथ खड़े करते दिख रहे है। विरोधी दल का इस मामले में सत्तारूढ़ पार्टी की विफलता बता कर तंज कसना लाजमी है क्योंकि जमीन अधिग्रहण का विषय पूरी तरह राज्य सरकार के अधीन है। उर्दू भाषी के लिए शिक्षा व्यवस्था की यह हकीकत दोहरी मानदंड को दर्शाने के सिवाय कुछ भी नहीं है।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.