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ई कॉमर्स के एफडीआई नीति की उपेक्षा के विरोध में पीएम को ज्ञापन

संवाद सूत्र रायगंज पश्चिम दिनाजपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधि दल ने मंगलवार को ई कॉमर्स

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 08:30 PM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 08:30 PM (IST)
ई कॉमर्स के एफडीआई नीति की उपेक्षा के विरोध में पीएम को ज्ञापन
ई कॉमर्स के एफडीआई नीति की उपेक्षा के विरोध में पीएम को ज्ञापन

संवाद सूत्र, रायगंज : पश्चिम दिनाजपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधि दल ने मंगलवार को ई कॉमर्स के जरिए एफ डी आई नीति की उपेक्षा करने वाले कंपनियों के विरुद्ध उत्तर दिनाजपुर जिला प्रशासन के माध्यम से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन सौंपा। मंगलवार को संगठन के महासचिव शकर कुंडू की अगुआई में वणिक सदस्य गण कर्णजोड़ा, रायगंज स्थित उत्तर दिनाजपुर जिला समाहरणालय पहुंचकर अतिरिक्त जिला समाहर्ता रीना जोशी को अपनी मागों की प्रति हस्तगत किया। ज्ञापन में उल्लेख है कि ई - कॉमर्स के माध्यम से अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे कंपनी एफ.डी.आई. नीति 2016 और संशोधित नीति 2018 की खुलेआम उपेक्षा कर रही है, जिससे न केवल देश का व्यापारिक व्यवस्था बिगड़ रहा है बल्कि देश में वित्तीय संकट खड़ा हो रहा है। इन लोगों ने प्रधानमंत्री का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया कि कानून सबसे बड़ा है और सबको समान रूप से इसका पालन करना चाहिए। लेकिन उक्त कई कंपनिया मुनाफाखोरी के लिए कानून की धज्जियांउड़ा रही है। गौरतलब है कि एफ डी आई पॉलिसी के शर्त के अनुसार किसी भी व्यावसायिक संस्था के लिए मार्केट प्लेस का होना जरूरी है ताकि बिक्रेता और क्रेता या उपभोक्ता के बीच सीधा संपर्क स्थापित किया जा सके। संस्था के मालिक या संचालक का होना अपरिहार्य है, जो व्यापारिक गतिविधि पर नियंत्रण रख सके और सरकार के प्रति जिम्मेवारी का वहन कर सके। लेकिन इन कंपनियों के संचालक बिक्रया सामग्रियों के मालिकियत का उद्घोष नहीं करता और न ही बिक्रय सामग्रियों की गुणवत्ता की गारंटी लेता है। ऐसे में उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी की संभावना प्रबल हो रही है। एफ डी आई नीति के अनुसार बिक्रय संस्था किसी वस्तु के बिक्रय मूल्य के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकती, जिससे किसी और व्यावसायिक प्रतिष्ठान प्रभावित हो। लेकिन देखा गया कि ये कंपनियाँ 10 से 80 फीसदी तक छूट देकर आकर्षक मूल्य निर्धारित करती है, जिससे समकक्ष प्रतिष्ठानों को काफी परेशानी व नुकसान उठाना पड़ता है। साथ ही ये कंपनियाँ खुदरा विक्त्रय के लिए निर्धारित शतरें की अनदेखी कर मनमाना पैमाना तय करती है जिससे खुदरा बिक्रेताओं का अस्तित्व संकट में पड़ गया है। सबसे बड़ी बेमानी तो तब होती है जब भारतीय परंपरागत व्यावसायिक, सरकारी नियम के अनुरूप आयकर, जी एस टी आदि प्रदेय शुल्क देने के लिए बाध्य होता है जबकि ई कॉमर्स के आड़ में चला रहे ऑन लाइन व्यवसाय के संचालक इससे बच जाते है, जिसके चलते हमारे देश के रेवेन्यू पर बहुत बड़ा गच्चा लग रहा है। इसलिए अविलंब इस पर अंकुश लगाया जाय और आयकर विशेषज्ञ, अनुभवी अर्थशास्त्री, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, खुदरा व्यापार मामले के जानकार की स्वतंत्र प्रभार समिति के द्वारा जांच कराकर यथोचित कार्रवाई की जाए। शकर कुंडू ने कहा कि ई-कॉमर्स के जरिए फ्लिपकार्ट, अमेजन जैसी विदेशी कंपनियाँ अत्यधिक छूट का झासा देकर देश के वित्तीय ढाचे को तबाह कर रही है, जिसके चलते खुदरा बाजार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और देश का सत्यानाश हो रहा है। इसलिए सीधे प्रधानमंत्री को इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगायी है। कैप्शन : ए डी एम रीना जोशी को ज्ञापन सौंपते पश्चिम दिनाजपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारी व सदस्य गण

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