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चीनी जासूसों की सक्रियता पर खुफिया एजेंसियां अलर्ट

मालूम हो कि ये सभी गुप्तचर साइबर की सूचनाएं हैक करने, परमाणु बम व मिसाइल टेक्नोलॉजी के विशेषज्ञ बताए जा रहे हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 01 Sep 2017 01:47 PM (IST)Updated: Fri, 01 Sep 2017 01:47 PM (IST)
चीनी जासूसों की सक्रियता पर खुफिया एजेंसियां अलर्ट
चीनी जासूसों की सक्रियता पर खुफिया एजेंसियां अलर्ट

पुरुलिया, [विष्णु चन्द्र पाल] । चीन की गुप्तचर संस्था ‘गुयानबू’ के पांच जासूसों के भारत में सक्रिय होने संबंधित खबर दैनिक जागरण में छपने के बाद देशभर में खुफिया एजेंसियां सतर्क हो गईं हैं। इन जासूसों की तलाश में सभी प्रमुख एयरपोर्ट के इमीग्रेशन (उत्प्रवासन) अधिकारी को अलर्ट करते हुए पांचों की फोटो उपलब्ध करा कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।

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ये पांचों जासूस चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के कैप्टन सनकोई लिंग उर्फ जैक्सन उर्फ सनकाई लिइंग, सेन्ट्रल सिक्योरिटी रेजिमेंट की 8341 यूनिट के कर्नल वांग डांग उर्फ जैक वांग उर्फ ग्लाई कोरिला, मेजर गु चुंग ही, इसी यूनिट का कैप्टन यांग जेंगया उर्फ यंग जेह्न् उर्फ यू हाई इन व पीएलए के फॉरेन लैंग्वेज इंस्टीट्यूट के शिक्षक सह मेजर वायोईये जुसांग हैं।

बताया जाता है कि ये वेश बदलने में माहिर हैं। साथ ही चीन की गुप्तचर संस्था ‘गुयानबू’ इन्हें कूटनीति सुरक्षा कवच भी उपलब्ध कराती है। ये गुप्तचर नाम व वेश बदल कर विभिन्न देशों में चीनी दूतावास में कार्य करते हैं। साथ ही चाइना की विभिन्न प्रतिष्ठित कंपनियों के अधिकारी के नाम पर वैध पासपोर्ट बनवा कर इनकी मदद की जाती है। चीन के ये गुप्तचर उत्तर-पूर्व भारत में अशांति फैलाने के लिए प्रतिबंधित संगठनों की पैसे व हथियार से मदद कर रहे हैं।

इनके संबंध माओवादी, उल्फा, मेघालय के उग्रवादी संगठन हिन्नेइत्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल आदि के कई वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में हैं। फिलहाल इनका उद्देश्य भारत में डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) व खासकर राजस्थान के न्यूक्लियर पावर कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की रावनतभाटा साइट की नाभिकीय प्रशिक्षण केंद्र की गोपनीय सूचनाएं एकत्रित करना है। आइबी (इंटेलीजेंस ब्यूरो) के एक अधिकारी ने दैनिक जागरण को बताया कि भारतीय खुफिया एजेंसियां चीन के पांच जासूसों की तलाश वर्ष 2014 से कर रही हैं। जिनकी भारत में मौजूदगी के प्रमाण भी मिले हैं।

खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि ये गुप्तचर भाभा एटमिक रिसर्च सेंटर, इसरो, डीआरडीओ की गोपनीय सूचनाएं एकत्रित करने के लिए प्रयासरत हैं। इसके लिए ये सभी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ के एजेंटों की मदद ले रहे हैं। वहीं अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए भी इन पांचों की तलाश में है। मालूम हो कि ये सभी गुप्तचर साइबर की सूचनाएं हैक करने, परमाणु बम व मिसाइल टेक्नोलॉजी के विशेषज्ञ बताए जा रहे हैं।’


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