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शालबनी में अधिकारी ने रुकवाया नाबालिका का विवाह

संवाद सूत्र, मेदिनीपुर : विगत 13 दिसंबर को प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पड़ोसी जनपद बांकुड़ा म

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Dec 2017 07:45 PM (IST)Updated: Sat, 16 Dec 2017 07:45 PM (IST)
शालबनी में अधिकारी ने रुकवाया नाबालिका का विवाह
शालबनी में अधिकारी ने रुकवाया नाबालिका का विवाह

संवाद सूत्र, मेदिनीपुर : विगत 13 दिसंबर को प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पड़ोसी जनपद बांकुड़ा में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए आम लोगों से कहा था कि पुलिस आपकी बात न सुने तो मेरे घर चले आएं। इसके विपरीत अब पुलिस जब प्रशासनिक अधिकारियों की भी बात न सुने तो क्या हाल होगा, इसे आसानी से समझा जा सकता है। पश्चिम मेदिनीपुर जिले के शालबनी में शुक्रवार की रात ऐसी ही एक घटना हुई जिसमें शालबनी थाने में शिकायत दर्ज कराने के लिए प्रशासनिक अधिकारी के पसीने छूट गए। दरअसल हुआ यूं कि शालबनी के संयुक्त प्रखंड विकास अधिकारी शांत चटर्जी को गुप्त सूचना मिली कि प्रखंड के मेमुल गांव में एक नाबालिका का विवाह हो रहा है। खबर मिलते ही हरकत में आए संयुक्त बीडीओ तत्काल मौके पर पहुंचे, जहां गांव निवासी अरुण दास नामक युवक के साथ मेदिनीपुर कोतवाली थाना क्षेत्र के ईश्वरपुर गांव निवासी मम्पी दास का विवाह समारोह चल रहा था। पूछताछ के दौरान पहले मम्पी ने खुद को बालिग बताते हुए कहा कि वह 18 वर्ष की हो गई है इसलिए इस विवाह में कोई दिक्कत नहीं है। मम्पी ने इसी वर्ष खैरुल्लाचक हाइस्कूल से दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। जांच-पड़ताल के दौरान प्रमाण पत्र में उसके 2000 में पैदा होने की बात सामने आई तो उसके नाबालिक होने की बात प्रमाणित हो गई। इसके बाद संयुक्त बीडीओ शांत चटर्जी अपनी सरकारी गाड़ी डब्ल्यूबी-34, यू-2579 में दूल्हा अरुण दास, दुल्हन बनी मम्पी दास व दोनों की मध्यस्थता कराने वाले गुणधर दास को बैठाकर शालबनी थाने पहुंचे। ड्यूटी अधिकारी एएसआइ सुदीप चटर्जी ने पूरी घटना सुनने के बाद संयुक्त बीडीओ से इस मामले की शिकायत लेने से इंकार करते हुए कहा कि लड़की के घरवालों के नहीं आने तक वह इस मामले में कोई कदम नहीं उठा सकते हैं। बीडीओ के परिचय पत्र समेत अन्य विवरण दिखाने व बार-बार अनुरोध के बावजूद पुलिस टस से मस नहीं हुई। शांत दास ने कहा कि एक ओर प्रदेश सरकार बाल विवाह रोकने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रही है। दूसरी ओर इस मामले में पुलिस का रवैया देख बहुत दुख हुआ। पहले तो पुलिस ने शिकायत लेने से मना कर दिया। बाद में उनकी सरकारी गाड़ी को भी रोक लिया। चालक व उनके साथ भी पुलिस ने अशोभनीय व्यवहार किया। लड़की का घर मेदिनीपुर सदर प्रखंड में होने के कारण वह उसके परिजनों को अपने साथ नहीं ला सके। हालांकि इस बाबत लड़के वालों को सूचित कर उन्हें बुलाने को कहा गया है। जब उन्होंने बीडीओ को इस बाबत मेल भेज कर सूचित किया तो उच्चाधिकारियों के दबाव के बाद पुलिस ने खानापूर्ति के लिए शिकायत पत्र तो ले लिया, परंतु कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इधर ड्यूटी आफिसर एएसआइ सुदीप चटर्जी ने प्रशासनिक अधिकारी के साथ दु‌र्व्यहार के आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि लड़की की जिम्मेदारी हम लोग नहीं ले सकते। इसलिए उसके परिजनों का शिकायत के समय रहना आवश्यक होता है।


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