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कोरोना के कारण सदी में पहली बार किसी भी प्रजाति के संग्रह में असमर्थ रहेे जेडएसआइ के वैज्ञानिक

असमर्थता 104 साल पुरानी इस संस्था में 5.6 मिलियन प्रजातियों का भंडार। 3.8 मिलियन की पहचान अबतक हो चुकी है। हर साल जेडएसआइ के वैज्ञानिक संग्रह में एक लाख प्रजातियों को शामिल करते हैं। जेडएसआइ के निदेशक कैलाश चंद्र ने कहा- ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।

By Vijay KumarEdited By: Published: Sat, 10 Oct 2020 08:04 PM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2020 08:04 PM (IST)
कोरोना के कारण सदी में पहली बार किसी भी प्रजाति के संग्रह में असमर्थ रहेे जेडएसआइ के वैज्ञानिक
हमारे वैज्ञानिक कोरोना, लॉकडाउन और संरक्षित क्षेत्रों के बंद होने के कारण असमर्थ रहे हैं।'

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : एक सदी में पहली बार जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (जेडएसआइ) के वैज्ञानिक इस साल किसी भी प्रजाति के संग्रह में असमर्थ रहे हैं। जेडएसआइ के निदेशक कैलाश चंद्र ने कहा-' ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। संग्रह का मौसम मई से अक्टूबर के बीच है। हमारे वैज्ञानिक कोरोना, लॉकडाउन और संरक्षित क्षेत्रों के बंद होने के कारण इसमें असमर्थ रहे हैं।' 

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संग्रह का मौसम मई से अक्टूबर के बीच

गौरतलब है कि 104 साल पुरानी इस संस्था में 5.6 मिलियन प्रजातियों का भंडार है, जिनमें से 3.8 मिलियन की पहचान अबतक की जा चुकी है। हर साल जेडएसआइ के वैज्ञानिक संग्रह में एक लाख प्रजातियों को शामिल करते हैं, जिनमें से लगभग 60 फीसद वर्ष के दौरान पहचाने जाते हैं और सूचीबद्ध होते हैं। बाकी बैकलॉग से जुड़ जाता है। इस साल हालांकि कोई नया जोड़ नहीं होगा। 

हिमालय करीब 30 फीसद प्रजातियों का घर

भारत में 10 जैव-भौगोलिक क्षेत्रों में से चार जैव विविधता वाले हॉटस्पॉट हैं- हिमालय, उत्तर-पूर्व, निकोबार द्वीप समूह और पश्चिमी घाट। हिमालय लगभग 30 फीसद प्रजातियों का घर है। जेडएसआइ ने गत शुक्रवार को 2019 में 360 नई प्रजातियों, चार उप प्रजातियों और चार जीवाश्म प्रजातियों के रिकॉर्ड जारी किए। 

116 प्रजातियां पहली बार भारत में पाई गईं

2019 के लिए जेडएसआइ ने 116 प्रजातियों को भी सूचीबद्ध किया है, जो पहले से ही ज्ञात थीं लेकिन पहली बार भारत में पाई गईं। नई खोजी गई प्रजातियों में सेनेमास्पिस अनंदनी, एक डायूरनल, रॉक-हाउसिंग गेको एंडेमिक है। इस वर्ष की पुस्तक में सूचीबद्ध प्रजातियों और जिनकी खोज विज्ञान के लिए नई है, में 294 अकशेरुकी और 74 कशेरुक शामिल हैं। 

वैश्विक शेयर के 6.5% के बराबर अद्यतन

जेडएसआइ 2007 से ही भारत के विभिन्न क्षेत्रों से नए खोजे गए जीवों पर दस्तावेज़ प्रकाशित कर रहा है। जब अगले वर्ष की पुस्तक तैयार की जाती है तो सूची में पिछले वर्षों में एकत्र की गई प्रजातियों को शामिल किया जाएगा। वर्तमान खोजों ने 1,02,161 प्रजातियों की भारतीय पशु विविधता को वैश्विक शेयर के 6.5 फीसद के बराबर अद्यतन किया। 

आधारभूत डेटा के रूप में कार्य करता है

दस्तावेज़ समृद्ध जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में एक आधारभूत डेटा के रूप में कार्य करता है। इस वर्ष के दस्तावेज में भारत की 16 जनरलों से जानी जाने वाली सभी 62 प्रकार की स्किंक हैं। यह छिपकलियों के इस समूह पर पहला मोनोग्राफ है, जो देश में सभी प्रकार के आवासों में पाए जाते हैं। हिमालय से लेकर तटों तक और घने जंगलों से लेकर रेगिस्तान तक।


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