Move to Jagran APP

जल ही जीवन है, 2025 तक विश्व की दो तिहाई आबादी पर होगा जल संकट

दूषण के बढ़ते असर का असर जलवायु परिर्वतन पर दिखने लगा है। ऐसे में आने वाले समय में धरती पर पेय जल की भारी किल्लत देखने को मिल सकती है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 05 Dec 2018 10:22 AM (IST)Updated: Wed, 05 Dec 2018 10:22 AM (IST)
जल ही जीवन है, 2025 तक विश्व की दो तिहाई आबादी पर होगा जल संकट
जल ही जीवन है, 2025 तक विश्व की दो तिहाई आबादी पर होगा जल संकट

कोलकाता, जागरण संवाददाता। प्रदूषण के बढ़ते असर का असर जलवायु परिर्वतन पर दिखने लगा है। ऐसे में आने वाले समय में धरती पर पेय जल की भारी किल्लत देखने को मिल सकती है। मंगलवार को सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन (एसआइएसएसओ) द्वारा आयोजित एक कार्यशाला के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार के आर्सेनिक टास्क फोर्स के अध्यक्ष केजे नाथ ने कहा कि साल 2025 तक विश्र्व की लगभग दो तिहाई आबादी, यानि 1800 मिलियन लोगों पर जल संकट का खतरा होगा। उनको पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिलेगा।

loksabha election banner

उन्होंने बताया कि भारत में, जहां का भूजल आर्सेनिक प्रदूषण के खतरे से प्रभावित प्रमुख देशों में से एक है, सरकार की परियोजनाओं में लोगों की भागीदारी की कमी के कारण प्रभावित हो रहा है। लोगों को सरकारी परियोजनाओं में अपनी भागीदारी को और भी बढ़ानी चाहिए। इस मौके पर राज्य के पंचायत व ग्रामीण विकास और जन स्वास्थ्य इंजीनियरिंग मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा आर्सेनिक के संबंध में बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में लगभग 83 ब्लॉक और कोलकाता के कुछ स्थानों में भूजल में उच्च आर्सेनिक स्तर है। हम सुरक्षित पानी प्रदान करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं लेकिन मुख्य मुद्दा जागरूकता है। यह सिर्फ आर्सेनिक के बारे में नहीं बल्कि हमारे घटते जल संसाधनों को बचाने के बारे में भी है। मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने कहा कि 1970 और 80 के दशक के दौरान, गंगा-ब्रह्मपुत्र मैदानों (पश्चिम बंगाल, झारखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, असम) में बड़ी संख्या में लोग आर्सेनिक दूषित भूजल से प्रभावित थे। लेकिन धीरे-धीरे इसकी मात्रा कम हुई है। वहीं, एसआइएसएसओ के संस्थापक बिंदेश्र्वर पाठक ने कहा कि देश में स्वच्छता में सुधार करने के लिए काम कर रहे हैं। एसआइएसएसओ ने मामूली कीमत पर इलाज सतह के पानी के लिए पश्चिम बंगाल के पांच स्थानों में पायलट परियोजनाएं की हैं।

मधुसूदनकाटी (उत्तर 24 परगना), पश्चिम मिदनापुर, हरिसदासपुर (बनगांव) में हमारी पायलट परियोजनाओं के माध्यम से, हम सतही जल के इलाज से सुरक्षित पानी उपलब्ध कराने के लिए स्थानीय गैर सरकारी संगठनों और स्वयं सहायता समूहों की सहायता करने में सक्षम हैं। मधुसूदनकाटी में संयंत्र प्रतिदिन एक रुपये प्रति प्रति लीटर की दर से लगभग 8,000 लीटर प्रदान करता है। पाठक ने आगे कहा कि हम मधुसूदनकाटी में एक नया संयंत्र स्थापित करने और बंगाल में एक और संयंत्र स्थापित करने की भी योजना बना रहे हैं, जो भूजल का इलाज करेगा और इसे आर्सेनिक मुक्त कर देगा। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.