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World Mental Health Day: अवसादग्रस्त 20 फीसद लोग कर लेते हैं खुदकशी, हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति करता है खुदकशी

World Mental Health Day कईं अध्ययनों में यह तथ्य उभरकर आया कि हमारे देश में 15-44 वर्ष की आयुवर्ग के लोगों में खुदकशी मृत्यु का दूसरा सबसे प्रमुख कारण है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 10 Oct 2019 03:36 PM (IST)Updated: Thu, 10 Oct 2019 03:42 PM (IST)
World Mental Health Day: अवसादग्रस्त 20 फीसद लोग कर लेते हैं खुदकशी, हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति करता है खुदकशी
World Mental Health Day: अवसादग्रस्त 20 फीसद लोग कर लेते हैं खुदकशी, हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति करता है खुदकशी

कोलकाता, जागरण संवाददाता। World Mental Health Day: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्युएचओ) द्वारा प्रतिवर्ष 10 अक्टूबर को वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे मनाया जाता है। शहर के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डब्ल्यूएचओ के द्वारा मानसिक स्वास्थ्य और खुदकशी के बीच जो संबंध स्थापित किया गया है उसकी पुष्टि करते हैं। उनका मानना है कि अवसादग्रस्त लगभग 15-20 फीसद लोग खुदकशी कर लेते हैं, क्योंकि उनके मन में बार-बार अपना जीवन समाप्त करने का विचार आता है और वो इसके लिए कईं बार प्रयास भी करते हैं।

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कईं अध्ययनों में यह तथ्य उभरकर आया है कि हमारे देश में 15-44 वर्ष की आयुवर्ग के लोगों, जो युवाओं की सबसे उत्पादक उम्र है, में खुदकशी मृत्यु का दूसरा सबसे प्रमुख कारण है। वैश्विक स्तर पर जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके अनुसार हर चालीस सेकंड में एक व्यक्ति खुदकशी करता है। 2019 में वल्र्ड मेंटल हेल्थ डे की थीम प्रिवेंटिंग सुसाइड या खुदकशी रोकना रखी गई है। सामान्यता यह देखा जाता है कि जब अवसाद का समय रहते उपचार नहीं किया जाता है तो मरीज अक्सर खुदकशी का प्रयास करते हैं।

डॉ ओपी सिंह, मनोचिकित्सक, एएमआरआइ हॉस्पिटल, कोलकाता ने जानकारी देते हुए बताया कि बहुत महत्वपूर्ण है कि मरीज को यह विश्वास दिलाया जाए कि अवसाद से उबरना संभव है। इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है और इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम है कि विशेषज्ञ की सलाह ली जाए और नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सके।

अगर अवसाद की स्थिति में मरीज खुद को दूसरों से अलग-थलग कर लेगा तो उसमें खुदकशी जैसे कदम उठाने की प्रवृत्ति टिगर हो सकती है। डॉ रीमा मुख़र्जी, मनोचिकित्सक, वुडलैंड हॉस्पिटल, कोलकाता ने आगे जानकारी देते हुए कहा कि लोग अपनी मानसिक समस्याओं को लेकर डॉक्टर के पास जाने में कतराते हैं। उन्हें समझना चाहिए कि सही दवाईयों के सेवन और डॉक्टर के निर्देशों का पालन कर के एक व्यक्ति स्वस्थ्य और बेहतर गुणवत्ता का जीवन जी सकता है।

गंभीर से गंभीर अवसाद के मामलों का उपचार संभव है। इसके लक्षणों को पहचानकर जितनी जल्दी उपचार शुरू कर दिया जाए, वह उतना प्रभावी रहेगा। अगर आप या आपके किसी करीबी व्यक्ति में अवसाद का डायग्नोसिस हुआ है, तो ठीक होने के लिए उपयुक्त उपचार की आवश्यकता होती है।

जब अवसाद का लगभग पूरी तरह उपचार संभव है तो किसी को भी अनावश्यक रूप से सहने की आवश्यकता नहीं है। यह भी देखा जाता है कि अवसाद के मामले महिलाओं में पुरूषों से अधिक होते हैं। पुरूषों में अवसाद, थकान, चिड़चिड़े व्यवहार और गुस्से के रूप में प्रदर्शित होता है। अवसादग्रस्त पुरूष अक्सर लापरवाह हो जाते हैं, तथा शराब और नशीली दवाईयों का सेवन करने लगते हैं। 


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