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विश्व पर्यावरण दिवस पर लिया संकल्प, 'सुपर साइक्लोन का सामना कर पाने वाले पेड़ लगाऊंगा'

अमित नाथ ने आगे कहा-मैं आगे से ऐसे पेड़ लगाऊंगा जो साइक्लोन ही नहीं सुपर साइक्लोन का सामना कर सके। बाओबा ऐसा ही एक पेड़ है जो बड़े से बड़े तूफान का सामना कर सकता है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Thu, 04 Jun 2020 05:00 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jun 2020 05:00 PM (IST)
विश्व पर्यावरण दिवस पर लिया संकल्प, 'सुपर साइक्लोन का सामना कर पाने वाले पेड़ लगाऊंगा'
विश्व पर्यावरण दिवस पर लिया संकल्प, 'सुपर साइक्लोन का सामना कर पाने वाले पेड़ लगाऊंगा'

विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता : सुपर साइक्लोन 'एम्फन' ने बंगाल में भारी तबाही मचाई। अकेले कोलकाता में करीब 15,000 पेड़ उखड़ गए। इनमें दर्जनों पेड़ ऐसे थे, जो दशकों पहले अमित नाथ हाजरा उर्फ बाबलू दा ने लगाए थे। अमित नाथ पिछले 40 वर्षों से पेड़ लगाते आ रहे हैं। अब तक 40,000 से ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं। पेड़-पौधे अमित नाथ के लिए उनकी संतान की तरह है। कोलकाता में हर साल कालबैशाखी में दर्जनों पेड़ उखड़ते हैं लेकिन सुपर साइक्लोन ने तो एक बार में ही हरियाली की कमर तोड़ दी है। एक दशक पहले आए साइक्लोन 'आइला' ने भी पेड़-पौधों को काफी क्षति पहुंचाई थी। तब भी अमित नाथ फूट-फूटकर रोए थे और दुगनी गति से पौधे रोपे थे।इस विश्व पर्यावरण दिवस पर उन्होंने नया संकल्प लिया लिया। 

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64 साल के हो चुके अमित नाथ ने कहा-'कोलकाता उन जगहों में शामिल है, जहां कालबैशाखी और साइक्लोन का खतरा हमेशा बना हुआ है। ऐसे में पौधारोपण को लेकर भी उसी तरह से दूरगामी योजनाएं तैयार करनी होंगी। एक पौधे के परिपक्व पेड़ में तब्दील होने में 20 -25 साल का लंबा समय लगता है। उसपर काफी मेहनत भी करनी पड़ती है। वही पेड़ जब एक दिन तूफान की भेंट चढ़ जाता है तो बहुत दुःख होता है। मेरे लिए तो यह संतानों को खोने जैसा है।'अमित नाथ ने आगे कहा-'मैं आगे से ऐसे पेड़ लगाऊंगा, जो साइक्लोन ही नहीं, सुपर साइक्लोन का सामना कर सके। बाओबा ऐसा ही एक पेड़ है, जो बड़े से बड़े तूफान का सामना कर सकता है। यह मूल रूप से अफ्रीका का पेड़ है, जो पांच हजार साल तक जीता भी है। इसी तरह छातिम और काठबादाम के पेड़ भी काफी मजबूत होते हैं। दोनों प्रदूषण को तेजी से अवशोषित भी करते हैं। इन पेड़ों को लगाने से भविष्य में आने वाले आंधी-तूफान से हरियाली को ज्यादा नुकसान पहुंचने से बचाया जा सकेगा। ' 

हावड़ा में एक निजी कंपनी में काम करने वाले अमित नाथ ने कहा-'एम्फन से कोलकाता की हरियाली को जिस क़दर नुकसान पहुंचा है, उससे मेरी जिम्मेदारी और बढ़ गई है। मैं ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की कोशिश करूंगा, हालांकि मैंने संख्या के आधार पर कोई लक्ष्य तय नहीं किया है। सिर्फ पौधारोपण ही काफी नहीं, उसकी नियमित देखभाल भी जरुरी है। पौधा लगाने वाले को ही यह जिम्मेदारी लेनी होगी। जहां-तहां पौधे लगाने से भी नहीं होगा। पौधे उन्हीं जगहों पर लगाने होंगे, जहां वे लंबे समय तक बच सके।  उन्हें सड़कों पर ऐसी जगहों पर नहीं लगाना चाहिए, जिससे उनके बड़े होने पर रास्ता अवरुद्ध हो और फिर उन्हें काटने की जरुरत पड़ जाए, इसलिए मैं हमेशा स्थानीय लोगों से बातचीत करके ही कहीं भी पौधे लगाता हूं। 

कोलकाता के श्यामपुकुर इलाके के सुधीर चटर्जी स्ट्रीट के निवासी अमित नाथ ने कहा-'उत्तर कोलकाता में दक्षिण की अपेक्षा पेड़ कम हैं, इसलिए वहां ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाना अगले एक साल मेरी प्राथमिकता होगी। नए पौधे नहीं लगाने से आने वाले दिनों में पर्यावरण की हालत और गंभीर हो जाएगी।' 


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