Kesoram Rayon Factory खोलने को लेकर श्रमिकों का अनशन, जून से बंद है कारखाना; तृणमूल विधायक भी आंदोलन में शामिल
हुगली में स्थित केसोराम रेयन कारखाना (Kesoram Rayon Factory) खोले जाने को लेकर श्रमिकों ने मिल गेट के समक्ष अनशन करना शुरू कर दिया है। कारखाना पिछले तीन माह से बंद पड़ा है। स्थानीय तृणमूल विधायक मनोरंजन बैपारी (Trinamool MLA Manoranjan Baipari) भी इस आंदोलन में श्रमिकों के साथ हैं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। पिछले तीन माह से बंद पड़े हुगली के कुंतीघाट स्थित केसोराम रेयन कारखाने (Kesoram Rayon Factory) को अविलंब चालू करने की मांग को लेकर मंगलवार से श्रमिकों ने मिल गेट के समक्ष अनशन करना शुरू कर दिया है। इस रिले अनशन में जहां एक ओर कारखाने के पांच स्वीकृत प्राप्त यूनियन के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं, वहीं मजदूरों की इस जायज मांग के समर्थन में स्थानीय विधायक भी इस आंदोलन में शामिल हुए है।
रविवार को मिल में तत्काल उत्पादन शुरू करने की मांग पर स्थानीय तृणमूल विधायक मनोरंजन बैपारी ने श्रमिकों के साथ कुंतीघाट इलाके में एक जुलूस भी निकाला था। विधायक मनोरंजन बैपारी का आरोप है कि कारखाना प्रबंधन उत्पादन शुरू करने में आनाकानी कर रहे है। उनका कहना है कि पहले प्रबंधन कारखाना चालू करे। इसके बाद आपस में बैठक समस्या का समाधान किया किया जाए। बताया गया है कि अबतक कारखाना की वर्तमान समस्या मिटाने के लिए श्रममंत्री बेचाराम मन्ना की अध्यक्षता में चार बार बैठक हो चुकी है। इसके बाद भी सुलह नहीं हो पाया है।
श्रमिकों का कहना है कोरोना संकट के बीच कारखाना में उत्पादन बंद होने से हम लोगों की माली हालत काफी खराब हो चुकी है। इधर मजदूरों ने सात दिनों तक अनशन करने की घोषणा की है। उनका कहना है कि अगर इसके बाद भी कोई सुलह नहीं हुआ तो हमलोग इससे भी बड़ा आंदोलन करेंगे। उधर, प्रबंधन का कहना है कि कारखाना आर्थिक संकट से जूझ रहे है। लोन लेकर श्रमिकों की बकाया रकम देने पर विचार किया जा रहा है।
बताते चलें कि बी के बिड़ला समूह की कंपनी केसोराम इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने मांग में आई गिरावट के कारण 22 जून से बंगाल के हुगली जिले में अपनी रेयान फैक्ट्री में काम रोक दिया था।कंपनी प्रबंधन ने अगली सूचना तक घाटे में चल रहे रेयान प्लांट में काम पर रोक के लिए कोविड-19 के कारण उत्पन्न व्यवधान के कारण मांग में आई कमी को जिम्मेदार ठहराया। तबसे लगभग तीन हजार मजदूर अपनी रोजी- रोटी के लिए इधर-उधर भटक रहे है। यहां तैयार उत्पादों का उपयोग कपड़ा और कपड़े से बने सजावटी सामानों के विनिर्माण में किया जाता है। महामारी के कारण वस्त्रों की मांग में भारी कमी आई