बंद मिल जल्द खोलने की मांग पर सड़क पर उतरे श्रमिक
- पूजा के बाद खुली, फिर 25 नंवबर से बंद है सांकराइल की डेल्टा जूट मिल - श्रमिकों ने निकाली
- पूजा के बाद खुली, फिर 25 नंवबर से बंद है सांकराइल की डेल्टा जूट मिल
- श्रमिकों ने निकाली रैली, किया पथावरोध
- मिल प्रबंधन के साथ बैठक का नहीं निकला नतीजा
जागरण संवाददाता, हावड़ा : जल्द मिल खोलने की मांग को लेकर डेल्टा जूट मिल के श्रमिकों ने एक विशाल रैली निकाली। श्रमिक यूनियन नेताओं की अगुवाई में निकली इस रैली के माध्यम से मिल को जल्द खोलने की मांग रखी गई। वहीं मिल के बंद रखे जाने के विरुद्ध श्रमिकों ने इलाके में सड़क जाम कर अपना विरोध जताया। सांकराइल के माणिकपुर स्थित डेल्टा जूट मिल के बंद होने से 5,000 से ज्यादा श्रमिक बेकार हो गए हैं। श्रमिक यूनियन नेताओं से मिली जानकारी के अनुसार इस साल पूजा के पूर्व डेल्टा जूट मिल में तालाबंदी हो गई थी। हालांकि श्रमिक यूनियन नेताओं के प्रयास पर मिल में लगा ताला खुला। लेकिन फिर 25 नवंबर को मिल प्रबंधन ने मिल में तालाबंदी की घोषणा कर दी। तब से मिल बंद पड़ी है। श्रमिकों का आरोप है कि मिल बंद होने के बाद से श्रमिक आवास की साफ-सफाई का काम भी बंद है। साथ ही कई प्रकार की अन्य सुविधाएं भी रोक दी गई हैं, इससे श्रमिकों के परिवार के सदस्यों को कई प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
मिल को जल्द खोलने की मांग को लेकर सड़क पर उतरे श्रमिकों ने इसस दिन सड़क को जाम कर दिया और विरोध करने लगे। इसकी सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने श्रमिकों को समझाकर मिल प्रबंधन के साथ बैठक के लिए राजी किया। बैठक में प्रबंधन ने श्रमिक नेताओं के समक्ष शर्त रखी कि अगले पांच सात तक किसी प्रकार की कोई ग्रेच्युटी नहीं मिलेगी, दैनिक तौर पर श्रमिकों को वेतन मिलेंगे। इस शर्त को श्रमिक नेताओं ने सिरे से खारिज कर दिया। श्रमिक नेता नंदलाल मुखर्जी ने कहा कि पहले से श्रमिकों का बकाया प्रबंधन के पास पड़ा हुआ है। उक्त तमाम बकायों को जल्द पूरा करने पर मिल प्रबंधन जोर दे। इसके साथ ही मिल को जितना जल्द हो सके खोले। मुखर्जी ने कहा कि मिल के बंद होने के कारण स्थाई और अस्थाई तौर पर 5,000 श्रमिकों के समक्ष बेरोजगारी की समस्या आन पड़ी है। वहीं इससे उनके परिवार भी वित्तीय समेत कई प्रकार की परेशानी से जूझ रहे हैं। कहा, पुलिस के समझाने पर फिलहाल विरोध वापस लेते हैं, हालांकि जल्द इस मामले सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया, तो इसके खिलाफ फिर से श्रमिक आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।