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Kolkata Building Collapsed: सवाल आखिर कब थमेंगे जर्जर इमारतों से होते हादसे?

कोलकाता नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक महानगर में जर्जर इमारतों की संख्या करीब 3000 है। की ओर से दावा किया जाता रहा है कि खतरनाक घोषित जर्जर इमारतों को तोड़ा जाएगा लेकिन आज तक एक भी कार्रवाई नहीं हुई।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 13 Oct 2021 11:27 AM (IST)Updated: Wed, 13 Oct 2021 11:27 AM (IST)
Kolkata Building Collapsed: सवाल आखिर कब थमेंगे जर्जर इमारतों से होते हादसे?
जर्जर इमारतों को तोड़ने या फिर जिसकी मरम्मत हो सकती है उसकी मरम्मत की जाए। फाइल फोटो

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक तरफ जब लोग दुर्गापूजा के उत्साह में डूबे हैं तो दूसरी ओर एक परिवार पर महासप्तमी के दिन मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। दरअसल मध्य कोलकाता में जर्जर इमारत का एक हिस्सा ढह गया जिसकी चपेट में आने से एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि चार लोग घायल हो गए। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि आखिर कब ये हादसे थमेंगे?

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पिछले 15 दिनों में जर्जर इमारतों के ढहने से पांच लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। हर जर्जर इमारत के ढहने के बाद कोलकाता नगर निगम की ओर से दावा किया जाता रहा है कि खतरनाक घोषित जर्जर इमारतों को तोड़ा जाएगा। इसके लिए नगर निगम के कानून में संशोधन भी किया गया, लेकिन आज तक एक भी कार्रवाई नहीं हुई। मंगलवार को मध्य कोलकाता के कैनाल ईस्ट रोड नंबर 35 पर जर्जर इमारत की छत का हिस्सा अचानक ढह गया जिसके मलबे की चपेट में आने से एक व्यक्ति की मौत हो गई। जो मकान ढहा है उसमें कारखाना चलता था। पूजा के दौरान मरम्मत का कार्य किया जा रहा था। उसी समय छत का एक हिस्सा अचानक गिर गया। इसमें मरम्मत का कार्य करने वाले राज मिस्त्री और श्रमिक दुर्घटना के शिकार हुए हैं।

नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक महानगर में जर्जर इमारतों की संख्या करीब 3,000 है। इनमें से सैकड़ों इमारतों को नगर निगम की ओर से खतरनाक घोषित भी किया जा चुका है। उन बिल्डिंग पर खतरनाक होने के बोर्ड भी लगाए गए हैं। बावजूद इसके ऐसी इमारतों में लोग रहते हैं और हादसों का शिकार हो जा रहे हैं। पुलिस व नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि असल में ऐसी इमारतों का हाल मकान मालिक और वहां रहने वाले किरायेदारों के बीच चल रहे विवाद की वजह से है। ऐसे इमारतों में रहने वाले लोग किराये के रूप में कहीं 200 तो कहीं चार सौ रुपये देते हैं, यदि वर्तमान बाजार दर देखा जाए तो इन इलाकों में मकान किराया हजारों में है। ऐसे में कोई भी मालिक अपने मकान का मरम्मत भला क्यों कराएगा? यही वजह है कि ये हादसे हो रहे हैं। इसके लिए जरूरी है कि पिछले दिनों इन जर्जर इमारतों को लेकर कानून में संशोधन किया गया है उस पर सख्ती से अमल किया जाए और जर्जर इमारतों को तोड़ने या फिर जिसकी मरम्मत हो सकती है उसकी मरम्मत की जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो इस तरह हादसे होते रहे हैं और जान जाती रहेगी।


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