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Nobel Prize: जब नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी की पत्नी एस्थर डुफ्लो को खूब भाया था पुराना कोलकाता

Nobel Prize नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी की नोबेल विजेता पत्नी व अर्थशास्त्री एस्थर डुफ्लो का कोलकाता से पुराना नाता रहा है। पुराने कोलकाता के प्रति डुफ्लो का प्यार अकसर उन्हें लुभा

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 03:24 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 03:24 PM (IST)
Nobel Prize: जब नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी की पत्नी एस्थर डुफ्लो को खूब भाया था पुराना कोलकाता
Nobel Prize: जब नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी की पत्नी एस्थर डुफ्लो को खूब भाया था पुराना कोलकाता

कोलकाता, जेएनएन। नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी की नोबेल विजेता पत्नी व अर्थशास्त्री एस्थर डुफ्लो का कोलकाता से पुराना नाता रहा है। पुराने कोलकाता के प्रति डुफ्लो का प्यार अकसर उन्हें लुभाता है। डुफ्लो कई साल पहले जब कोलकाता आई थीं तो उन्होंने शहर से अपने प्यार का जिक्र किया था। डुफ्लो ने कहा था कि शहर के अंदर पश्चिमी पर्यटकों को लुभाने का अनूठा आकर्षण है।

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बता दें कि भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डिफ्लो और माइकल क्रेमर को अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला है। फिलहाल अभिजीत मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में इकनॉमिक्स के प्रोफेसर हैं।

डुफ्लो का मानना है कि कोलकाता को अपनी इमारतों को संरक्षित रखना चाहिए, जो शहर को अद्वितीय स्वरूप देती हैं। चार साल पहले कोलकाता यात्रा के दौरान डुफ्लो ने कहा था कि शहर को एक टूरिजम सेंटर के रूप में अपने आकर्षण की क्षमता को पहचानने की जरूरत है। शहर के उत्तर, मध्य और दक्षिण कोलकाता में इमारतों को संरक्षित करने की आवश्यकता है। यहां लोग अब भी पुरानी बिल्डिंगों के स्वरूप को बरकरार रखे हुए हैं, जो कि वास्तुशिल्प के लिहाज से बेहद खास हैं।

डुफ्लो ने कहा था, इन इलाकों को संरक्षित करने में निवेश करना आर्थिक रूप से फायदेमंद हो सकता है। अपनी बात को पुख्ता करने के लिए उन्होंने प्राग की ओर इशारा किया, जहां कम्युनिस्ट शासन के अंत के बाद एक बड़ा जीर्णोद्धार प्रॉजेक्ट शुरू हुआ था। उन्होंने कहा था, पुरानी कई चीजें मसलन- ट्राम, बिल्डिंगों के प्रवेश द्वार और पुलों को बहाल किया गया। आज, प्राग एक बड़ा पर्यटन स्थल है। कोलकाता में प्राग जैसा बनने की क्षमता है।

1997 में 24 साल की उम्र में अपने पहले दौरे में ही उन्हें कोलकाता से प्यार हो गया। उस वक्त रिसर्चर डुफ्लो शहर की शानदार ढहती हवेलियों के साथ ही अफरातफरी और ऊर्जा से भरपूर स्ट्रीट लाइफ की कायल हो गईं। उन्होंने कहा था, पश्चिमी पर्यटक अब ताजमहल, राजस्थान के किलों और केरल को निहारने के लिए भारत आते हैं। कोलकाता शहर का पागलपन अगला बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन हो सकता है।

कोई ऐसी चीज है जो डुफ्लो को शहर की यात्रा के दौरान परेशान करती है तो वह है पुरानी इमारतों का विध्वंस। उन्होंने कहा था, मैं यहां 20 से ज्यादा बार आ चुकी हूं और हर बार नजर आता है कि एक और शानदार इमारत की जगह स्टील और शीशे से बनी बिल्डिंग ने ले ली है। किसी को इस विनाश को खत्म करने और जीर्ण-शीर्ण इमारतों का मरम्मत कराने की आवश्यकता है। उम्मीद है कि कोई व्यक्ति इस शहर को बचाने का विजन लेकर काम करेगा।


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