तिलजला में हिंसा के पीछे क्या राजनीतिक एजेंडा था?, स्थानीय लोगों ने कहा-तोडफोड़ शामिल थे इलाके के बाहर के लोग
स्थानीय लोग यह भी दावा कर रहे हैं कि वे उनमें से कई लोगों को नहीं जानते हैं जिन्होंने अंत में विरोध के नाम पर हिंसा शुरू कर दी थी। यहां तक कि वे दावा करते हैं कि कई बाहरी लोग अन्य क्षेत्रों से आए और हिंसा में शामिल हुए।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कोलकाता के तिलजला में पिछले दिनों एक बच्ची की हत्या की घटना को लेकर किया गया उग्र प्रदर्शन क्या स्वत:स्फूर्त था या इसके पीछे कोई राजनीतिक एजेंडा काम कर रहा था? तिलजला में नाबालिग लडकी की हत्या के विरोध में सोमवार को हुई हिंसा के बाद इलाके के निवासी फिलहाल इस सवाल का जवाब तलाश रहे हैं।
परिवार ने स्पष्ट किया है कि विरोध-प्रदर्शन में उनका कोई समर्थन नहीं
मृत बच्ची के परिवार व पड़ोसियों ने स्पष्ट किया है कि उग्र विरोध-प्रदर्शन में उनका कोई समर्थन नहीं था। और यहां सवाल खड़ा हो रहा है कि फिर विरोध के नाम पर पुलिस की गाडियों को जलाने और रेलवे ट्रैक जाम करने समेत जैसा हंगामा क्यों जारी रहा? किसके इशारे पर?
स्थानीय निवासियों के एक वर्ग के अनुसार, उन्होंने महिलाओं के साथ नृशंस घटना का विरोध शुरू किया था। ताकि क्षेत्र में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। लेकिन यह विरोध-प्रदर्शन कुछ देर बाद बेकाबू हो गया।
स्थानीय लोग यह भी दावा कर रहे हैं कि वे उनमें से कई लोगों को नहीं जानते हैं, जिन्होंने अंत में विरोध के नाम पर हिंसा शुरू कर दी थी। यहां तक कि वे दावा करते हैं कि कई बाहरी लोग अन्य क्षेत्रों से आए और हिंसा में शामिल हुए।
ईंट-पत्थर से तोडफोड़ और हुई आगजनी
कुछ स्थानीय लोगों को संदेह है कि इसके पीछे राजनीतिक समर्थन है। इतना ही नहीं बताया जा रहा है कि सोमवार को कस्बा के एक कुख्यात अपराधी का साथी भी मौके पर देखा गया। एक स्थानीय दुकानदार का कहना है कि दोपहर बाद भीड़ बढने लगी।
अचानक पुलिस पर ईंट-पत्थर से तोडफ़ोड़ और आगजनी शुरू हो गई। राजनीतिक समर्थन के बिना यह संभव नहीं है। स्थानीय निवासियों के एक वर्ग ने रेल नाकेबंदी के दौरान एक राजनीतिक दल के धार्मिक नारे लगाते हुए सुनने का भी दावा किया।
नाम न छापने की शर्त पर एक स्थानीय युवक ने कहा कि हम लाइन में खड़े थे और न्याय के लिए नारे लगा रहे थे। इसी दौरान ट्रेन के सामने खड़े कुछ लोगों ने अचानक अन्य नारे लगाने शुरू कर दिए।
हिंसा में राजनीतिक समर्थन होना कोई असामान्य बात नहीं
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब विरोध के नाम पर सडक पर हो रही हिंसा से राजनीति का नाम जुड़ा हो। शहर की कई घटनाओं में इससे पहले भी कई बार सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक सभी पार्टियों के नाम शामिल हो चुके हैं। एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक बच्ची की मौत के मामले में विरोध और प्रदर्शन सामान्य बात है।
लेकिन जहां आरोपित को फौरन पकड़ लिया गया है, वहां सवाल उठता है कि विरोध के नाम पर एक दिन बाद भी इस तरह की हिंसा कैसे जारी रही। जहां लगभग हर चीज में राजनीति शामिल होती है, वहां ऐसी हिंसा के पीछे राजनीतिक समर्थन होना कोई असामान्य बात नहीं है। जांच आगे बढने पर सब कुछ सामने आ जाएगा। सभी पहलुओं पर गौर किया जा रहा है।