कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएसकेएम का वुडबर्न ब्लाक दागी राजनेताओं का 'दूसरा घर' बन गया है। गिरफ्तारी की तलवार लटकते या परवाना जारी होते ही वे 'बीमार' पड़कर यहां भर्ती हो जाते हैं। वुडबर्न ब्लाक, जहां वीवीआइपी को भर्ती किया जाता है, को देखकर शायद ही लगे कि यह कोई अस्पताल है। अस्पताल के दूसरों ब्लाक में जहां मरीजों की भीड़ लगी रहती है, एक अदद बेड पाने को जद्दोजहद करनी पड़ती है, वहीं यहां बिल्कुल उलट नजारा दिखता है। इस ब्लाक के केबिन में मरीजों के लिए रेफ्रि जरेटर, एलइडी टीवी से लेकर तमाम सुविधाएं मौजूद हैं। पिछले कुछ वर्षों में बंगाल में सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस के लगभग वे सभी सदस्य यहां भर्ती हो चुके हैं, जो विभिन्न घोटालों में आरोपित हैं। कुछ गिरफ्तारी से पहले भर्ती हुए तो कुछ गिरफ्तारी के बाद। 2015 में सारधा चिटफंड घोटाले में गिरफ्तारी के बाद राज्य के तत्कालीन परिवहन मंत्री मदन मित्रा यहां पांच से छह महीने भर्ती रहे थे।
पिछले साल दिवंगत पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी व कोलकाता के पूर्व मेयर शोभन चटर्जी भी नारद स्टिंग आपरेशन कांड में गिरफ्तारी के बाद यहां आकर भर्ती हो गए थे। गत 24 जुलाई को ईडी ने कलकत्ता हाई कोर्ट में दावा किया था कि शिक्षक नियुक्ति घोटाले में गिरफ्तार बंगाल के तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी बीमारी का बहाना बनाकर एसएसकेएम में भर्ती हैं। हाई कोर्ट ने पार्थ को भुवनेश्वर एम्स ले जाकर उनका मेडिकल टेस्ट कराने का निर्देश दिया था। एम्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पार्थ को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं है। इस बदनामी के बाद आठ अगस्त को एसएसकेएम अस्पताल ने मवेशी तस्करी कांड में आरोपित तृणमूल के बाहुबली नेता अनुब्रत मंडल को वापस लौटा दिया था, जो इससे पहले अप्रैल में गिरफ्तारी से बचने के लिए 17 दिन यहां भर्ती थे।
ब्रिटिश लेफ्टिनेंट गवर्नर सर जान वुडबर्न पर ब्लाक का नामकरण
वुडबर्न ब्लाक का नामकरण ब्रिटिश लेफ्टिनेंट गवर्नर सर जान वुडबर्न पर हुआ है, जिन्हें 20वीं शताब्दी के शुरुआती वर्षों में कोलकाता में फैले प्लेग के दौरान उनके असाधारण बचाव कार्यों के लिए जाना जाता है। वुडबर्न ने बंगाल के जेल विभाग में सुधार के लिए भी काफी काम किए। वुडबर्न ब्लाक में 35 केबिन हैं। केबिन तीन तरह के हैं। सबसे महंगे केबिन का रोज का शुल्क 4,000 रुपये है। बाकी दो ढाई हजार व दो हजार वाले हैं। मरीज के लिए अटेंडेंट रखने पर 24 घंटे के लिए अलग से 750 रुपये देने पड़ते हैं।
विरोधी दलों का आरोप, तृणमूल ने वुडबर्न ब्लाक को 'रिजॉर्ट' में बदल दिया
बंगाल में विरोधी दलों का आरोप है कि तृणमूल ने वुडबर्न ब्लाक को अपनी पार्टी के दागी नेताओं के लिए 'रिजॉर्ट' में तब्दील कर दिया है। बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजुमदार ने कहा कि तृणमूल के दागी नेता एसएसकेएम में सरकारी आतिथ्य का लुफ्त उठाते हैं। सरकारी अस्पताल के पदाधिकारियों को प्रभावित करके अपने पक्ष में मेडिकल रिपोर्ट बनवाना भी काफी आसान है। इसे रोका जाना चाहिए। एसोसिएशन आफ हेल्थ सर्विस डाक्टर्स के सचिव डा मानस गुमटा ने स्वीकार किया कि डाक्टरों पर राजनेताओं का दबाव रहता है। अगर सर्वोच्च प्राधिकरण से कोई निर्देश आता है तो क्या किया जा सकता है? तृणमूल विधायक मदन मित्रा ने कहा-'अगर भाजपा नेताओं को कभी समन जारी किया गया और वे एसएसकेएम में शरण लेना चाहे तो मैं उन्हें भर्ती कराने की व्यवस्था करूंगा। वुडबर्न ब्लाक एक रायल सूट की तरह है, जहां सरकारी प्रतिष्ठान में लोगों को आधे दर पर उच्च मानक की सुविधाएं प्राप्त होती हैं। इसके 35 केबिन में से 30 में ज्यादातर वक्त आम लोग ही भर्ती रहते हैं इसलिए भाजपा का दावा बेतुका है।' एसएसकेएम में सर्जरी के प्रोफेसर डा. गौतम दास ने कहा कि किसी को भी वुडबर्न ब्लाक में बेड मिल सकता है, हालांकि यह बात सही है कि वीआइपी को ही ज्यादा मिल रहा है। सूत्रों ने बताया कि एसएसकेएम को लेकर हाल में हुए विवाद को देखते हुए यह फैसला किया गया है कि वीवीआइपी को दाखिला लेने से पहले अस्पताल के मेडिकल बोर्ड की टीम की सलाह पर सख्ती से अमल किया जाएगा।