Move to Jagran APP

West Bengal: आदिवासियों को मिला ममता का साथ, सरना धर्म को मान्‍यता को सीएम केंद्र को भेजेंगी प्रस्‍ताव

आदिवासियों के सरना धर्म को मान्यता प्रदान करने के लिए सीएम ममता बनर्जी की सरकार केंद्र को प्रस्ताव भेजेगी। राज्य मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है। आदिवासी संगठनों ने इस पहल का स्वागत किया है।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Thu, 07 Jul 2022 04:35 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jul 2022 07:44 PM (IST)
West Bengal: आदिवासियों को मिला ममता का साथ, सरना धर्म को मान्‍यता को सीएम केंद्र को भेजेंगी प्रस्‍ताव
ममता सरकार की अपना आदिवासी वोट बैंक बनाए रखने की रणनीति।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल की ममता सरकार आदिवासियों के 'सरना' धर्म (Sarna Dharm of Tribals) को मान्यता प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजेगी। राज्य मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक (West Bengal Cabinet Meeting)  में यह निर्णय लिया गया है। आदिवासी संगठनों ने इस पहल का स्वागत किया है। गौरतलब है कि भाजपा की अगुआई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वालीं द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाए जाने को देखते हुए ममता सरकार ने यह रणनीति अपनाई है। ताकि बंगाल में उसके आदिवासी वोट बैंक पर कोई प्रभाव न पड़े।

loksabha election banner

बता दें कि सरना धर्म, भारतीय धर्म परम्परा का ही एक आदि धर्म और जीवनपद्धति है, जिसका अनुसरण छोटा नागपुर के पठारी भागों के संथाल, खारिया, बैगा, मुंडा, हो, भूमिज आदि आदिवासी करते हैं। इस धर्म के अनुयायी झारखण्ड, बिहार, असम और छत्तीसगढ़ और बांग्‍लादेश में भी पाए जाते हैं।  परन्तु अलग-अलग राज्यों में इस धर्म को अलग-अलग नाम से जानते हैं। बताया जाता है कि सरना धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है।

सरना को मान्‍यता दिलाने हुए कई आंदोलन

गौरतलब है कि उत्तर बंगाल में वास करने वाले आदिवासियों का एक बड़ा तबका सरना धर्म का अनुसरण करता है। सरना को केंद्र से मान्यता दिलाने के लिए अतीत में कई आंदोलन हुए हैं। 2020 में इसे लेकर बंगाल व झारखंड के आदिवासी संगठनों ने वृहद आंदोलन किया था। तृणमूल ने पिछले विधानसभा चुनाव के प्रचार में इसे केंद्रीय मान्यता प्रदान कराने का आदिवासी बहुल जंगलमहल क्षेत्र के लोगों को आश्वासन भी दिया था। सूत्रों ने बताया कि केंद्र ने अगर राज्य सरकार के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया तो उसके पास इसे लेकर राष्ट्रपति के पास जाने का भी रास्ता होगा।

सियासी विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा के द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाए जाने के बाद मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी यह जाहिर करने में जुटी हुई हैं कि उनकी सरकार ही आदिवासियों की सबसे बड़ी हिमायती हैं। मुख्यमंत्री ने कुछ दिन पहले यह भी कहा था कि भाजपा की तरफ से द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा से पहले अगर इसे लेकर तृणमूल के साथ विचार-विमर्श करने की पहल की जाती तो समर्थन के बारे में सोचा जा सकता था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.