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West Bengal Polls 2021: नंदीग्राम ले जाएगा सुवेंदु को सियासत के अर्श पर या गिराएगा सियासी फर्श पर!

West Bengal Polls 2021 सुवेंदु अगर ममता को मात दे देते हैं और बंगाल में भाजपा बहुमत का आंकड़ा हासिल कर लेती है तो सुवेंदु खुद-ब-खुद मुख्यमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार बन जाएंगे और उनका मुख्यमंत्री बनना भी लगभग तय हो जाएगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 06 Mar 2021 10:51 PM (IST)Updated: Sat, 06 Mar 2021 10:51 PM (IST)
West Bengal Polls 2021: नंदीग्राम ले जाएगा सुवेंदु को सियासत के अर्श पर या गिराएगा सियासी फर्श पर!
भाजपा के अमित शाह पहले ही एलान कर चुके हैं कि बंगाल का अगला मुख्यमंत्री बंगाल का ही भूमिपुत्र बनेगा।

विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता। West Bengal Polls 2021 जिस नंदीग्राम ने ममता बनर्जी को बंगाल की सत्ता दिलाई, वही नंदीग्राम अब सुवेंदु अधिकारी को भी सूबे के सिंहासन पर बिठा सकता है लेकिन इसका बिल्कुल उलट पहलू भी है। जिस नंदीग्राम ने सुवेंदु को बंगाल की सियासत के अर्श पर पहुंचाया, वही नंदीग्राम उन्हें सियासी फर्श पर भी गिरा सकता है। हाल में तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सुवेंदु का नंदीग्राम से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव लडऩा उनके अब तक के राजनीतिक जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घटना होने जा रही है।

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राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सुवेंदु अगर ममता को मात दे देते हैं और बंगाल में भाजपा बहुमत का आंकड़ा हासिल कर लेती है तो सुवेंदु खुद-ब-खुद मुख्यमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार बन जाएंगे और उनका मुख्यमंत्री बनना भी लगभग तय हो जाएगा। केंद्रीय गृहमंत्री व भाजपा के मुख्य चुनावी रणनीतिकार अमित शाह पहे ही एलान कर चुके हैं कि बंगाल का अगला मुख्यमंत्री बंगाल का ही भूमिपुत्र बनेगा।

राजनीतिक विश्लेषक विपरीत समीकरण पर भी गौर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुवेंदु अगर ममता से चुनाव हार जाते हैं और भाजपा बहुमत हासिल नहीं कर पाई तो सुवेंदु के राजनीतिक भविष्य पर सवालिया निशान लग सकता है। भाजपा में उतना महत्व घट सकता है, वह इसलिए क्योंकि जब ममता ने नंदीग्राम से चुनाव लडऩे की घोषणा की थी, तब सुवेंदु ने उन्हें चुनौती देते हुए 50,000 से अधिक वोटों से हराने का दावा किया था। ऐसा नहीं कर पाने पर उन्होंने राजनीति छोड़ देने की बात कही थी। सुवेंदु के आत्मविश्वास को देखते हुए ही भाजपा ने उन्हें ममता के खिलाफ उतारा है। ऐसे में सुवेंदु के सामने खुद को साबित करने की अग्नि परीक्षा है।

नंदीग्राम में सुवेंदु का एकछत्र राज

इसमें दो राय नहीं कि नंदीग्राम में सुवेंदु का एकछत्र राज रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाकपा के अब्दुल कबीर शेख को 81,230 वोट से करारी शिकस्त दी थी लेकिन इस बात को भूलना बेमानी होगी कि सुवेंदु अब तक तृणमूल के बैनर तले ही नंदीग्राम में राज करते आए हैं और अब जब वहां से खुद तृणमूल सुप्रीमो ताल ठोंक रही हैं तो सुवेंदु के लिए जीत की राह काफी कठिन हो सकती है।

नंदीग्राम आंदोलन में ममता के सेनापति थे सुवेंदु

ममता को बंगाल की सत्ता तक पहुंचाने में नंदीग्राम आंदोलन की अहम भूमिका रही है और इसमें उनके सेनापति कोई और नहीं, सुवेंदु थे। एक समय ममता के उत्तराधिकारी माने जा रहे सुवेंदु का तृणमूल में कद ममता के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी के उत्थान के साथ ही कम होना शुरू हो गया था। इससे खफा होकर सुवेंदु ने पार्टी से दूरी बनानी शुरू कर दी थी। तृणमूल नेतृत्व ने उन्हें मनाने की काफी कोशिश की लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वे भाजपा में शामिल हो गए, जिसपर तृणमूल की तरफ से उन्हें 'गददार' व 'मीर जाफर' तक कहा गया।


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