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West Bengal Politics : बंगाल के हुगली में सिर मुंडवाने के बाद भाजपा के कई कार्यकर्ता तृणमूल में लौटे

विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए करीब 500 कार्यकर्ताओं ने की घर वापसी। तृणमूल सांसद अपरूपा पोद्दार ने कहा कि विधानसभा चुनाव के पहले ये लोग तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। अपनी खोई हुई ताकत को एक बार फिर से तृणमूल मजबूत करने में लगी है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Tue, 22 Jun 2021 11:28 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jun 2021 11:28 PM (IST)
West Bengal Politics : बंगाल के हुगली में सिर मुंडवाने के बाद भाजपा के कई कार्यकर्ता तृणमूल में लौटे
आरामबाग संसदीय क्षेत्र में गत लोस चुनाव से ही तृकां की स्थिति कमजोर हो गई थी।

 राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव के समय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) छोड़कर भाजपा में गए करीब 500 कार्यकर्ता मंगलवार को फिर से ममता बनर्जी की पार्टी में शामिल हो गए। हुगली के खानाकुल विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत नतिबपुर ग्राम पंचायत के शीतलातला इलाके में आयोजित कार्यक्रम में आरामबाग से तृणमूल सांसद अपरूपा पोद्दार की मौजूदगी में इन कार्यकर्ताओं ने घर वापसी की। खास बात यह है कि इनमें से कई कार्यकर्ताओं ने पार्टी में शामिल होने से पहले पश्चाताप स्वरूप अपना सिर भी मुंडवाया। इसके बाद तृणमूल का झंडा थामा।

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एक बार फिर से तृणमूल का दामन थामा

गौरतलब है कि इससे पहले बीरभूम जिले में करीब 50 भाजपा कार्यकर्ताओं ने तृणमूल में वापस लिए जाने के लिए घंटों धरना दिया था, जिसके बाद उनके ऊपर गंगाजल का छिड़काव कर उन्हें पार्टी की सदस्यता दी गई थी। इधर, इस मौके पर तृणमूल सांसद अपरूपा पोद्दार ने कहा कि विधानसभा चुनाव के पहले ये लोग तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। लेकिन भाजपा में जाने का पश्चाताप करते हुए 500 से अधिक भाजपाईयों ने एक बार फिर से तृणमूल का दामन थामा हैं।

अपनी खोई हुई ताकत मजबूत करने लगी

उन्होंने कहा कि इनमें से कई कार्यकर्ताओं ने पश्चाताप स्वरूप स्वेच्छा से अपना सिर मुड़वाया और इसके बाद तृणमूल में शामिल हुए हैं। मालूम हो कि बीते विधानसभा चुनाव में हुगली के आरामबाग संसदीय क्षेत्र के खानाकुल, गोघाट, आरामबाग तथा पुरसुरा विस सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की है। आरामबाग संसदीय क्षेत्र में गत लोकसभा चुनाव के बाद से ही तृणमूल कांग्रेस की स्थिति काफी कमजोर हो गई थी। अपनी खोई हुई ताकत को एक बार फिर से तृणमूल मजबूत करने में लगी है।


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