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बंगाल की राजनीति में पुरानी कहावत ‘दुश्मन का दुश्मन दोस्त’ चरितार्थ, ‘दीदी’ व दिलीप दोनों को खटकने लगे हैं मुकुल

मुकुल को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किए जाने के बाद से दिलीप के साथ बढ़ने लगी दूरियां। दरअसल कभी मुकुल रॉय तृणमूल कांग्रेस में होते थे और दीदी के बहुत खास लोगों में गिने जाते थे। लेकिन 2017 में जबसे भाजपा जॉइन की वह दीदी के दुश्मन नंबर एक बन गए।

By Vijay KumarEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 09:38 PM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 09:38 PM (IST)
बंगाल की राजनीति में पुरानी कहावत ‘दुश्मन का दुश्मन दोस्त’ चरितार्थ, ‘दीदी’ व दिलीप दोनों को खटकने लगे हैं मुकुल
राज्य में नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक चेहरा दिखाने और उनका विश्वास जीतने की होड़।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : पुरानी कहावत है कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। बंगाल की राजनीति में कुछ ऐसा ही देखने को मिल सकता है। जिस तरह की खबरें दिल्ली तक पहुंच रही हैं, उसमें कहा जा रहा था कि ‘दीदी’ यानी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अचानक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष के साथ नरम रुख दिखा रही हैं। 

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दीदी व घोष की नजरों में खटक रहा है

सूत्रों के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस के अंदर से घोष के साथ पर्दे के पीछे से संवाद शुरू करने की भी कोशिश हो रही है। वजह बस इतनी है कि ‘दीदी’ की नजरों में जो खटक रहा है, वही घोष की नजरों में भी खटक रहा है।

दीदी के खास लोगों में गिने जाते थे

दरअसल कभी मुकुल रॉय तृणमूल कांग्रेस में हुआ करते थे और दीदी के बहुत खास लोगों में गिने जाते थे। लेकिन 2017 में जबसे उन्होंने भाजपा जॉइन की, वह दीदी के दुश्मन नंबर एक बन गए।

भाजपा में आना घोष को पसंद नहीं

उधर मुकुल रॉय का भाजपा में आना दिलीप घोष को पसंद नहीं आया। दिलीप घोष को शुरू से ही यह डर लग रहा था कि मुकुल रॉय उन पर भारी पड़ सकते हैं। हुआ भी वही। भाजपा की जो नई राष्ट्रीय टीम घोषित हुई है, उसमें मुकुल रॉय को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया।

विश्वास जीतने की होड़ मच गई है  

यह एक बड़ा संकेत है कि पार्टी के सिर्फ नेतृत्व को किस हद तक मुकुल रॉय में भरोसा है। मुकुल रॉय के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनते ही राज्य में नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक में उन्हें अपना चेहरा दिखाने और उनका विश्वास जीतने की होड़ मच गई है।

दीदी चाहती हैं भाजपा से हो चुुुुुुुनौती  

दिलीप घोष के लिए यह खतरे की घंटी जैसा है, इस वजह इन दिनों उन्होंने खुलकर रॉय के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। दीदी भी यही चाह रही हैं कि भाजपा के अंदर से ही कोई मुकुल रॉय के लिए चुनौती खड़ी करे।

हालात उसी तरफ जाते दिख रहे हैं

देखा जाए तो घोष उन्हीं का काम कर रहे हैं। ऐसे में चुनाव से पहले तक वहां अगर कोई बड़ी उठापटक होती है तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। हालात उसी तरफ जाते दिख रहे हैं।


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