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West Bengal Politics : बंगाल के भाजपा सांसद शांतनु ठाकुर ने अमित शाह को पत्र लिखकर सीएए जल्द लागू करने की मांग

West Bengal Politics बंगाल से भाजपा सांसद शांतनु ठाकुर ने कहा कि मतुआ समुदाय के लोग पिछले 70 वर्षों से अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस ने कहा राज्य विधानसभा चुनाव से पहले मगरमच्छ के आंसू बहा रही है भाजपा।

By Vijay KumarEdited By: Published: Thu, 15 Oct 2020 07:35 PM (IST)Updated: Thu, 15 Oct 2020 07:35 PM (IST)
West Bengal Politics : बंगाल के भाजपा सांसद शांतनु ठाकुर ने अमित शाह को पत्र लिखकर सीएए जल्द लागू करने की मांग
ठाकुर उत्तर 24 परगना जिले के बनगांव सीट से सांसद हैं और वे मतुआ संप्रदाय से आते हैं।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल से भाजपा सांसद शांतनु ठाकुर ने राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को जल्द लागू करने की मांग की है। ठाकुर उत्तर 24 परगना जिले के बनगांव सीट से सांसद हैं और वे मतुआ संप्रदाय से आते हैं। ठाकुर ने कहा, मैंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी और हमारे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जी को पत्र लिखकर उनसे सीएए के त्वरित कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है। 

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मतुआ समुदाय के सवालों का जवाब नहीं 

उन्होंने कहा कि मतुआ समुदाय के लोग पिछले 70 वर्षों से अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। इस समुदाय के लोग मुझसे पूछ रहे हैं कि इसे कब लागू किया जाएगा और उन्हें कब नागरिकता मिलेगी। मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं है। इसीलिए हमने पत्र लिखकर इसे जल्द लागू करने की मांग की है।

तृृृृृकां ने मगरमच्छ के आंसू करार दिया

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने पिछले साल सीएए कानून पारित किया था, लेकिन इसे लागू किया जाना बाकी है। ‌इधर, भाजपा सांसद के इस कदम को तृणमूल कांग्रेस ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मगरमच्छ के आंसू के रूप में करार दिया है।

मतुआ नागरिक नहीं है तो वोट कैसे?

इस बारे में पूछे जाने पर तृणमूल की वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद ममता बाला ठाकुर, जो इसी समुदाय से आती हैं, ने कहा कि भाजपा अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से पहले मगरमच्छ के आंसू बहा रही है। उन्होंने कहा कि यदि मतुआ नागरिक नहीं है तो उन्होंने 2019 के चुनावों में कैसे वोट दिया?

किसी प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं

उन्होंने कहा- जब भी चुनाव आते हैं भाजपा नेता मतुआ की नागरिकता के बारे में बोलते हैं। लेकिन एक बार चुनाव खत्म हो जाने के बाद वह फिर इसके बारे में बात नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि इस देश के बहुत से नागरिकों और हमें इसके बारे में भाजपा से किसी भी प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है।

 5 लोस व 60 विस सीटों पर है प्रभाव 

बताते चलें कि मूल रूप से पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से 1950 के दशक में मतुआ समुदाय के लोगों ने वहां धार्मिक उत्पीड़न के कारण बंगाल की ओर पलायन करना शुरू किया था। राज्य में 30 लाख की अनुमानित आबादी के साथ यह समुदाय उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों में कम से कम 5 लोकसभा सीटों और 60 विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखता है।

बनगांव में 70 फीसद मतुआ की आबादी

बनगांव लोकसभा सीट, जहां से शांतनु ठाकुर भाजपा के सांसद हैं, 70 फीसद यहां मतुआ की आबादी है। बता दें कि सीएए का तृणमूल कांग्रेस ने जोरदार विरोध किया था और इसके खिलाफ लगातार आंदोलन भी चलाया था। पिछले साल दिसंबर में इस कानून के विरोध में राज्य में हिंसक विरोध प्रदर्शन भी हुआ था।


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