West bengal Politics: बंगाल में भाजपा को झटका, तृणमूल में वापस लौटे पूर्व विधायक विप्लव मित्रा व उनके भाई
मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने 21 जुलाई को पार्टी की शहीद दिवस सभा के दौरान दल को छोड़ चुके नेताओं और कार्यकर्ताओं से घर वापसी का आह्वान किया था।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल में जैसे-जैसे 2021 का विधानसभा चुनाव करीब आ रहा है, राजनीतिक सरगर्मी भी तेज है।मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने 21 जुलाई को पार्टी की शहीद दिवस सभा के दौरान दल को छोड़ चुके नेताओं और कार्यकर्ताओं से घर वापसी का आह्वान किया था। इसका असर दिखने लगा है।लोकसभा चुनाव के बाद तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए दक्षिण दिनाजपुर जिले के पूर्व तृणमूल जिलाध्यक्ष व पूर्व विधायक विप्लव मित्रा और उनके भाई प्रशांत मित्रा तृणमूल कांग्रेस में वापस लौट आए हैं। शुक्रवार को कोलकाता में तृणमूल मुख्यालय में शिक्षा मंत्री और पार्टी महासचिव पार्थ चटर्जी ने उन्हें तृणमूल कांग्रेस का झंडा थमाकर पार्टी में स्वागत किया।
लोकसभा चुनाव के ठीक बाद विप्लव मित्रा ने जून 2019 में तृणमूल छोड़ दिया था और मुकुल रॉय का हाथ पकड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। उनके साथ जिला परिषद के अध्यक्ष, जिला परिषद सदस्यों, पार्षदों और पंचायत सदस्यों के एक समूह ने दिल्ली जाकर में भाजपा का दामन थामा था। लेकिन एक साल एक महीने के बाद मित्रा तृणमूल में लौट आए हैं, ऐसे में यह भाजपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। तृणमूल में फिर से शामिल होने के बाद, मित्रा ने कहा, 'वह घर वापसी से खुश हैं।
तृणमूल के साथ एक अस्थायी अलगाव था। जो भी कारण हो। मैं बीच में भटक गया था और आज घर लौट आया। मैं साजिशकर्ताओं को जवाब दूंगा।' उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में बंगाल में झूठा प्रचार कर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश जारी है इसके खिलाफ वह पार्टी के साथ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। इस मौके पर तृणमूल महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा कि 21 जुलाई को ममता बनर्जी के आह्वान के बाद ही मित्रा ने पार्टी नेतृत्व से संपर्क साधा था और तृणमूल में वापस आने की इच्छा जताई थी। उन्होंने कहा कि भूलवश पार्टी छोड़ने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं की तृणमूल में वापसी से सभी खुश हैं। बताते चलें कि मित्रा दक्षिण दिनाजपुर के हरिरामपुर से विधायक थे। वह मुकुल राय के काफी करीबी माने जाते थे।
दरअसल, तृणमूल की हैवीवेट नेता अर्पिता घोष के दक्षिण दिनाजपुर के बालूरघाट लोकसभा सीट से भाजपा से हारने के बाद विप्लव मित्रा को जिला अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। इसके तुरंत बाद उन्होंने अपने समर्थकों के साथ भाजपा का दामन थाम लिया था।