West Bengal Politics : गोजमुमो के 17 पार्षद ने बिमल गुरुंग के साथ आकर तृणमूल को समर्थन देने की घोषणा की
बड़ा दांव-कोलकाता में बिमल गुरुंग ने पार्षदों को साथ लाकर किया शक्ति प्रदर्शन। गुरुंग बोले- विधानसभा चुनाव में भाजपा को सिखाएंगे सबक। इससे पूर्व कोलकाता के पांच सितारा होटल में संवाददाता सम्मेलन में इन पार्षदों ने मोर्चा के संस्थापक बिमल गुरुंग के नेतृत्व में अपना विश्वास जताया।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : तीन साल से फरार चल रहे गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) के प्रमुख विमल गुरुंग ने हाल में सामने आकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से बाहर होने एवं ममता बनर्जी की अगुवाई में तृणमूल कांग्रेस को समर्थन की घोषणा की थी। इसके बाद पहाड़ पर बदले राजनीतिक हालात के बीच गुरुवार को दार्जिलिंग नगर निगम के 17 पार्षदों ने गुरुंग का हाथ पकड़कर तृणमूल को समर्थन की घोषणा की।
बताते चलें कि गुरुंग की पहाड़ पर वापसी का गोजमुमो के दूसरे गुट के नेता विनय तमांग व उनके समर्थक लगातार विरोध कर रहे हैं।
कोलकाता के पांच सितारा होटल में संवाददाता सम्मेलन
कोलकाता के एक पांच सितारा होटल में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में इन पार्षदों ने मोर्चा के संस्थापक बिमल गुरुंग के नेतृत्व में अपना विश्वास जताया। माना जा रहा है कि इन पार्षदों को साथ लाकर गुरुंग ने शक्ति प्रदर्शन की भी कोशिश की है। इस मौके पर गुरुंग ने उनके साथ आने वाले पार्षदों को गोजमुमो का झंडा थमाकर स्वागत भी किया।
भाजपा पर वादाखिलाफी का आरोप लगा साधा निशाना
पार्षदों का कहना था कि भाजपा ने अपना वादा नहीं निभाया। जिस आशा के साथ वह भाजपा को समर्थन कर रहे थे, वह पूरी नहीं हुई। इस दौरान बिमल गुरुंग ने एक बार फिर भाजपा पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा ने कभी अपना वादा नहीं निभाया। भाजपा के साथ वह 17 वर्षों तक थे।
फिर दोहराया-तृकां के साथ मिलकर विस चुनाव लड़ेंगे
लेकिन गोरखालैंड के स्थायी समाधान के लिए भाजपा ने कुछ नहीं किया, जबकि ममता बनर्जी जो वादा करती हैं, उसे पूरा करती हैं। गुरुंग ने एक बार फिर दोहराया कि 2021 के विधानसभा चुनाव में वह तृणमूल कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे और भाजपा को उचित सबक सिखाया जायेगा। गुरुंग के साथ गोजमुमो के महासचिव रोशन गिरि भी मौजूद थे।
दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में राजनीतिक समीकरण बदले
गौरतलब है कि 3 साल से फरार चल रहे गुरुंग पिछले महीने अचानक कोलकाता में मीडिया के सामने आए थे और उन्होंने एनडीए से बाहर होने एवं ममता बनर्जी को समर्थन देने की घोषणा की थी। इसके बाद से ही दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। दरअसल गुरुंग का पूरे पहाड़ क्षेत्र में बेहद प्रभाव है।
विनय तमांग को लेकर कुछ भी नहीं बोले बिमल गुरुंग
इधर, मोरचा के दूसरे गुट के नेता व अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी विनय तमांग और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच 2 दिन पहले बैठक तथा पहाड़ पर शांति जुलूस के संबंध में बिमल गुरुंग ने कहा कि वह विनय तमांग को लेकर कुछ भी नहीं कहना चाहते। पार्टी के पार्षद भाजपा छोड़कर लौट रहे हैं, यही बात वह रखना चाहते हैं। विनय तमांग जो कर रहे हैं, वह उनकी बात है।
छह वर्ष पहले गोरखालैंड का वादा कर भूले पीएम मोदी
बिमल गुरुंग का यह भी कहना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोरखालैंड को लेकर जो वादा किया था, उसे छह वर्ष बाद भी पूरा नहीं किया। इसके मुकाबले ममता बनर्जी द्वारा पेश किया गया समाधान ज्यादा मजबूत है। भाजपा को वह विधानसभा चुनाव में सबक सिखायेंगे, लेकिन गोरखालैंड की मांग को उन्होंने छोड़ा नहीं है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि गोरखालैंड की मांग से वह कभी पीछे नहीं हटेंगे।