अब डिजिटल तकनीक से फेफड़ों की बीमारी का चलेगा पता, भारतीय शोधकर्ताओं ने एक नया डायग्नोस्टिक सिस्टम ईजाद किया
अब डिजिटल तकनीक से फेफड़ों की बीमारी का चलेगा पता यह सिस्टम सांस लेने के पैटर्न श्वसन दर हृदयगति और रक्त में ऑक्सीजन संतृप्ति के स्तर की निरंतर निगरानी में मददगार हो सकता है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। भारतीय शोधकर्ताओं ने फेफड़ों की बीमारीक्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज’ (सीओपीडी) के निदान के लिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आइओटी) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) आधारित एक नया डायग्नोस्टिक सिस्टम ईजाद किया है। यह सिस्टम सांस लेने के पैटर्न, श्वसन दर, हृदयगति और रक्त में ऑक्सीजन संतृप्ति के स्तर की निरंतर निगरानी में मददगार हो सकता है।
इस सिस्टम के मुख्य रूप से तीन घटक हैं, जिसमें सेनफ्लेक्स.टी नामक स्मार्ट-मास्क, सेनफ्लेक्स मोबाइल ऐप और आइओटी क्लाउड सर्वर शामिल है। स्मार्ट मास्क ब्लूटुथ के जरिये एंड्रॉइड मॉनिटरिंग ऐप के साथ जुड़ा रहता है। जबकि, मोबाइल ऐप क्लाउड कंप्यूटिंग सर्वर से जुड़ा रहता है, जहां मशीन लर्निंग (एमएल) के माध्यम से सीओपीडी की गंभीरता का अनुमान लगाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआइ) का उपयोग किया जाता है।
शोधकर्ताओं ने तकनीक के पेटेंट के लिए आवेदन दिया
यह सिस्टम भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) खड़गपुर के भौतिक विज्ञान विभाग के ऑर्गेनिक इलेक्ट्रॉनिक्स लैबोरेटरी के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित किया गया है। शोधकर्ताओं ने इस तकनीक के पेटेंट के लिए आवेदन कर दिया है। उनका कहना है कि यह तकनीक व्यावसायिक उपयोग के लिए पूरी तरह तैयार है।
इस अध्ययन से जुड़े आइआइटी खड़गपुर के शोधकर्ता प्रोफेसर दीपक गोस्वामी ने बताया कि "सिस्टम में शामिल मोबाइल ऐप आइआइटी क्लाउड सर्वर के साथ संचार करता है, जहां से ऐप में एकत्रित डेटा को मशीन लर्निंग एल्गोरिदम के माध्यम से आगे के विश्लेषण के लिए स्थानांतरित किया जाता है और बीमारी की गंभीरता का अनुमान लगाया जाता है। एक बार विश्लेषण पूरा होने के बाद परिणाम मोबाइल ऐप पर आ जाते हैं। रिपोर्ट सर्वर में उत्पन्न होती है और ऐप पर उपलब्ध रहती है। सिस्टम से संबंधित घटक पूरी तरह विकसित हैं और एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।"
इस सिस्टम में तापमान मापने वाले संवेदनशील सेंसर और मापन के लिए ब्लूटुथ आधारित इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगे हैं। ऑक्सीजन संतृप्ति स्तर की निगरानी के लिए इसमें सेंसर प्रणाली के साथ व्यावसायिक रूप से उपलब्ध एक पल्स ऑक्सीमीटर भी लगाया गया है। रोगी से संबंधित डेटा मोबाइल ऐप के माध्यम से स्वतः क्लाउड सर्वर पर अपलोड होता रहता है। डेटा को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मार्कअप लैंग्वेज (एआइएमएल) के माध्यम से संसाधित किया जाता है, और ऐप पर रिपोर्ट उपलब्ध हो जाती है, जिसे डॉक्टरों के परामर्श के लिए उपयोग किया जा सकता है।