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West Bengal: आगामी चुनावों को ले भाजपा हाईकमान के निर्देश पर अपने राज्‍य में प्रकट हुए मिथुन दा, टीएमसी भी हुई सतर्क

जब भाजपा की बंगाल इकाई में अंतर्द्वंद्व चरम पर है। ममता सरकार के खिलाफ पार्टी का कोई भी दांव कारगर साबित नहीं हो रहा ठीक उसी समय मशहूर अभिनेता व भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती का अचानक बंगाल की धरती पर प्रकट होना किस ओर इशारा कर रहा है? जानिए डिटेल।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Tue, 05 Jul 2022 12:27 PM (IST)Updated: Tue, 05 Jul 2022 07:32 PM (IST)
West Bengal: आगामी चुनावों को ले भाजपा हाईकमान के निर्देश पर अपने राज्‍य में प्रकट हुए मिथुन दा, टीएमसी भी हुई सतर्क
'बंगाली बाबू' मिथुन चक्रवर्ती करेंगे बंगाल में भाजपा का डैमेज कंट्रोल।

कोलकाता, विशाल श्रेष्ठ। ऐसे समय जब भाजपा की बंगाल (BJP Bengal) इकाई में अंतर्द्वंद्व चरम पर है, एक के बाद एक भाजपा नेता पार्टी छोड़कर तृणमूल कांग्रेस (Trinamul Congress) में शामिल हो रहे हैं, ममता सरकार के खिलाफ पार्टी का कोई भी दांव कारगर साबित नहीं हो रहा, ठीक उसी समय जाने-माने अभिनेता व भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती (Bollywood Actro Mithun Chakraborty) का अचानक बंगाल की धरती पर प्रकट होना किस ओर इशारा कर रहा है? सियासी विश्लेषकों की मानें तो भाजपा हाईकमान ने बंगाल नेतृत्व की नाकामी को देखते हुए राज्य में अपने संगठन को फिर से चंगा करने का जिम्मा 'बंगाली बाबू'को सौंपा है। सोमवार को कोलकाता स्थित भाजपा के राज्य मुख्यालय में मीडिया से मुखातिब हुए मिथुन ने बातों-बातों में इस ओर इशारा भी कर दिया। उन्होंने कहा कि वे केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर यहां आए हैं। आगे उन्हें जो निर्देश मिलेगा, वे वैसे ही काम करेंगे।

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पंचायत व लोकसभा चुनाव में होगी बड़ी भूमिका

उन्होंने जिस अंदाज में बातें कीं, उससे साबित हो गया कि बंगाल में अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव और उसके बाद लोकसभा चुनाव में उनकी बड़ी भूमिका होने वाली है। दरअसल, भाजपा भी समझ रही है कि विधानसभा चुनाव के पहले बंगाल की जनता के मन में पार्टी के प्रति जिस तरह का रुझान था, वह धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। इस डैमेज को कंट्रोल करना जरूरी है। लोगों का ध्यान वापस अपनी तरफ खींचने के लिए लोकप्रिय चेहरे की जरूरत है और मिथुन दा से अच्छा विकल्प क्या हो सकता है। बंगाल के लोगों का मिथुन से भावनात्मक जुड़ाव है। भाजपा एक बार फिर इसी को काम में लगाना चाह रही है।

भाजपा को 77 विस सीटें जिताने में मिथुन की रही थी अहम भूमिका

बंगाल में पिछले साल हुए विधानसभा (विस) चुनाव में भाजपा भले 200 सीटों का आंकड़ा पार न कर पाई हो लेकिन तीन से सीधे 77 सीटों पर पहुंच जाना भी छोटी बात नहीं होती। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि इतनी सीटें दिलवाने में मिथुन की अहम भूमिका रही थी। मिथुन ने भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में बंगाल के जिले-जिले में जाकर प्रचार किया था।

जब नहीं किया प्रचार तो औंधे मुंह गिरी भाजपा

विधानसभा चुनाव 2021 (Bengal State Assembly Election 2021) के बाद मिथुन अपने मूल पेशे में व्यस्त हो गए। उन्होंने बंगाल में हुए लोकसभा (Parliamentary Election) व विस उपचुनावों (Bengal State Assembly by-election 2022) व नगर निकायों के चुनाव (Bengal Municipal Elections) में पार्टी के लिए प्रचार नहीं किया। भाजपा नेतृत्व को अब महसूस हो रहा है कि इससे पार्टी को कितना नुकसान हुआ है। मिथुन अगर विस चुनाव की तरह उसमें भी प्रचार करते तो पार्टी का प्रदर्शन अच्छा होता। खासकर आसनसोल में जब तृणमूल ने 'बिहारी बाबू' शत्रुघ्न सिन्हा (Shatrughan Sinha) को उतारा था तो वहां चुनाव प्रचार में 'बंगाली बाबू' को उतारने पर शायद भाजपा को अपनी जीती सीट नहीं गंवानी पड़ती। मिथुन क्राउड पुलर तो हैं ही, उनकी मौजूदगी से भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं का हौसला भी बढ़ता। पंचायत चुनाव अब ज्यादा दूर नहीं है इसलिए भाजपा मिथुन के सहारे 'डैमेज कंट्रोल' करना चाहती है। पंचायत चुनाव में मिथुन का प्रचार करना इसलिए भी भाजपा के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि यह चुनाव बंगाल के ग्रामीण इलाकों में होता है, जहां मिथुन की लोकप्रियता शहरी क्षेत्रों से कहीं अधिक है।

वाममोर्चा को सता रही सबसे ज्यादा चिंता

मिथुन के बंगाल की राजनीति में एक साल बाद अचानक से प्रकट होने से सबसे ज्यादा चिंतित कोई है तो वह है वाममोर्चा (Left Front)। विस व लोस उपचुनावों और नगर निकायों के चुनाव में वाममोर्चा का प्रदर्शन भाजपा (BJP) के मुकाबले अच्छा रहा है और वह धीरे-धीरे फिर से तृणमूल की मुख्य प्रतिद्वंद्वी बनने की ओर बढ़ रही है। मिथुन की मौजूदगी उसके इस अभियान  में बाधा डाल सकती है। माकपा की केंद्रीय कमेटी के सदस्य सुजन चक्रवर्ती की बातों में इसे लेकर झल्लाहट साफ दिखी। उन्होंने कहा कि मिथुन चक्रवर्ती की लोकप्रियता का इस्तेमाल किया जा रहा है। पहले तृणमूल कांग्रेस ने किया और अब भाजपा कर रही है। बंगाल में दिन-ब-दिन सिमटती जा रही कांग्रेस भी इसे लेकर परेशान है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इसे भाजपा का राजनीतिक दिवालियापन ही कहा जा सकता है कि उसे फिर से मिथुन का सहारा लेना पड़ रहा है।

मिथुन को लेकर तृणमूल कांग्रेस भी सतर्क

तृणमूल भले मिथुन के फिर से बंगाल के सियासी कैनवस पर उतरने को सार्वजनिक तौर पर ज्यादा महत्व नहीं दे रही हो लेकिन अंदरखाने वह भी सतर्क है और पंचायत चुनाव पर इसके संभावित प्रभावों पर विचार कर रही है।

तृणमूल सांसद सौगत राय (TMC MP Saugat Rai) ने कहा कि मिथुन उन्हें राज्यसभा भेजने वाली पार्टी का सम्मान नहीं कर पाए। बंगाल की जनता सब देख रही है। वहीं पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष (Kunal Ghosh) ने व्यंग्य कसते हुए कहा कि मिथुन अभिनेता है। उन्होंने कई प्रोडक्शन हाउस में काम किया है, अभी भी वही कर रहे हैं। गौरतलब है कि भाजपा में शामिल होने से पहले मिथुन तृणमूल में थे। उससे पहले वे वाममोर्चा के पक्ष में भी चुनाव प्रचार कर चुके हैं।


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