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अब मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर निगरानी रखेगी आइबी,जांच करेगी सीआइडी Kolkata News

Mob Lynching पश्चिम बंगाल की सीआइडी अब राज्यभर में होने वाली लिंचिंग की घटनाओं की निगरानी करेगा।लिंचिंग की घटनाओं के पीछे साजिश की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 30 Jul 2019 08:10 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jul 2019 08:10 AM (IST)
अब मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर निगरानी रखेगी आइबी,जांच करेगी सीआइडी Kolkata News
अब मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर निगरानी रखेगी आइबी,जांच करेगी सीआइडी Kolkata News

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। पश्चिम बंगाल की सीआइडी अब राज्यभर में होने वाली लिंचिंग की घटनाओं की निगरानी करेगा। इसके अलावा राज्य के सभी जिलाधिकारियों और जिला पुलिस प्रमुखों को राज्य के गृह विभाग की ओर से निर्देशिका जारी किए गए हैं, जिसमें भीड़ की सामूहिक हिंसा रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया गया है। किसी भी क्षेत्र में संभावित हिंसा की घटनाओं पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी इंटेलिजेंस ब्यूरो (आइबी) को दी गई है।

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दरअसल विगत कुछ महीनों से देश के अन्य हिस्सों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल में भी सामूहिक हिंसा की घटनाएं हुई हैं। कहीं बच्चा चोरी के संदेह में तो कहीं गाड़ी चोरी के संदेह में, कहीं मवेशी चोर के संदेह में कई लोगों की पीट-पीटकर हत्या की जा चुकी है। राजधानी कोलकाता से लेकर उत्तर बंगाल के विस्तृत इलाके में इस तरह की घटनाएं हुई हैं। इससे खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चिंतित हुई हैं।

राज्य सीआइडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य भर में होने वाली इस तरह की घटनाओं पर निगरानी और जांच का निर्देश सीआइडी को मिली है। लिंचिंग की घटनाओं के पीछे साजिश की आशंका से इन्कार नहीं किया जा रहा है, इसलिए जांच एजेंसी के अधिकारी इन घटनाओं की समीक्षा कर इससे बचाव के लिए रिपोर्ट तैयार करेंगे। जल्द ही क्या करें और क्या ना करें की एक सूची राज्य सीआइडी की ओर से जारी की जाने वाली है।

यह राज्यवासियों को लिंचिंग के वारदातों में शामिल होने से रोकने में मददगार साबित होगी। दरअसल पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र तथा राज्य सरकारों को सामूहिक हिंसा की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए नीति बनाने का निर्देश दिया गया था. तब पश्चिम बंगाल सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया था। लेकिन अब इसे क्रियात्मक तौर पर अंतिम रूपरेखा देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

सामूहिक हिंसा करने वालों पर कानूनी तौर पर ठोस कार्रवाई हो सके इसके लिए राज्य सरकार ने तैयारियां शुरू की है। उसकी पहली प्रक्रिया के तौर पर सभी जिलाधिकारियों, जिला पुलिस अधीक्षकों और पुलिस को अलग से नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है।

जिला स्तर पर पुलिस अधीक्षक ही नोडल अधिकारी होंगे जबकि पुलिस आयुक्तालय वाले क्षेत्रों में उपायुक्त रैंक के किसी भी अधिकारी को नोडल ऑफिसर की जिम्मेदारी दी जाएगी। कोलकाता पुलिस आयुक्तालय के एक उच्च अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि गृह विभाग के निर्देशिका को मानते हुए टास्क फोर्स गठन किया जा रहा है, जिसका काम क्षेत्र में लिंचिंग की घटनाओं को रोकना और लोगों को जागरूक करना होगा।

इस फोर्स का काम उन क्षेत्रों में विशेष तौर पर निगरानी और रोकथाममूलक कदम उठाना होगा, जहां सामूहिक हिंसा की आशंका से संबंधित रिपोर्ट पहले से मौजूद है। अगर कहीं किसी तरह की संभावित हिंसा की परिस्थिति बन जाए तो वहां यह टास्क फोर्स तत्काल डिप्लॉय की जाएगी और कोशिश होगी कि उस जगह पर टकराव न हो। किसी तरह की कोई समस्या होने पर स्थानीय तौर पर उसे निपटान की जिम्मेदारी भी प्रशासन को निभानी होगी।

सोशल मीडिया पर भी रखी जाएगी नजर

इसके अलावा राज्य इंटेलिजेंट ब्यूरो को भी क्षेत्र में निगरानी कर उसकी रिपोर्ट दैनिक तौर पर प्रशासन से साझा करने को कहा गया है ताकि लिंचिंग की घटनाओं पर लगाम लगायी जा सके। जमीनी तौर के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी निगरानी रखी जा रही है। कोई भी अगर भड़काऊ पोस्ट करता है तो उसके खिलाफ आइपीसी की धारा-153ए के तहत मामला दर्ज करने का प्रावधान है। अब तक प्रशासन इस से बचता रहा है लेकिन अब इसे ठोस तरीके से इस्तेमाल भी किया जाएगा। कहीं किसी तरह का हमला होने पर उसकी जांच और कार्रवाई सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सीआइडी को दी गयी है।

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