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West Bengal : प्राइमरी नियुक्त मामले में हाईकोर्ट ने 30 पद खाली रखने के दिए निर्देश

नियुक्ति पर सवाल वर्क एजुकेशन व फिजिकल एजुकेशन शिक्षकों के खाली 70 पदों में से 30 छोड़ने का निर्देश-नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए 30 उम्मीदवारों ने दायर की है याचिका

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 06 Feb 2020 09:31 AM (IST)Updated: Thu, 06 Feb 2020 09:31 AM (IST)
West Bengal : प्राइमरी नियुक्त मामले में हाईकोर्ट ने 30 पद खाली रखने के दिए निर्देश
West Bengal : प्राइमरी नियुक्त मामले में हाईकोर्ट ने 30 पद खाली रखने के दिए निर्देश

कोलकाता, जागरण संवाददाता। अपर प्राइमरी नियुक्ति में घपले मामले की सुनवाई के दौरान बुधवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने 30 पदों के फिलहाल खाली रखने का निर्देश दिया है। अदालत ने स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) को स्पष्ट निर्देश दिया है कि 30 पदों को छोड़ कर बाकी अन्य पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया को जारी रख सकते हैं।

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पिछले साल नियुक्ति तालिका में घपले का आरोप लगाते हुए 30 लोगों ने हाई कोर्ट में मामला दायर किया था। याचिकाकर्ताओं के वकील दिव्येंदु चट्टोपाध्याय ने अदालत में दावा किया कि नियुक्ति तालिका में भारी घपला है। आरोप लगाया गया है कि योग्य व प्रशिक्षित शिक्षकों के स्थान पर अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्राथमिकता देते हुए उनको चयनित घोषित किया गया है।

फरवरी 2016 में वर्क एजुकेशन व फिजीकल एजुकेशन शिक्षक के पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी की गई। 2017 में पद के लिए परीक्षा हुई। इसके बाद 2018 में मेधा तालिका प्रकाशित हुई। इसके बाद शुरू हुई शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया। हालांकि 2019 के शुरुआती महीनों में कुछ प्रार्थी कलकत्ता हाई कोर्ट पहुंचे और पैनेल में गड़बड़ी का आरोप लगाया। उन्होंने अदालत को बताया कि जिन्होंने आरक्षित पदों के लिए परीक्षा दी थी , उनके नाम लिस्ट में सबसे ऊपर रहने के बावजूद नियुक्ति के पैनेल लिस्ट में उनका नाम बहुत पीछे रखा गया है। साथ ही अप्रशिक्षित कई प्रार्थियों के नाम भी नियुक्ति तालिका में शामिल हैं।

बुधवार को कलकत्ता हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश राजश्री भारद्वाज ने एसएससी से पूछा कि आखिर उनके कितने पद खाली हैं? एसएससी के वकील ने अदालत को बताया कि फिलहाल 70 पद खाली हैं। तब न्यायाधीश ने आदेश दिया कि 30 पदों को छोड़ कर बाकी पदों के लिए एसएससी अपनी नियुक्ति प्रक्रिया जारी रखे, ताकि मामले के अंत में अगर 30 याचिकाकर्ताओं को नियुक्ति देने में कोई अड़चन न हो। 


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