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West Bengal Budget: बजट अभिभाषण की मीडिया कवरेज को लेकर बंगाल सरकार पर बिफरे राज्यपाल

West Bengal Budget. राज्यपाल ने वित्त मंत्री अमित मित्रा के बजट भाषण का मीडिया में सीधा प्रसारण करने और अपने अभिभाषण के प्रसारण पर रोक लगाने पर निशाना साधा।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 06:03 PM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 06:03 PM (IST)
West Bengal Budget: बजट अभिभाषण की मीडिया कवरेज को लेकर बंगाल सरकार पर बिफरे राज्यपाल
West Bengal Budget: बजट अभिभाषण की मीडिया कवरेज को लेकर बंगाल सरकार पर बिफरे राज्यपाल

कोलकाता, जागरण संवाददाता। West Bengal Budget. बंगाल सरकार और राजभवन में जारी टकराव एक बार फिर सोमवार को सामने आया, जब राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बजट अभिभाषण की मीडिया कवरेज को लेकर सरकार पर निशाना साधा। राज्यपाल ने वित्त मंत्री अमित मित्रा के बजट भाषण का मीडिया में सीधा प्रसारण करने और अपने अभिभाषण के प्रसारण पर रोक लगाने को संवैधानिक प्रधान के प्रति असहिष्णुता करार दिया। उन्होंने कहा कि बजट अभिभाषण के दौरान मीडिया के प्रवेश पर निषेध सेंसरशिप करना है। 

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उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री अमित मित्रा ने सोमवार को बंगाल का बजट पेश किया, जिसे विभिन्न समाचार चैनलों पर लाइव टेलीकास्ट किया गया। वहीं, धनखड़ ने ट्वीट कर लिखा, वित्त मंत्री डॉक्टर मित्रा के बजट भाषण को लाइव किया गया, जबकि संविधान के अनुच्छेद 176 के तहत राज्यपाल का अभिभाषण बजट से पहले काफी महत्वपूर्ण होता है। यहां तक कि मीडिया को मेरे अभिभाषण से दूर रखा गया और लाइव कवरेज की अनुमति नहीं गई। इसका फैसला राज्य की जनता पर छोड़ दें। अपने ट्वीट के दूसरे हिस्से में राज्यपाल ने आगे लिखा, यह मीडिया के लिए विचारणीय होना चाहिए, क्या विचारों की इस अभिव्यक्ति को स्वीकार्य करना चाहिए? क्या यह संवैधानिक प्रमुख के खिलाफ असहिष्णुता नहीं है? क्या यह एक तरह की सेंसरशिप नहीं है? मुझे यकीन है कि मीडिया और जनता इस पर सिर्फ मूक दर्शक नहीं बनी रहेगी।

गौरतलब है कि गत सात फरवरी को जगदीप धनखड़ ने सरकार द्वारा तैयार 25 पन्नों का अभिभाषण हूबहू पढ़ा था, जबकि जारी टकराव के मद्देनजर इस बात के आसार लग रहे थे कि राज्यपाल सरकार से इतर विचार व्यक्त कर सकते हैं। मीडिया में अभिभाषण के सीधा प्रसारण की अनुमति नहीं थी। हालांकि राज्यपाल ने अलग मत होने के बावजूद नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और प्रस्तावित एनआरसी के खिलाफ केंद्र से इतर ममता सरकार का रुख हूबहू विधानसभा के पटल पर रखा था। अभिभाषण में केंद्र सरकार के खिलाफ विभाजनकारी, असहिष्णुता और अधिनायकवाद जैसे शब्द शामिल किए गए थे। 

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