West Bengal Election 2021: वाल पेटिंग की मारामारी, एक इंच दीवार नहीं खाली, गांव से लेकर शहर तक यही हाल
जिसकी लाठी उसकी भैंस...। कहने को लोकतंत्र लेकिन यहां वही भारी पड़ता है जिसके हाथ में सत्ता की लाठी है। वह इसके जरिए सबको हांकने की भरसक कोशिश भी करता है। अब बंगाल के चुनावी महासमर को ही देखिए। बंगाल में पहले चरण का चुनाव जंगलमहाल क्षेत्र में होना है।
पुरुलिया से प्रदीप सिंह! जिसकी लाठी, उसकी भैंस...। कहने को लोकतंत्र, लेकिन यहां वही भारी पड़ता है, जिसके हाथ में सत्ता की लाठी है। वह इसके जरिए सबको हांकने की भरसक कोशिश भी करता है। अब बंगाल के चुनावी महासमर को ही देखिए। बंगाल में पहले चरण का चुनाव जंगलमहाल क्षेत्र में होना है। यह इलाका झारखंड की सीमा से सटा है, लेकिन झारखंड और बंगाल का फर्क प्रवेश करते ही दिख जाता है। सिल्ली से पुरुलिया में प्रवेश करते ही तुलिन, जयपुर से लेकर मानबाजार तक सड़क के दोनों तरफ की दीवारें इश्तिहारों से पटी है। इस लिहाज से यह अचंभित-रोमांचित भी करता है कि इंटरनेट मीडिया के युग में दीवार लेखन यानी वाल पेंटिंग की इतनी मारामारी बंगाल में ही है।
तृणमूल से जुड़े रथिन बताते हैं- यहां दीवारों पर पेंटिंग हमलोग कंटीन्यू करता है। हमारा पार्टी अभी पावर में है, पर दूसरी पार्टी वाला को भी हम रोकता नहीं। हम मकान के मालिक से परमिशन लेकर पेंटिंग करता है। कुछ लोग खुद सामने आकर इसके लिए जगह देता है, काहे कि वो हमारा पार्टी से जुड़ा है। हालांकि पुरुलिया में सुलेमान इससे इन्कार करते हैं। उनका कहना है कि एक पार्टी वालों ने रात में आकर उनकी दीवार पर अपनी पार्टी का निशान लगा दिया। अब उन्हें डर सता रहा है कि इसे हटाएं कैसे। नहीं हटाएंगे तो दूसरी पार्टी वाले खुन्नस निकालेंगे और हटाया तो जिस पार्टी के लोगों ने इसे लगाया है वह हमला कर सकते हैं। सत्ता संघर्ष का खेल जहां बेजान दीवारों को राजनीति के रंग में सराबोर कर रहा है, वहीं जिंदा लोगों की सांस आफत में पडऩे का अंदेशा हमेशा बना रहता है।
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दीवार लेखन का अर्थशास्त्र : अभी बंगाल के पेंटरों को सांस लेने की फुर्सत नहीं है। एक पुरुलिया शहर से समझें इसका अर्थशास्त्र। यहां के पेंटरों को चार करोड़ से अधिक का आर्डर मिल चुका है। दीवार पेंटिंग का रेट भी तय है। बड़ी दीवार की पेंटिंग का 80 से 100 रुपये, छोटी दीवार का 40 से 50 रुपये। सिर्फ पार्टी का सिंबल लगाना है तो 25 रुपये। मोलभाव भी होता है। जिले में 200 पेंटरों का समूह है जिससे करीब एक हजार लोग जुड़े हैं। ये अपने साथ एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र) का फार्म लेकर चलते हैं। यह तो आर्थिक रूप से पिछड़े पुरुलिया की बात हुई। बंगाल में 23 जिले हैं, कोलकाता जैसा महानगर भी। गुणा-भाग करें तो चुनाव में इस मद में कम से कम 100 करोड़ का कारोबार होगा।
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इस दफा सबसे ज्यादा आर्डर भाजपा से : दीवारों पर भले ही सबसे अधिक कब्जा सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस का हो, लेकिन इस बार सबसे ज्यादा दीवार लेखन का आर्डर भाजपा ने दिया है। एक पेंटर ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया कि हमलोग ज्यादातर उसी पार्टी के लिए काम करते हैं, जिससे हमारा जुड़ाव होता है। कई बार मारपीट की भी नौबत आ जाती है। हमलोग इससे अधिकाधिक बचने की कोशिश करते हैं। दीवार लेखन के पहले उसपर जो अपना निशान मार देता है, वह उसका माना जाता है। कई बार ऐसा नहीं होता है और जो पार्टी पावर में होती है, वह कब्जा कर लेती है।