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West Bengal Coronavirus Effect:शारीरिक दूरी के नियम की जमकर उड़ रही हैं धज्जियां, सरकारी बसों में बेबस सरकारी नियम!

कोलकाता की सड़कों पर सरकारी बसें उतर चुकी हैं। अगले सोमवार से निजी बसें भी चलनी शुरू हो जाएंगी लेकिन सवाल यह है कि क्या बसों में शारीरिक दूरी के नियम का पालन हो पाएगा

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 14 May 2020 03:05 PM (IST)Updated: Thu, 14 May 2020 03:05 PM (IST)
West Bengal Coronavirus Effect:शारीरिक दूरी के नियम की जमकर उड़ रही हैं धज्जियां, सरकारी बसों में बेबस सरकारी नियम!
West Bengal Coronavirus Effect:शारीरिक दूरी के नियम की जमकर उड़ रही हैं धज्जियां, सरकारी बसों में बेबस सरकारी नियम!

कोलकाता, विशाल श्रेष्ठ। कोलकाता की सड़कों पर सरकारी बसें उतर चुकी हैं। अगले सोमवार से निजी बसें भी चलनी शुरू हो जाएंगी, लेकिन सवाल यह है कि क्या बसों में शारीरिक दूरी के नियम का पालन हो पाएगा? गत बुधवार से सरकारी बसें शुरू होने के बाद से जो नजारा देखने को मिल रहा है, उससे कहीं भी इसकी उम्मीद नहीं की जा सकती।

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कोलकाता, हावड़ा, बैरकपुर, बारासात समेत 15 रूटों पर सरकारी बसें चलाई जा रही हैं। राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि 20 से अधिक यात्रियों को बस में नहीं चढ़ाया जाएगा लेकिन तस्वीर बिलकुल उलट है। प्रत्येक बस डिपो में सैकड़ों यात्रियों को कतार में खड़े देखा जा रहा है। लोग पहले चढ़ने के लिए धक्का-मुक्की करने से भी बाज नहीं आ रहे। 20 यात्रियों का कोटा पूरा होने के बाद भी लोग जबरन बसों में चढ़ रहे हैं और सीट नहीं मिलने पर एक-दूसरे से सटकर खड़े होकर सफर कर रहे हैं। सरकारी बसों के ड्राइवर और कंडक्टर बेबस दिख रहे हैं। कहीं-कहीं तो लोग उन्हें धमकाकर बस में चढ़ रहे हैं।

एक यात्री ने तर्क देते हुए कहा-' हम भी क्या करे। जरुरी काम है, जाना ही होगा। जोखिम उठाकर सफर करना पड़ रहा है। सरकारी बसों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए वरना यही हाल रहेगा।' एक सरकारी बस के ड्राइवर ने कहा-'बस डिपो में ही 20 से अधिक लोग चढ़ जा रहे। 30 से 40 तक। अधिक यात्री होने के कारण हम बीच रास्ते में कहीं भी लोगों को चढ़ाने के लिए बस नहीं रोक रहे। सिर्फ यात्रियों को उनके गंतव्य स्थल पर उतारने के लिए ही बस रोकी जा रही है।' एक कंडक्टर ने कहा-'इतने यात्रियों के बीच टिकट काटने में डर लग रहा है लेकिन क्या करें। ड्यूटी है, करनी ही पड़ेगी।'

निजी बसें शुरू होने पर उनमें भी यही नजारा देखने को मिल सकता है, हालांकि तब सरकारी बसों पर दबाव और बढ़ जाएगा क्योंकि वे पुराने किराए के साथ चल रही हैं जबकि निजी बसें बढे किराए के साथ सड़कों पर उतरेंगी। फिर भी यात्री वाहन कम होने के कारण निजी बसों में भी भीड़ होना लाजिमी है। लंबे समय से घर में बेकार बैठे निजी बसों के ड्राइवर और कंडक्टर अधिक कमीशन की चाह में ज्यादा से ज्यादा लोगों को बस में चढ़ाने से शायद ही परहेज करें क्योंकि उनकी दिन की कमाई टिकटों की बिक्री पर ही निर्भर करती हैं। ऐसे में शारीरिक दूरी बहुत बड़ी चुनौती बन जाएगी। विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना संक्रमण जून-जुलाई में चरम पर होगा इसलिए अगर शारीरिक दूरी का ध्यान नहीं रखा गया और मास्क का उपयोग नहीं किया गया तो हालात तेजी से बिगड़ सकते हैं। 


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