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Mamta Banerjee जब सांसद को कॉलर पकड़ ले गई थी सदन से बाहर, वजह थी बिल का विरोध

Mamta Banerje birth dayतृणमूल प्रमुख मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 65 साल की हो गईं हैं। 5 जनवरी 1955 को कोलकाता में जन्म लेने वाली ममता सादगी से जीवन बसर करने में विश्वास रखती हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 04 Jan 2020 03:27 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jan 2020 04:58 PM (IST)
Mamta Banerjee जब सांसद को कॉलर पकड़ ले गई थी सदन से बाहर, वजह थी बिल का विरोध
Mamta Banerjee जब सांसद को कॉलर पकड़ ले गई थी सदन से बाहर, वजह थी बिल का विरोध

कोलकाता। तृणमूल प्रमुख व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 65 साल की हो गईं हैं। 5 जनवरी 1955 को कोलकाता में जन्म लेने वाली ममता सादगी से जीवन बसर करने में विश्वास रखती हैं। भारतीय राजनीति में अलग पहचान रखने वाली और लोगों के बीच दीदी के नाम से विख्यात ममता बनर्जी एक ऐसी महिला हैं जिन्होंने पश्चिम बंगाल की सत्ता पर 34 सालों से आसीन वाममोर्चा सरकार को उखाड़ फेंका था और 2011 से बंगाल की सत्ता पर आसीन हैं। ममता दीदी की एक पहचान विरोधियों को करारा जवाब देने की है। 

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ममता  बनर्जी का जन्मदिन

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का जन्म 5 जनवरी, 1955 को कलकत्ता (अब कोलकाता) के एक लोअर मिडिल क्लास परिवार में हुआ था। इनके पिता एक फ्रीडम फाइटर थे, जिनकी मौत दवा की सुविधाएं न मिलने से हो गई थी। जब ममता के पिता की मौत हुई, तब वे सिर्फ 17 साल की थीं। ममता ने बहुत ही कम उम्र में अपने परिवार की जिम्मेदारी संभाली। फिर भी, वह स्कूल और कॉलेज जाने में सक्षम थीं, उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से लॉ में स्नातक की डिग्री और आर्ट्स में मास्टर की डिग्री ली है।

स्कूल से ही राजनीति में सक्रिय

बता दें कि ममता जब स्कूल में थीं, तब से ही राजनीति में सक्रिय हैं। उन्होंने बंगाल में सबसे पहले कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी और उसमें कई विभिन्न बड़े पदों पर काम किया।  वह पहली बार 1984 में लोकसभा सदस्य बनी थीं। उन्होंने इस चुनाव में जादवपुर लोकसभा सीट पर सोमनाथ चटर्जी को हराया था। 1996, 1999, 2004 और 2009 में ममता साउथ कोलकाता सीट से लोकसभा सांसद चुनी गईं। बता दें कि 1997 में ममता ने कांग्रेस से मनमुटावों के चलते कोलकाता में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) बनाई थी।

काफी संघर्ष में जीवन 

ममता बनर्जी ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया है। जीवन संघर्ष के बाद सीएम पद तक पहुंचने के बाद आज भी उनकी सादगी और उनका साधारण जीवन हर किसी के लिए प्रेरणादायक है। बता दें कि ममता बनर्जी के पास आज भी दक्षिण कोलकाता इलाका में अपना पुश्तैनी मकान है। ममता मुख्यमंत्री होने के बावजूद कहीं भी आम चप्पल और साधारण साड़ी पहनी हुई नजर आती हैं।

2011 से मुख्यमंत्री हैं

ममता बनर्जी 2011 से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हैं। ममता बनर्जी बारे में कुछ रोचक बातें अक्सर दीदी के रूप में संदर्भित रहती हैं। वे राज्य में बतौर सीएम कार्यालय संभालने वाली पहली महिला हैं। उन्होंने भारत के रेल मंत्री, कोयला मंत्री और मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री के रूप में भी काम किया है।

राजनीतिक जीवन की शुरुआत

सुश्री बनर्जी ने 15 साल की उम्र में राजनीति में कदम रखा, उन्होंने छात्र परिषद संघ की स्थापना की, जो कांग्रेस पार्टी की छात्र शाखा थी। ममता बनर्जी ने 1970 में कांग्रेस में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। उन्हें 1976 में महिला कांग्रेस का महासचिव बनाया गया। 1984 में सुश्री बनर्जी सबसे कम उम्र के भारतीय सांसदों में से एक बन गईं जिन्होंने कम्युनिस्ट राजनीतिज्ञ सोमनाथ चटर्जी को मात दी।

अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस नाम से अलग पार्टी बनाई

1991 में ममता बनर्जी को केंद्रीय मानव संसाधन विकास, युवा मामले और खेल और महिला और बाल विकास मामले का राज्य मंत्री बनाया गया। 1997 में ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और अलग से अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस नाम से पार्टी बनाई। दिसंबर 1998 में उन्होंने महिला आरक्षण बिल का विरोध करने वाले एक समाजवादी पार्टी के सांसद का कॉलर पकड़ उन्हें लोकसभा से बाहर खींच लाई। 1999 में वे एनडीए सरकार में शामिल हो गईं और उन्हें रेल मंत्रालय दिया गया।

2011 में मिली बंगाल की सत्ता

ममता बनर्जी 2001 में एनडीए से अलग हो गईं और बाद में 2004 में फिर वापस लौटीं। उन्होंने 2009 में फिर से यूपीए का साथ दिया और फिर 2012 में यूपीए से अलग हो गईं। अंतत: वे अकेले चलने लगीं और आगे साल 2011 में ममता को बंगाल की सत्ता मिली। 2012 में टाइम पत्रिका ने उन्हें दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया। 2012 में ब्लूमबर्ग मार्केट्स पत्रिका ने उन्हें वित्त की दुनिया के 50 सबसे प्रभावशाली लोगों में सूचीबद्ध किया।  


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